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नीतीश सरकार का बड़ा ऐलान: किसान सलाहकारों का मानदेय डबल, अब मिलेंगे 21,000 रुपये महीना!

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बिहार की नीतीश सरकार ने किसान सलाहकारों को एक शानदार तोहफा दिया है। लंबे समय से अपनी मेहनत का उचित मानदेय मांग रहे किसान सलाहकारों के लिए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब उनका मासिक मानदेय 13,000 रुपये से बढ़ाकर 21,000 रुपये कर दिया गया है। इस खबर से किसान सलाहकारों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है।

किसान सलाहकारों में उत्साह की लहर

इस फैसले ने प्रखंड क्षेत्र के किसान सलाहकारों के चेहरों पर मुस्कान बिखेर दी है। आदित्य कुमार, मायाशंकर सिंह, कुमार गणेश, संजीव कुमार राय, सुधीर कुमार, धीरेन्द्र कुमार, विनोद कुमार और ब्रजनंदन कुमार जैसे सलाहकारों ने इस कदम की जमकर तारीफ की है। उन्होंने कहा कि यह बढ़ोतरी न केवल उनके परिवार की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाएगी, बल्कि उन्हें किसानों की सेवा में और जोश के साथ जुटने की प्रेरणा देगी।

किसान सलाहकारों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और कृषि मंत्री का दिल से आभार जताया। उनका कहना है कि वे खेत-खेत जाकर सरकार की योजनाओं को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसे में मानदेय में यह बढ़ोतरी उनके हौसले को और बुलंद करेगी।

दफ्तर छोड़ खेतों में उतरे कृषि अधिकारी

दूसरी ओर, बिहार के कृषि विभाग ने मोटे अनाज (मिलेट्स) की खेती को बढ़ावा देने के लिए नई रणनीति अपनाई है। विभाग ने अब हर हफ्ते एक दिन को ‘जीरो ऑफिस डे’ घोषित किया है। इस खास दिन में कृषि अधिकारी अपने दफ्तरों में बैठने के बजाय सीधे खेतों और गांवों में पहुंच रहे हैं।

इस पहल के तहत बुधवार को प्रखंड कृषि पदाधिकारी केदार राय ने भेलवा और सत्तर पंचायत में किसानों के खेतों का दौरा किया। उन्होंने वहां बोई गई मरुआ फसल (25-25 एकड़) की स्थिति का जायजा लिया और विभाग की ओर से बांटे गए बीज व अन्य सामग्रियों की जांच की।

किसानों को मिली नई राह

खेतों में मौजूद किसानों को मोटे अनाज की खेती के फायदों के बारे में विस्तार से बताया गया। अधिकारी ने उन्हें इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। किसानों का कहना है कि ऐसी पहल से उन्हें नई तकनीकों और योजनाओं की सही जानकारी मिल रही है, जिससे उनकी खेती और बेहतर होगी।

क्या है ‘जीरो ऑफिस डे’?

‘जीरो ऑफिस डे’ एक अनोखी पहल है, जिसके तहत कृषि अधिकारी अपने दफ्तरों को छोड़कर सीधे खेतों में पहुंचते हैं। इसका मकसद है किसानों से सीधा संवाद करना, उनकी समस्याओं को समझना और योजनाओं की जमीनी हकीकत का पता लगाना। यह कदम खास तौर पर मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है, ताकि किसानों को इसका अधिक से अधिक लाभ मिल सके।

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