शिमला, 05 सितंबर (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में मॉनसून फिलहाल थोड़ा कमजोर पड़ा है और लोगों को कुछ हद तक राहत मिली है, लेकिन यह राहत ज्यादा दिन की नहीं रहने वाली। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने 8 और 9 सितंबर को प्रदेश के अधिकांश इलाकों में फिर भारी वर्षा का येलो अलर्ट जारी किया है। इसके अलावा आज और 7 सितंबर तथा 10 और 11 सितंबर को मौसम विभाग ने किसी तरह का अलर्ट जारी नहीं किया है। आज भी प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में मौसम सामान्य बना हुआ है, कहीं धूप खिली तो कहीं बादल छाए रहे।
बीती रात से आज सुबह तक मंडी जिले के बाग्गी में सबसे अधिक 61 मिमी बारिश दर्ज हुई, जबकि करसोग में 24, धौलाकुआं में 18, भुंतर में 16 और जोत में 14 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई। हालांकि, पिछले दिनों हुई लगातार बारिश से प्रदेश का जनजीवन अब भी पूरी तरह पटरी पर नहीं लौटा है। जगह-जगह भूस्खलन और सड़कों के टूटने से यातायात व्यवस्था बुरी तरह चरमराई हुई है।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार शुक्रवार सुबह तक प्रदेश में चार नेशनल हाइवे और 1213 सड़कें अवरुद्ध पड़ी रहीं। इनमें सबसे गंभीर स्थिति मंडी जिले की है, जहां चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाइवे बीते 31 अगस्त से लगातार बंद है। इस कारण बड़ी संख्या में मालवाहक वाहन जगह-जगह फंसे हुए हैं। इन वाहनों में लदी सब्जियां और फल खराब होने की कगार पर हैं। सेब सीजन पर भी इसका सीधा असर पड़ा है। शिमला जिला के ऊपरी क्षेत्रों में कई लिंक रोड बंद पड़े हैं, जिससे सेब बागवानों की फसल समय पर मंडियों तक नहीं पहुंच पा रही।
बंद पड़े नेशनल हाइवे में किन्नौर का एनएच-05, कुल्लू का एनएच-3 और एनएच-305, लाहौल-स्पीति का एनएच-505 और मंडी का एनएच-03 शामिल हैं। सड़कों के अवरुद्ध होने की सबसे गंभीर स्थिति मंडी में है, जहां 280 सड़कें ठप हैं। कुल्लू में 230, शिमला में 261, चंबा में 187 और कांगड़ा में 41 सड़कें बंद पड़ी हैं।
भारी बारिश से बिजली और पानी की आपूर्ति भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। प्रदेश में अब तक 1868 ट्रांसफार्मर खराब हो चुके हैं, जिनमें सबसे अधिक 999 कुल्लू में और 292 मंडी में ठप हैं। इसी तरह पेयजल योजनाएं भी प्रभावित हुई हैं। पूरे प्रदेश में 669 योजनाएं बंद पड़ी हैं, जिनमें सबसे अधिक 282 शिमला और 120 चंबा की हैं।
मॉनसून सीजन में अब तक भारी तबाही हुई है। वर्षा जनित हादसों में प्रदेश में अब तक 343 लोगों की मौत हो चुकी है, 43 लोग लापता हैं और 398 लोग घायल हुए हैं। जिलावार आंकड़े देखें तो मंडी में 51, कांगड़ा में 50, चंबा में 42, शिमला में 36, कुल्लू में 30, किन्नौर में 28, सोलन में 24, उना में 21, बिलासपुर व सिरमौर में 18-18, हमीरपुर में 16 और लाहौल-स्पीति में 9 लोगों की जान जा चुकी है। इसके अलावा 1908 पशुओं और 25,755 पॉल्ट्री पक्षियों की मौत हो चुकी है। संपत्ति के मोर्चे पर भी नुकसान कम नहीं है। पूरे प्रदेश में 4848 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं, जिनमें 975 पूरी तरह से ध्वस्त हो गए। 491 दुकानें और 4244 पशुशालाएं भी धराशायी हुई हैं। सरकार ने सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान का प्रारंभिक आकलन 3690 करोड़ रुपये लगाया है, जिसमें लोक निर्माण विभाग को 2252 करोड़, जलशक्ति विभाग को 1147 करोड़ और ऊर्जा विभाग को 139 करोड़ का नुकसान हुआ है।
मॉनसून के दौरान अब तक प्रदेश में 127 भूस्खलन, 95 फ्लैश फ्लड और 45 बादल फटने की घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
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