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पाकिस्तान की ये हकीकत जानकर आप भी हैरान रह जायेंगे..

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पाकिस्तानी आतंकवादियों ने हाल ही में एक बार फिर दुनिया के सबसे खूबसूरत इलाकों में से एक जम्मू-कश्मीर की पहलगाम घाटी पर हमला करके खूनखराबा मचा दिया है। इस बार आतंकियों ने कश्मीर के उस हिस्से को निशाना बनाया है जिसे जन्नत कहा जाता है। पाकिस्तानी आतंकवादियों ने पहलगाम में भारतीय पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें 26 पर्यटक मारे गए।

 

पाकिस्तान के इस कायराना हमले की दुनिया भर में निंदा हो रही है। पाकिस्तान में हकीकत कुछ अलग है। बेचारा पाकिस्तान इतना गरीब है कि अगर भारत उस पर एक बार भी हमला कर दे तो वह कई सालों तक अपने जख्मों को नहीं भूल पाएगा और लगातार नुकसान उठाता रहेगा। आइये हम आपको पाकिस्तान की आर्थिक हकीकत बताते हैं।

यह पाकिस्तान की हकीकत है।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लगातार डूब रही है और पड़ोसी देश आर्थिक संकट से गुजर रहा है। हालात ये हैं कि पाकिस्तान कई बार आईएमएफ से भीख मांग चुका है, लेकिन पाकिस्तान की हरकतों और हालात को देखते हुए आईएमएफ भी पाकिस्तान को पैसा देने को तैयार नहीं है।

2024 के ताजा आंकड़े बताते हैं कि पाकिस्तान के आम लोगों के लिए जीवन कितना कठिन हो गया है। वहां के नागरिकों की औसत दैनिक आय मात्र ₹585 है, जो लगभग $6.85 है। यह वह आंकड़ा है जो देश में गरीबी, बेरोजगारी और आर्थिक असमानता की सच्ची तस्वीर दिखाता है।

84% लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं

शायद सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि पाकिस्तान की 84.5 प्रतिशत आबादी प्रतिदिन 6.85 डॉलर से भी कम पर गुजारा करती है। इतना ही नहीं, लगभग 40% लोग प्रतिदिन 3.65 डॉलर से कम पर गुजारा करते हैं। इसका मतलब यह है कि हर दस में से चार लोग अत्यधिक गरीबी का सामना कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और भी खराब है। अधिकांश लोग या तो बेरोजगार हैं या बहुत कम वेतन पर अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं।

यह आय का एकमात्र स्रोत है।

पाकिस्तान की आर्थिक संरचना मुख्यतः कपड़ा, खाद्य प्रसंस्करण, फार्मास्यूटिकल्स और दूरस्थ फ्रीलांसिंग जैसे क्षेत्रों पर आधारित है। 2024 में देश का निर्यात 38.9 बिलियन डॉलर था, जिसमें वस्त्र उद्योग का योगदान सबसे बड़ा (16.3 बिलियन डॉलर) था। इसी समय, आयात 63.3 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जिससे व्यापार घाटा अपरिवर्तित रहा।

एक गरीब देश की हकीकत

जब देश की 80% से अधिक आबादी अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रही हो, तो कोई भी आर्थिक रिपोर्ट या जीडीपी वृद्धि के आंकड़े महज खोखले आंकड़े लगते हैं। यह देश केवल सांख्यिकी पुस्तकों में ही “वैश्विक अर्थव्यवस्था” बना रहेगा। हकीकत में यह देश अपने नागरिकों को दो वक्त का भोजन भी मुहैया नहीं करा पाएगा।

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