अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दावा किया है कि प्रेग्नेंट महिलाओं को एसिटामिनोफेन (बुखार की दवा) का उपयोग सीमित करना चाहिए। उन्होंने टाइलेनॉल दवाई का नाम विशेष रूप से उल्लेख करते हुए कहा है कि इससे बच्चे में ऑटिज्म जैसी बीमारी होने का खतरा बढ़ सकता है। साथ ही, उन्होंने इस दवा और एएसडी मर्ज के बीच संभावित संबंध की भी बात कही। ट्रंप के इस बयान के बाद सवाल यह उठता है कि क्या वाकई बुखार में दी जाने वाली यह दवा प्रेग्नेंसी में बच्चे में ऑटिज्म जैसी बीमारी का खतरा बढ़ाती है? आइए, जानते हैं नई दिल्ली की सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट और आईवीएफ कंसल्टेंट डॉक्टर आस्था गुप्ता से ।
डॉक्टर आस्था कहती हैं कि ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) बीमारी का कोई एक ही कारण नहीं होता, इसलिए इसे समझाना थोड़ा मुश्किल है। यह पूरी तरह से जेनेटिक भी नहीं है, बल्कि एक जटिल बीमारी है जो वंशानुगत और पर्यावरणीय दोनों फैक्टर से प्रभावित होती है। कई रिसर्च से पता चलता है कि अगर परिवार में ऑटिज्म का इतिहास है, कुछ विशेष जीन में बदलाव हैं या फिर गर्भावस्था के दौरान मदर को इंफेक्शन और अन्य कॉम्प्लिकेशन्स हुएं हैं, तो यह बच्चे में ऑटिज्म का जोखिम बढ़ा सकती हैं।
नहीं मिला ऐसा कोई सबूत
एक्सपर्ट आगे बताती हैं कि मेडिकल एक्सपर्ट और एफडीए के अनुसार, इस बात का कोई सूबत नहीं है कि प्रेग्नेंसी में टाइलेनॉल (बुखार की दवा) लेने से बच्चे को ऑटिज्म होता है। साथ ही उन्होंने कहा कि कई एक्सपर्ट ने ट्रंप के प्रेग्नेंसी में टाइलेनॉल दवा न लेने के बयान की निंदा की है।
क्या आप बेबी प्लान कर रही हैं ?
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर एसिटामिनोफेन का उपयोग कम किया गया, तो गर्भवती महिला को बुखार या दर्द रह सकता है, जो मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है।
सुरक्षित है दवा का उपयोग
गाइनेकोलॉजिस्ट अंत में कहती हैं कि ACOG के अनुसार, प्रेग्नेंसी के दौरान अगर महिलाएं सही तरीके से एसिटामिनोफेन (बुखार की दवा) का इस्तेमाल करती हैं, तो यह सुरक्षित है। हालांकि, गर्भावास्था के दौरान किसी भी दवा को लेने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।
डॉक्टर आस्था कहती हैं कि ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) बीमारी का कोई एक ही कारण नहीं होता, इसलिए इसे समझाना थोड़ा मुश्किल है। यह पूरी तरह से जेनेटिक भी नहीं है, बल्कि एक जटिल बीमारी है जो वंशानुगत और पर्यावरणीय दोनों फैक्टर से प्रभावित होती है। कई रिसर्च से पता चलता है कि अगर परिवार में ऑटिज्म का इतिहास है, कुछ विशेष जीन में बदलाव हैं या फिर गर्भावस्था के दौरान मदर को इंफेक्शन और अन्य कॉम्प्लिकेशन्स हुएं हैं, तो यह बच्चे में ऑटिज्म का जोखिम बढ़ा सकती हैं।
नहीं मिला ऐसा कोई सबूत
एक्सपर्ट आगे बताती हैं कि मेडिकल एक्सपर्ट और एफडीए के अनुसार, इस बात का कोई सूबत नहीं है कि प्रेग्नेंसी में टाइलेनॉल (बुखार की दवा) लेने से बच्चे को ऑटिज्म होता है। साथ ही उन्होंने कहा कि कई एक्सपर्ट ने ट्रंप के प्रेग्नेंसी में टाइलेनॉल दवा न लेने के बयान की निंदा की है।
क्या आप बेबी प्लान कर रही हैं ?
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर एसिटामिनोफेन का उपयोग कम किया गया, तो गर्भवती महिला को बुखार या दर्द रह सकता है, जो मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है।
सुरक्षित है दवा का उपयोग
गाइनेकोलॉजिस्ट अंत में कहती हैं कि ACOG के अनुसार, प्रेग्नेंसी के दौरान अगर महिलाएं सही तरीके से एसिटामिनोफेन (बुखार की दवा) का इस्तेमाल करती हैं, तो यह सुरक्षित है। हालांकि, गर्भावास्था के दौरान किसी भी दवा को लेने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।
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