बीजिंग: चीन ने 3 सितंबर को आयोजित विक्ट्री डे परेड के दौरान पहली बार HQ-29 एयर डिफेंस सिस्टम को पेश किया है। इस एयर डिफेंस सिस्टम की तुलना रूसी एस-500 एयर डिफेंस से की जा रही है, जिसकी अंतरिक्ष में सैटेलाइट को मार गिराने की क्षमता है। यानि अब अमेरिका के दोनों दुश्मनों के पास सैटेलाइट किलर एयर डिफेंस सिस्टम है, जिससे अंतरिक्ष में अमेरिका के वर्चस्व को गंभीर उत्पन्न हो गया है। हालांकि डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले दिनों 'गोल्डेन डोम' प्रोग्राम की घोषणा की थी, लेकिन उसके बनने में अभी कम से कम 5 सालों का वक्त लगेगा। चीन ने परेड के दौरान हाइपरसोनिक मिसाइल, एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल, सबमरीन-लॉन्च मिसाइल, न्यूक्लियर-टिप टॉरपीडो और लेजर डिफेंस सिस्टम को भी दुनिया के सामने पेश किया है।
लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा HQ-29 की हो रही है। चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (PLAAF) ने इस परेड में छह प्रकार की एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम- HQ-11, HQ-20, HQ-22A, HQ-9C, HQ-19 और HQ-29 का प्रदर्शन किया है, जिनमें HQ-20 और HQ-22A के बारे में तो लोगों को पहले से ही जानकारी थी, लेकिन HQ-29 का खुलासा पहली बार किया गया है। चीन अपने पहले के मिलिट्री परेड में HQ-11, HQ-9C और HQ-19 का प्रदर्शन कर चुका है। इन तीनों एयर डिफेंस एडवांस मिसाइलों को रोकने में क्षमता पर गंभीर सवाल तब खड़े हो गये, जब पाकिस्तान के खिलाफ भारत ने सटीक हमले किए थे। पाकिस्तान, भारतीय मिसाइलों को रोकने में बुरी तरह से नाकाम रहा था।
HQ-29 की रूसी एस-500 एयर डिफेंस सिस्टम से तुलना
HQ-11 एयर डिफेंस मुख्य रूप से टर्मिनल डिफेंस के लिए इस्तेमाल होती है और यह एयर-टू-सरफेस मिसाइल, क्रूज मिसाइल और फाइटर जेट को इंटरसेप्ट करने की क्षमता रखता है। जबकि HQ-22 मध्यम-श्रेणी और उच्च-ऊंचाई पर आधारित वायु रक्षा मिशन के लिए जिम्मेदार है, वहीं HQ-19 उच्च-ऊंचाई वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को टर्मिनल स्टेज में रोकने की क्षमता रखता है। विशेषज्ञों के मुताबिक HQ-19 हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल जैसे अत्यंत तेज और चपल हथियारों का मुकाबला करने में सक्षम है, जो पारंपरिक एयर-डिफेंस मिसाइलों से इंटरसेप्ट करना मुश्किल है। HQ-9C मुख्यतः वायुमंडलीय एयर डिफेंस के लिए उपयोग होती है और कुछ मध्यम और कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को रोक सकती है।
लेकिन पाकिस्तान की नाकामी के चीन में गंभीरता से इस बात पर चर्चा की गई कि भारतीय मिसाइलों को रोकने में ये सभी एयर डिफेंस सिस्टम नाकाम होंगे। इसीलिए अब जबकि HQ-29 को चीन ने पेश कर दिया तो सवाल उठ रहे हैं कि क्या ये भारत और अमेरिका के एडवांस मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर पाएंगे।
HQ-29 एयर डिफेंस सिस्टम की क्षमता कितनी है?
HQ-29 एक एक्सोएटमॉस्फेरिक मिसाइल इंटरसेप्टर सिस्टम है, जो बैलिस्टिक मिसाइलों को उनके मध्य-मार्ग (mid-course) स्टेज में इंटरसेप्ट कर सकता है। यह HQ-19 और HQ-9 सीरिज के बीच की खाई को भरता है और इसे अमेरिका के SM-3 एयर डिफेंस सिस्टम और रूस के S-500 सिस्टम के बराबरष माना जा सकता है। HQ-29 की लंबाई करीब 7.5 मीटर और व्यास 1.5 मीटर है और इसके प्रत्येक लॉन्चर व्हीकल सिर्फ दो मिसाइलों को ही अपने साथ ले जाता है। इसकी रेंज 500 किमी से ज्यादा होने का दावा किया गया है और हाई टेक बैलिस्टिक मिसाइलों के खिलाफ इसे अत्यधिक कारगार कहा गया है। इसके अलावा लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट को मारने की इसकी क्षमता होने का भी दावा किया गया है। इसीलिए इसी सैटेलाइटर हंटर या सैटेलाइट किलर कहा गया है। चीन ने इसे खासकर अमेरिका के सैटेलाइट कम्युनिकेश सिस्टम, सर्विलांस सैटेलाइट और GPS सैटेलाइट को मारने के लिए डिजाइन किया है।
लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा HQ-29 की हो रही है। चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (PLAAF) ने इस परेड में छह प्रकार की एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम- HQ-11, HQ-20, HQ-22A, HQ-9C, HQ-19 और HQ-29 का प्रदर्शन किया है, जिनमें HQ-20 और HQ-22A के बारे में तो लोगों को पहले से ही जानकारी थी, लेकिन HQ-29 का खुलासा पहली बार किया गया है। चीन अपने पहले के मिलिट्री परेड में HQ-11, HQ-9C और HQ-19 का प्रदर्शन कर चुका है। इन तीनों एयर डिफेंस एडवांस मिसाइलों को रोकने में क्षमता पर गंभीर सवाल तब खड़े हो गये, जब पाकिस्तान के खिलाफ भारत ने सटीक हमले किए थे। पाकिस्तान, भारतीय मिसाइलों को रोकने में बुरी तरह से नाकाम रहा था।
HQ-29 की रूसी एस-500 एयर डिफेंस सिस्टम से तुलना
HQ-11 एयर डिफेंस मुख्य रूप से टर्मिनल डिफेंस के लिए इस्तेमाल होती है और यह एयर-टू-सरफेस मिसाइल, क्रूज मिसाइल और फाइटर जेट को इंटरसेप्ट करने की क्षमता रखता है। जबकि HQ-22 मध्यम-श्रेणी और उच्च-ऊंचाई पर आधारित वायु रक्षा मिशन के लिए जिम्मेदार है, वहीं HQ-19 उच्च-ऊंचाई वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को टर्मिनल स्टेज में रोकने की क्षमता रखता है। विशेषज्ञों के मुताबिक HQ-19 हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल जैसे अत्यंत तेज और चपल हथियारों का मुकाबला करने में सक्षम है, जो पारंपरिक एयर-डिफेंस मिसाइलों से इंटरसेप्ट करना मुश्किल है। HQ-9C मुख्यतः वायुमंडलीय एयर डिफेंस के लिए उपयोग होती है और कुछ मध्यम और कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को रोक सकती है।
लेकिन पाकिस्तान की नाकामी के चीन में गंभीरता से इस बात पर चर्चा की गई कि भारतीय मिसाइलों को रोकने में ये सभी एयर डिफेंस सिस्टम नाकाम होंगे। इसीलिए अब जबकि HQ-29 को चीन ने पेश कर दिया तो सवाल उठ रहे हैं कि क्या ये भारत और अमेरिका के एडवांस मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर पाएंगे।
HQ-29 एयर डिफेंस सिस्टम की क्षमता कितनी है?
HQ-29 एक एक्सोएटमॉस्फेरिक मिसाइल इंटरसेप्टर सिस्टम है, जो बैलिस्टिक मिसाइलों को उनके मध्य-मार्ग (mid-course) स्टेज में इंटरसेप्ट कर सकता है। यह HQ-19 और HQ-9 सीरिज के बीच की खाई को भरता है और इसे अमेरिका के SM-3 एयर डिफेंस सिस्टम और रूस के S-500 सिस्टम के बराबरष माना जा सकता है। HQ-29 की लंबाई करीब 7.5 मीटर और व्यास 1.5 मीटर है और इसके प्रत्येक लॉन्चर व्हीकल सिर्फ दो मिसाइलों को ही अपने साथ ले जाता है। इसकी रेंज 500 किमी से ज्यादा होने का दावा किया गया है और हाई टेक बैलिस्टिक मिसाइलों के खिलाफ इसे अत्यधिक कारगार कहा गया है। इसके अलावा लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट को मारने की इसकी क्षमता होने का भी दावा किया गया है। इसीलिए इसी सैटेलाइटर हंटर या सैटेलाइट किलर कहा गया है। चीन ने इसे खासकर अमेरिका के सैटेलाइट कम्युनिकेश सिस्टम, सर्विलांस सैटेलाइट और GPS सैटेलाइट को मारने के लिए डिजाइन किया है।
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