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हिमाचल के नौ जिलों में अंधड़ व आसमानी बिजली गिरने का येलो अलर्ट, 824 सड़कें ठप

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शिमला, 7 सितंबर (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में मॉनसून का असर अब भी जारी है और राज्य के कई हिस्सों में झमाझम बारिश से जनजीवन प्रभावित हो रहा है। रविवार को राजधानी शिमला सहित अन्य इलाकों में दिन के समय बारिश हुई जबकि उच्च पर्वतीय इलाकों में हल्की बर्फबारी से पहाड़ी इलाकों में मौसम हल्का ठंडा हो गया है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने सोमवार के लिए नौ जिलों ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला, सोलन और सिरमौर में अंधड़ और आसमानी बिजली गिरने का येलो अलर्ट जारी किया है। वहीं आज रविवार रात नौ जिलों में गरज के साथ भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट और तीन जिलों में येलो अलर्ट घोषित किया गया।

विभाग के अनुसार 9 से 13 सितंबर तक राज्य के अधिकांश क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बारिश होने का अनुमान है, हालांकि इस दौरान किसी तरह की चेतावनी नहीं दी गई है। बीते 24 घंटों में मॉनसून की रफ्तार धीमी रही और केवल कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई। सिरमौर के पच्छाद में सर्वाधिक 40 मिलीमीटर, मनाली में 24, नैना देवी और धौलाकूआं में 16-16, केलांग में 15, भरवीं में 14 और नाहन में 13 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई।

लगातार हो रही बरसात ने प्रदेश में सड़कों का हाल बेहाल कर दिया है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार रविवार शाम तक दो राष्ट्रीय राजमार्ग और 824 सड़कें बंद थीं। कुल्लू जिला सबसे अधिक प्रभावित है जहां एनएच-3 और एनएच-305 अवरुद्ध हैं और 225 सड़कें ठप हैं। मंडी में 191, शिमला में 146, चंबा में 88, कांगड़ा में 44 और सिरमौर में 36 सड़कें बाधित हैं, जिससे यातायात पूरी तरह से प्रभावित हो गया है। ऊपरी शिमला के सेब बाहुल्य क्षेत्रों में भी सड़कों के बंद होने से बागवानों की परेशानियां बढ़ गई हैं। शिमला जिला के रोहड़ू में 45, कोटखाई में 24 और कुमारसेन में 17 संपर्क मार्ग बंद हैं, जिसके कारण सेब की खेप समय पर मंडियों तक नहीं पहुंच पा रही है और सीजन पर सीधा असर पड़ा है। प्रशासन बहाली कार्य में जुटा है।

बिजली और पानी की आपूर्ति भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। प्रदेश में 1480 ट्रांसफार्मर ठप हो चुके हैं, जिनमें अकेले कुल्लू के 811 शामिल हैं। मंडी में 202, चंबा में 171, शिमला में 145 और लाहौल-स्पीति में 142 ट्रांसफार्मर खराब हो गए हैं। इसी तरह 336 पेयजल योजनाएं ठप हैं, जिनमें शिमला की 130, मंडी की 79, कुल्लू की 63 और चंबा की 42 शामिल हैं।

इस मॉनसून सीजन में अब तक 366 लोगों की जान जा चुकी है, 41 लोग लापता हैं और 426 घायल हुए हैं। जिला वार आंकड़ों के अनुसार मंडी में 59, कांगड़ा में 50, चंबा में 43, शिमला में 39, कुल्लू में 38, किन्नौर में 28, सोलन में 26, ऊना में 22, बिलासपुर और सिरमौर में 18-18, हमीरपुर में 16 और लाहौल-स्पीति में 9 मौतें दर्ज की गई हैं। बरसात से 1991 पशुओं और 26 हजार से अधिक पोल्ट्री पक्षियों की मौत भी हो चुकी है।

भारी बारिश से अब तक 6271 मकान क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जिनमें 1194 पूरी तरह ढह गए हैं। इसके अलावा 460 दुकानें और 5284 पशुशालाएं भी धराशायी हो गई हैं। प्रारंभिक आकलन के अनुसार सार्वजनिक संपत्ति को 4080 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इसमें लोक निर्माण विभाग को 2743 करोड़, जलशक्ति विभाग को 2518 करोड़ और ऊर्जा विभाग को 139 करोड़ रुपये का नुकसान शामिल है।

इस मानसून में प्राकृतिक आपदाओं का सिलसिला भी जारी है। अब तक 136 भूस्खलन, 95 फ्लैश फ्लड और 45 बादल फटने की घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं। लाहौल-स्पीति में सबसे ज्यादा 28 भूस्खलन और 56 फ्लैश फ्लड हुए हैं जबकि मंडी जिला 19 बादल फटने की घटनाओं के साथ सबसे अधिक प्रभावित रहा है।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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