बिहार सरकार ने हमेशा से “न्याय के साथ विकास” का नारा बुलंद किया है और समाज के हर तबके तक तरक्की की किरणें पहुंचाने का वादा किया है। खासकर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महादलित, दलित, अल्पसंख्यक और अति पिछड़ा वर्ग जैसे कमजोर समूहों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना सरकार का सबसे बड़ा लक्ष्य रहा है।
समाज के हर वर्ग तक विकास की रोशनीइसी मकसद को पूरा करने के लिए बिहार सरकार ने कई बड़े और अहम फैसले लिए हैं, ताकि इन वर्गों तक चल रही योजनाओं का फायदा और बेहतर तरीके से पहुंच सके। इन फैसलों से न सिर्फ समाज के कमजोर तबकों को फायदा होगा, बल्कि उनकी जिंदगी में भी बड़ा बदलाव आएगा।
विकास मित्रों के लिए बड़ी सौगातमहादलित विकास मिशन के तहत काम करने वाले विकास मित्रों की भूमिका बेहद खास है। ये लोग न सिर्फ सरकार की योजनाओं की जानकारी लोगों तक पहुंचाते हैं, बल्कि इन योजनाओं का असली लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचाने में भी अहम रोल निभाते हैं। उनके प्रयासों की वजह से ही लाभार्थियों का डेटा जमा होता है और समय पर जानकारी उपलब्ध हो पाती है। उनकी इस मेहनत को देखते हुए बिहार सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब हर विकास मित्र को टैबलेट खरीदने के लिए 25,000 रुपये की एकमुश्त राशि दी जाएगी। टैबलेट मिलने से विकास मित्रों को डेटा एंट्री, योजनाओं का ऑनलाइन अपडेट और अपने इलाके के कामों को निपटाने में काफी आसानी होगी।
भत्तों में भी बंपर बढ़ोतरीविकास मित्रों के काम को और आसान बनाने के लिए उनके भत्तों में भी बढ़ोतरी की गई है। पहले उन्हें हर महीने 1900 रुपये का परिवहन भत्ता मिलता था, जिसे अब बढ़ाकर 2500 रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा स्टेशनरी भत्ता भी 900 रुपये से बढ़ाकर 1500 रुपये प्रति माह कर दिया गया है। इस बढ़ोतरी से विकास मित्रों को अपने इलाके में घूमने, लाभार्थियों से मिलने और दस्तावेजों को जमा करने जैसे कामों में बड़ी राहत मिलेगी।
शिक्षा सेवकों को भी तोहफाबिहार सरकार ने न सिर्फ विकास मित्रों, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले शिक्षा सेवकों (तालिमी मरकज सहित) को भी इस नई पहल में शामिल किया है। ये शिक्षा सेवक महादलित, दलित, अल्पसंख्यक और अति पिछड़े वर्ग के बच्चों को पढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं। साथ ही ‘अक्षर आंचल योजना’ के तहत ग्रामीण महिलाओं को साक्षर बनाने का काम भी पूरी मेहनत से करते हैं। उनकी इस मेहनत को देखते हुए सरकार ने हर शिक्षा सेवक को स्मार्टफोन खरीदने के लिए 10,000 रुपये देने का ऐलान किया है। इस स्मार्टफोन की मदद से वे डिजिटल तरीके से बच्चों और महिलाओं को बेहतर शिक्षा दे पाएंगे, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।
शिक्षण सामग्री के लिए भी बड़ा बजटशिक्षा सेवकों के लिए सिर्फ स्मार्टफोन ही नहीं, बल्कि शिक्षण सामग्री के लिए भी बड़ी राहत दी गई है। पहले उन्हें हर केंद्र के लिए सालाना 3405 रुपये मिलते थे, जिसे अब बढ़ाकर 6000 रुपये प्रति वर्ष कर दिया गया है। इस राशि से वे किताबें, कॉपी, पेन, चार्ट, स्लेट और दूसरी जरूरी चीजें खरीद सकेंगे। इससे बच्चों को पढ़ाने के लिए बेहतर संसाधन उपलब्ध होंगे और उनकी पढ़ाई का स्तर और ऊंचा होगा।
जमीनी स्तर पर बदलाव की शुरुआतइन फैसलों से साफ है कि नीतीश सरकार सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें करने तक सीमित नहीं है। यह सरकार समाज के सबसे कमजोर वर्ग तक विकास पहुंचाने के लिए ठोस कदम उठा रही है। विकास मित्रों को टैबलेट और बढ़ा हुआ भत्ता मिलने से वे तकनीक के मामले में और सक्षम होंगे। वहीं, शिक्षा सेवकों को स्मार्टफोन और अतिरिक्त शिक्षण सामग्री मिलने से वे बच्चों और महिलाओं तक शिक्षा का प्रकाश और प्रभावी ढंग से पहुंचा पाएंगे।
नई ऊर्जा, नया उत्साहइन कदमों से विकास मित्रों और शिक्षा सेवकों का मनोबल तो बढ़ेगा ही, साथ ही उनके काम में नई ऊर्जा और उत्साह भी आएगा। जब ये लोग पूरी लगन और आत्मविश्वास से काम करेंगे, तभी सरकार का मकसद – समाज के हर वंचित तबके तक विकास और न्याय पहुंचाना – पूरा हो सकेगा। बिहार के सामाजिक-आर्थिक ढांचे में ये कदम सकारात्मक बदलाव लाने वाले साबित होंगे। इससे न सिर्फ वंचित समुदायों के बच्चों और महिलाओं की जिंदगी में नई उम्मीद जगेगी, बल्कि उन्हें नए अवसर भी मिलेंगे।
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