पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में दरभंगा जिले की बहादुरपुर सीट पर मुख्य चुनावी मुकाबला जनता दल यूनाईटेड (जेडीयू) के वरिष्ठ नेता मदन सहनी और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के भोला यादव के बीच है। मदन सहनी बिहार की राजनीति के एक प्रभावी नेता हैं। सहनी तीन बार विधायक चुने जा चुके हैं। वे इस सीट पर मौजूदा विधायक हैं। मदन सहनी नीतीश कुमार की सरकार में समाज कल्याण विभाग के कैबिनेट मंत्री भी हैं।
बहादुरपुर विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक 16 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। जेडीयू के मदन सहनी, आरजेडी के भोला यादव के अलावा बहुजन समाज पार्टी के प्रणय प्रभाकर उर्फ राहुल जी, जन सुराज पार्टी के मोहम्मद आमिर हैदर, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के सुरेश प्रसाद सिंह, भागीदारी पार्टी की अंजू देवी, रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया के बीरेन्द्र कुमार पासवान, गणतांत्रिक समाज पार्टी के रंजीत शर्मा, जनतंत्र आवाज पार्टी के रजनीश कुमार के अलावा सात निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।
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बिहार सरकार के मंत्री और जेडीयू नेता मदन सहनी ने अपना राजनीतिक सफर जिला परिषद सदस्य के रूप में शुरू किया था। वे बाद में जिला बोर्ड अध्यक्ष चुने गए थे। साल 2010 में उन्होंने बहादुरपुर विधानसभा क्षेत्र से पहली बार जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। सन 2015 में उन्होंने गौरा बौराम विधानसभा सीट की टिकट दिया गया। इस सीट पर भी उन्होंने बड़े अंतर से जीत हासिल की और फिर उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। साल 2020 में वे फिर से बहादुरपुर सीट पर चुनाव लड़े और विजय हासिल की।
साल 2015 के चुनाव में जब आरजेडी और जेडीयू का गठबंधन था तब आरजेडी के भोला यादव ने इस सीट पर बड़ी जीत दर्ज की थी। सन 2020 में जेडीयू एनडीए में फिर से शामिल हो गई जिससे समीकरण बदल गए और जेडीयू जीत गई। यहां इस बार फिर जेडीयू और आरजेडी आमने-सामने हैं।
बहादुरपुर विधानसभा क्षेत्र का गठन सन 2008 में हुआ था। इस सीट पर साल 2010 में पहला चुनाव हुआ था। मदन सहनी ने पहला चुनाव जेडीयू के टिकट पर लड़ा था और उन्होंने आरजेडी के हरिनंदन यादव को परास्त किया था। उन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव में बहादुरपुर सीट पर आरजेडी के रमेश चौधरी को 2629 वोटों के मामूली अंतर से हराया था। बहादुरपुर सीट पर 2010 से अब तक तीन चुनाव हुए जिनमें दो बार जनता दल यूनाइटेड और एक बार राष्ट्रीय जनता दल को सफलता मिली। बहादुरपुर क्षेत्र हर साल बागमती सहित अन्य नदियों की बाढ़ से प्रभावित होता है। बाढ़ का स्थायी समाधान इस क्षेत्र के लोगों की एक प्रमुख मांग है।
बहादुरपुर विधानसभा क्षेत्र मिथिलांचल की राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। इस सीट पर मुख्य मुकाबला जेडीयू और आरजेडी के बीच होता रहा है। बहादुरपुर एक ग्रामीण सीट है। यहां अधिकांश लोग खेती करते हैं। यहां के मतदाता विभिन्न सामाजिक समूहों में बंटे हुए हैं। यहां यादव, मुस्लिम, सहनी (मल्लाह), और अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) के वोटर किसी भी उम्मीदवार की जीत या हार में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यहां महादलित और सवर्ण मतदाताओं का भी प्रभाव है।
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बहादुरपुर विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक 16 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। जेडीयू के मदन सहनी, आरजेडी के भोला यादव के अलावा बहुजन समाज पार्टी के प्रणय प्रभाकर उर्फ राहुल जी, जन सुराज पार्टी के मोहम्मद आमिर हैदर, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के सुरेश प्रसाद सिंह, भागीदारी पार्टी की अंजू देवी, रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया के बीरेन्द्र कुमार पासवान, गणतांत्रिक समाज पार्टी के रंजीत शर्मा, जनतंत्र आवाज पार्टी के रजनीश कुमार के अलावा सात निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।
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साल 2015 के चुनाव में जब आरजेडी और जेडीयू का गठबंधन था तब आरजेडी के भोला यादव ने इस सीट पर बड़ी जीत दर्ज की थी। सन 2020 में जेडीयू एनडीए में फिर से शामिल हो गई जिससे समीकरण बदल गए और जेडीयू जीत गई। यहां इस बार फिर जेडीयू और आरजेडी आमने-सामने हैं।
बहादुरपुर विधानसभा क्षेत्र का गठन सन 2008 में हुआ था। इस सीट पर साल 2010 में पहला चुनाव हुआ था। मदन सहनी ने पहला चुनाव जेडीयू के टिकट पर लड़ा था और उन्होंने आरजेडी के हरिनंदन यादव को परास्त किया था। उन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव में बहादुरपुर सीट पर आरजेडी के रमेश चौधरी को 2629 वोटों के मामूली अंतर से हराया था। बहादुरपुर सीट पर 2010 से अब तक तीन चुनाव हुए जिनमें दो बार जनता दल यूनाइटेड और एक बार राष्ट्रीय जनता दल को सफलता मिली। बहादुरपुर क्षेत्र हर साल बागमती सहित अन्य नदियों की बाढ़ से प्रभावित होता है। बाढ़ का स्थायी समाधान इस क्षेत्र के लोगों की एक प्रमुख मांग है।
बहादुरपुर विधानसभा क्षेत्र मिथिलांचल की राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। इस सीट पर मुख्य मुकाबला जेडीयू और आरजेडी के बीच होता रहा है। बहादुरपुर एक ग्रामीण सीट है। यहां अधिकांश लोग खेती करते हैं। यहां के मतदाता विभिन्न सामाजिक समूहों में बंटे हुए हैं। यहां यादव, मुस्लिम, सहनी (मल्लाह), और अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) के वोटर किसी भी उम्मीदवार की जीत या हार में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यहां महादलित और सवर्ण मतदाताओं का भी प्रभाव है।
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