– भगवद गीता और नाट्यशास्त्र को मिली वैश्विक मान्यता, यूनेस्को की ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड’ रजिस्टर में शामिल
वाराणसी, 18 अप्रैल . भारत की प्राचीन सांस्कृतिक और ज्ञान परंपरा को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान मिली है. भगवद गीता और भरतमुनि रचित नाट्यशास्त्र को यूनेस्को की ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर’ में स्थान मिला है. इस उपलब्धि पर धर्मनगरी काशी में संतों, विद्वानों और शिक्षाविदों में हर्ष की लहर है.
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने इस अवसर को भारत की सांस्कृतिक विजय बताते हुए कहा कि यह न केवल भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा की वैश्विक मान्यता है बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की सांस्कृतिक विजय है. शुक्रवार को उन्होंने कहा कि भारत की प्राचीन ज्ञान परम्परा और सांस्कृतिक धरोहर के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है. कुलपति ने कहा कि यह भारत के शाश्वत ज्ञान-स्रोतों को वैश्विक मंच पर मान्यता दिलाने की दिशा में प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में एक और महत्वपूर्ण कदम है. प्रो. शर्मा ने प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इसे भारत के लिए “गौरव का क्षण” कहे जाने का स्वागत करते हुए कहा कि यह निर्णय विश्व समुदाय को भारतीय समृद्ध परम्परा, ज्ञान और सांस्कृतिक मूल्यों की सार्वकालिकता व सार्वत्रिकता का बोध कराएगा. प्रो. शर्मा ने भगवद गीता को केवल एक धार्मिक ग्रंथ न मानते हुए उसे जीवन-दर्शन, नीति, कर्तव्यबोध और अध्यात्म का अद्वितीय ग्रंथ बताया. वहीं नाट्यशास्त्र को केवल रंगमंच की कला का शास्त्र न होकर भारतीय काव्यशास्त्र, सौंदर्यशास्त्र और भाव-रस सिद्धांत की समृद्ध विरासत के रूप में रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि यह यूनेस्को की पहल न केवल इन ग्रंथों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी, बल्कि नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने के लिए प्रेरित करेगी.
अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि यह हमारे लिए गर्व और आनंद का क्षण है. हम यूं ही ‘जगतगुरु’ नहीं कहलाते– हमारी मेधा, विद्या और ज्ञान ने ही हमें यह सम्मान दिलाया है, और आगे भी दिलाएगा.
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा है कि दुनियाभर में फैले हर भारतीय के लिए यह गर्व का क्षण है. यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में गीता और नाट्यशास्त्र को शामिल किया जाना हमारी शाश्वत बुद्धिमत्ता और समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता है. गीता और नाट्यशास्त्र ने सदियों से सभ्यता और चेतना का पोषण किया है. उनकी अंतर्दृष्टि दुनिया को प्रेरित करती रहती है. प्रधानमंत्री ने केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के एक्स पोस्ट को साझा भी किया.
—————
/ श्रीधर त्रिपाठी
You may also like
बंगाल संभालने में ममता बनर्जी पूरी तरह विफल: दिलीप घोष
Nikki Tamboli Oops Moment: पैपराजी के सामने गिरने से बची एक्ट्रेस, वायरल हुआ वीडियो
Madhya Pradesh Begins Teacher Recruitment Exams for Over 10,000 Posts Across 13 Cities
एक दिन में कितना कमाते हैं भारत के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी, होती है करोड़ों की कमाई
हिंदू धर्म में वास्तु और ज्योतिष का महत्व: आर्थिक समस्याओं के समाधान