राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (RCA) में सियासी खींचतान थमने का नाम नहीं ले रही है। शुक्रवार को एडहॉक कमेटी की बैठक में कमेटी के सदस्यों और संयोजक डीडी कुमावत के बीच गंभीर मतभेद सामने आए। बैठक में विवाद के कारण मुद्दों का समाधान नहीं हो सका और मामला अब लोकपाल के पास पहुंच गया है।
एडहॉक कमेटी के सदस्य धनंजय सिंह खींवसर ने जयपुर में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि आज हुई बैठक में संयोजक डीडी कुमावत शामिल नहीं हुए और उन्होंने कई फैसले एकतरफा रूप से लिए। खींवसर ने बताया कि कमेटी के चारों सदस्यों की सहमति आवश्यक है, लेकिन इस बैठक में यह प्रक्रिया पूरी तरह नजरअंदाज की गई। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि पिछले साढ़े तीन महीनों से कोई बैठक नहीं बुलाई गई थी, जिसके कारण कमेटी के फैसले अब पूरी तरह एकतरफा हो गए हैं।
डीडी कुमावत ने विवादित आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि अगर मेरे ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध होते हैं, तो मैं स्वयं इस्तीफा दे दूंगा। कुमावत ने अपनी साख और ईमानदारी को बचाए रखने के लिए पूरी तरह आश्वासन दिया कि किसी भी तरह का अनुचित लाभ नहीं लिया गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि क्रिकेट एसोसिएशन में चल रही यह सियासी लड़ाई केवल प्रशासनिक कार्यों में बाधा डाल रही है और खिलाड़ियों तथा खेल विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। एडहॉक कमेटी के चारों सदस्य संगठन के सुचारू संचालन के लिए जिम्मेदार हैं, लेकिन हालिया घटनाओं ने समिति की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्न खड़ा कर दिया है।
राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि विवाद जल्द ही सुलझाने की आवश्यकता है, ताकि खिलाड़ियों के प्रशिक्षण, टूर्नामेंट संचालन और अन्य खेल गतिविधियों में कोई बाधा न आए। अधिकारियों ने यह भी बताया कि लोकपाल के हस्तक्षेप से मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जाएगी।
राजस्थान में क्रिकेट प्रेमियों और मीडिया में भी इस विवाद को लेकर गहरी चिंता बनी हुई है। स्थानीय विशेषज्ञों का कहना है कि यदि कमेटी में चल रहे मतभेदों को समय पर हल नहीं किया गया, तो इससे संगठन की विश्वसनीयता और खेल विकास दोनों पर असर पड़ेगा।
धनंजय सिंह खींवसर ने मीडिया को बताया कि एडहॉक कमेटी की बैठक में न केवल संयोजक का गैरहाजिरी रह गई, बल्कि कई महत्वपूर्ण निर्णयों में अन्य सदस्यों की सहमति को नजरअंदाज किया गया। खींवसर ने कहा कि इस तरह की प्रक्रिया संगठन के लिए हानिकारक है और इसे तुरंत सुधारने की जरूरत है।
इस विवाद के चलते राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन में प्रशासनिक स्थिरता की स्थिति पर भी सवाल उठ रहे हैं। खेल जगत में सक्रिय लोग और खिलाड़ी इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि लोकपाल जल्द ही निष्पक्ष जांच करके समाधान निकाले।
राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन में चल रहे विवाद ने यह स्पष्ट कर दिया है कि खेल संगठन में पारदर्शिता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन अत्यंत आवश्यक है। कमेटी सदस्यों और संयोजक के बीच विवाद का शीघ्र समाधान न होने पर खिलाड़ियों और संगठन दोनों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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