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नैनीताल भाजपा के 'विभीषण' पर चर्चा, जिससे खुली उपाध्यक्ष पद पर कांग्रेस की जीत की राह

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नैनीताल, 23 अगस्त (Udaipur Kiran) । नैनीताल जिला पंचायत चुनाव में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद के नतीजों की राजनीतिक जंग उच्च न्यायालय के न्यायिक दरबार में पहुंचकर शांत होने के बाद अब नैनीताल भाजपा के उस विभीषण को लेकर चर्चा शुरू हो गयी है। इस पूरे मामले में अब सबसे बड़ा प्रश्न यह बनकर उभरा है कि भाजपा का वह ‘विभीषण’ कौन है, जिसका मत अवैध घोषित किया गया और गुप्त मतदान के बावजूद सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इसी बहुचर्चित मत ने कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी को उपाध्यक्ष पद पर जीत की राह खोली।

उल्लेखनीय है कि इस चुनाव में कुल 27 सदस्यों में से भाजपा समर्थित 12 व कांग्रेस समर्थित 10 सहित कुल 22 सदस्यों ने मतदान किया। लेकिन भाजपा समर्थित दीपा दर्म्वाल अध्यक्ष पद पर 11-10 से विजयी रहीं। वहीं उपाध्यक्ष पद पर भाजपा और कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों को 11-11 मत मिले और लॉटरी के जरिये कांग्रेस समर्थित देवकी बिष्ट विजयी घोषित हुईं। ऐसा इस कारण हुआ कि एक भाजपा समर्थित सदस्य ने उपाध्यक्ष पद पर कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी को मत दिया और अध्यक्ष पद पर कांग्रेस प्रत्याशी को मत देने में गलती की।

पहले संभवतया कांग्रेस समर्थित अध्यक्ष प्रत्याशी के नाम के आगे एक लिखा और फिर उसे दो कर दिया। ओवरराइटिंग होने के कारण इस पर उच्च न्यायालय में भी प्रश्न उठे और इस पर प्रशासन की ओर से छेड़छाड़ किये जाने का संदेह किया गया, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हुई। किंतु बिना किसी प्रत्याशी को पहली प्राथमिकता का मत दिये बिना दूसरी प्राथमिकता का मत दिये जाने के कारण यह मत नियमानुसार अवैध घोषित हुआ। यदि यह मत वैध होता तो अध्यक्ष पद पर भी दोनों प्रत्याशियों को बराबर 11-11 मत मिलते और निर्णय लॉटरी से होता। जबकि यदि इस भाजपा समर्थित सदस्य ने उपाध्यक्ष पद पर सीधे भाजपा प्रत्याशी बहादुर सिंह नदगली को मत दिया होता तो परिणाम 12-10 से भाजपा के पक्ष में होता।

गौरतलब है कि इस एक मतपत्र की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई। कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी पुष्पा नेगी के पति लाखन सिंह नेगी ने इसे सोशल मीडिया पर डालकर वोट की लूट का आरोप लगाया। हालांकि मतपत्र की जांच में किसी छेड़छाड़ की पुष्टि नहीं हुई है। इसके बावजूद यह स्पष्ट है कि ‘भाजपाई विभीषण’ कांग्रेस के संपर्क में था। उसने उपाध्यक्ष पद पर कांग्रेस प्रत्याशी को प्राथमिकता का मत दिया जबकि अध्यक्ष पद पर उसका मत अवैध घोषित हो गया।

अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि आखिर यह ‘भाजपाई विभीषण’ कौन है। माना जा रहा है कि इसका पता लगाना कठिन नहीं है, क्योंकि यह उसी सदस्य का मत था जिसने गुप्त मतदान के बावजूद इस मत की फोटो सबसे पहले कांग्रेस समर्थित पक्ष को भेजी।

(Udaipur Kiran) / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी

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