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केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर: इस तारीख तक चुन लें पेंशन स्कीम, वरना पछताएंगे!

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केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को एक बड़ा मौका दिया है। अब कर्मचारी यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) से नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) में जा सकते हैं। लेकिन ध्यान दें, ये मौका सिर्फ एक बार मिलेगा! वित्त मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि अगर कर्मचारी ने NPS चुन लिया, तो दोबारा UPS में वापसी का रास्ता बंद हो जाएगा। अगर आप भी केंद्र सरकार के कर्मचारी हैं, तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। आइए, इसकी पूरी जानकारी आसान भाषा में समझते हैं।

इस तारीख तक लेना होगा फैसला

वित्त मंत्रालय ने बताया है कि पात्र कर्मचारी और रिटायर हुए कर्मचारी 30 सितंबर 2025 तक UPS से NPS में जाने का विकल्प चुन सकते हैं। अगर इस तारीख तक कोई फैसला नहीं लिया, तो कर्मचारी को डिफॉल्ट रूप से UPS में ही रहना होगा। ये फैसला उन कर्मचारियों के लिए खास है जो निश्चित पेंशन वाली UPS स्कीम छोड़कर बाजार आधारित NPS में जाना चाहते हैं। UPS में निश्चित पेंशन, महंगाई भत्ते (DA) का समायोजन, ग्रेच्युटी और पारिवारिक पेंशन जैसे फायदे मिलते हैं। वहीं, NPS में ज्यादा रिटर्न और निवेश में लचीलापन तो है, लेकिन बाजार के जोखिम भी साथ आते हैं।

क्या हैं नियम और शर्तें?

केंद्र सरकार ने UPS से NPS में जाने के लिए कुछ साफ-साफ नियम बनाए हैं। वित्त मंत्रालय के मुताबिक, ये विकल्प सिर्फ एक बार ही चुना जा सकता है। यानी, अगर आप NPS में चले गए, तो दोबारा UPS में वापसी नहीं हो सकेगी। इस फैसले को समय से पहले लेना जरूरी है। कर्मचारी को अपनी रिटायरमेंट से कम से कम एक साल पहले या स्वैच्छिक रिटायरमेंट (VRS) से कम से कम तीन महीने पहले ये विकल्प चुनना होगा। लेकिन अगर कोई कर्मचारी बर्खास्तगी, अनिवार्य रिटायरमेंट या अनुशासनात्मक कार्रवाई के दायरे में है, तो वो इस सुविधा का फायदा नहीं उठा पाएगा।

कौन सी स्कीम है आपके लिए बेहतर?

कर्मचारियों के सामने अब दो बड़े विकल्प हैं: UPS और NPS। दोनों की अपनी खासियतें और सीमाएं हैं। जानकारों का कहना है कि UPS एक सुरक्षित और सरकारी गारंटी वाला विकल्प है। इसमें निश्चित पेंशन के साथ ग्रेच्युटी और पारिवारिक पेंशन जैसे फायदे भी मिलते हैं। लेकिन इसकी कुछ कमियां भी हैं, जैसे निवेश में कम लचीलापन, एकमुश्त राशि का हिस्सा छोटा होना और ज्यादा रिटर्न की संभावना कम होना।

वहीं, NPS एक ऐसी स्कीम है जिसमें कर्मचारी का पैसा इक्विटी, कॉरपोरेट बॉन्ड और सरकारी सिक्योरिटी में निवेश होता है। इससे ज्यादा रिटर्न की उम्मीद तो रहती है, लेकिन बाजार के उतार-चढ़ाव का जोखिम भी साथ आता है। NPS में कर्मचारी अपनी पेंशन राशि का 60% हिस्सा एकमुश्त निकाल सकते हैं, बाकी 40% से अनिवार्य रूप से एन्युइटी खरीदनी पड़ती है। साथ ही, NPS में धारा 80C और 80CCD के तहत टैक्स छूट भी मिलती है। लेकिन इसमें UPS जैसे महंगाई समायोजन या पारिवारिक पेंशन की सुविधा नहीं है।

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