Govardhan Puja Shubh Muhurat 2025: गोवर्धन पूजा का मुहूर्त क्या है। किस समय में गोवर्धन महाराज की पूजा करने से आपको पुण्य़ लाभ मिलेगा। आइए जानतै गोवर्धन पूजा की सारी बातों विस्तार से।
गोवर्धन पूजा पांच दिन के दीपावली महापर्व में चौथे दिन किया जाया है। इस में गोवर्धन महाराज की पूजा अर्चना की जाती है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजन करने का विधान है। मान्यताओं को अनुसार इस दिन अन्नकूट भी भगवान को अर्पित किया जाता है इसलिए इसे अन्नकूट के नाम से जाना जाता है। इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा संबंध बताया गया है। भगवान श्रीकृष्ण ने इस परंपरा की शुरुआत की है।। गोवर्धन पूजा के दिन हर घर में गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज की प्रतिमा बनाई जाती है और पूरे परिवार के साथ शुभ मुहूर्त में पूजा अर्चना की जाती है। लेकिन इस बार दिवाली की तिथि की वजह से गोवर्धन पूजा की तारीख को लेकर उलझन की स्थिति रही है। आइए जानते हैं कब है गोवर्धन पूजा कब और किस मुहूर्त में करना शुभ होगा।
कब है गोवर्धन पूजा 2025
प्रतिपदा तिथि का आरंभ - 21 अक्टूबर, शाम 5 बजकर 55 मिनट से
प्रतिपदा तिथि का समापन - 22 अक्टूबर, रात 8 बजकर 17 मिनट तक
उदया तिथि के आधार पर गोवर्धन पूजा का पर्व 22 अक्टूबर 2025 दिन बुधवार को मनाया जाएगा
गोवर्धन पूजन का शुभ मुहूर्त
गोवर्धन पूजा का पर्व 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा और इस दिन गोवर्धन पूजा का मुहूर्त शाम 5 बजकर 44 मिनट से 8 बजकर 17 मिनट तक है। गोवर्धन पूजा के लिए आपको 2 घंटा 32 मिनट का समय मिलेगा।
गोवर्धन पूजा पर भोग प्रसाद
गोवर्धन पूजा के दिन श्रद्धालु अन्नकूट बनाया बनाकर गिरिरिज महाराज को भोग लगते हैं। अन्नकूट के साथ भगवान कृष्ण के लिए 56 भोग का प्रसाद भी अर्पित किया जाता है। यह परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है।
गोवर्धन पूजा की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वापर युग में कार्तिक मास की प्रतिपदा तिथि के दिन ब्रज में पहले देवराज इंद्र की पूजा हुआ करती थी। लेकिन भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों से इंद्र के बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की सलाह दी। भगवान कृष्ण की बात मानकर ब्रजवासियो ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की परंपरा शुरू की। देवराज इंद्र को जब ब्रज में होने वाली इस घटना की जानकारी मिली तो उन्होंने अपने अहंकार में आकर पूरे ब्रज में मूसलाधार बरसात शुरू कर दी। धीरे धीरे ब्रजमंडल जल में डूबने लगा। लोग इंद्र के कोप से डरने लगे और भगवान श्रीकृष्ण से कहने लगे आपकी बातो में आकर हमनें इंद्रदेव को नाराज कर दिया जिससे उनका कोप हम पर बरस रहा है। तब भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की और इसी के साथ इंद्रदेव के घमंड को भी चकनाचूर कर। चारों तरह अस्त व्यस्त स्थिति होने की वजह से सभी सब्जियों को मिलाकर अन्नकूट तैयार किया गया, तब से हर वर्ष इस तिथि को गोवर्धन महाराज पूजा की जाती है और अन्नकूट का भोग भगवान श्रीकृष्ण को लगाया जाता है।
गोवर्धन पूजा पांच दिन के दीपावली महापर्व में चौथे दिन किया जाया है। इस में गोवर्धन महाराज की पूजा अर्चना की जाती है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजन करने का विधान है। मान्यताओं को अनुसार इस दिन अन्नकूट भी भगवान को अर्पित किया जाता है इसलिए इसे अन्नकूट के नाम से जाना जाता है। इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा संबंध बताया गया है। भगवान श्रीकृष्ण ने इस परंपरा की शुरुआत की है।। गोवर्धन पूजा के दिन हर घर में गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज की प्रतिमा बनाई जाती है और पूरे परिवार के साथ शुभ मुहूर्त में पूजा अर्चना की जाती है। लेकिन इस बार दिवाली की तिथि की वजह से गोवर्धन पूजा की तारीख को लेकर उलझन की स्थिति रही है। आइए जानते हैं कब है गोवर्धन पूजा कब और किस मुहूर्त में करना शुभ होगा।
कब है गोवर्धन पूजा 2025
प्रतिपदा तिथि का आरंभ - 21 अक्टूबर, शाम 5 बजकर 55 मिनट से
प्रतिपदा तिथि का समापन - 22 अक्टूबर, रात 8 बजकर 17 मिनट तक
उदया तिथि के आधार पर गोवर्धन पूजा का पर्व 22 अक्टूबर 2025 दिन बुधवार को मनाया जाएगा
गोवर्धन पूजन का शुभ मुहूर्त
गोवर्धन पूजा का पर्व 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा और इस दिन गोवर्धन पूजा का मुहूर्त शाम 5 बजकर 44 मिनट से 8 बजकर 17 मिनट तक है। गोवर्धन पूजा के लिए आपको 2 घंटा 32 मिनट का समय मिलेगा।
गोवर्धन पूजा पर भोग प्रसाद
गोवर्धन पूजा के दिन श्रद्धालु अन्नकूट बनाया बनाकर गिरिरिज महाराज को भोग लगते हैं। अन्नकूट के साथ भगवान कृष्ण के लिए 56 भोग का प्रसाद भी अर्पित किया जाता है। यह परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है।
गोवर्धन पूजा की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वापर युग में कार्तिक मास की प्रतिपदा तिथि के दिन ब्रज में पहले देवराज इंद्र की पूजा हुआ करती थी। लेकिन भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों से इंद्र के बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की सलाह दी। भगवान कृष्ण की बात मानकर ब्रजवासियो ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की परंपरा शुरू की। देवराज इंद्र को जब ब्रज में होने वाली इस घटना की जानकारी मिली तो उन्होंने अपने अहंकार में आकर पूरे ब्रज में मूसलाधार बरसात शुरू कर दी। धीरे धीरे ब्रजमंडल जल में डूबने लगा। लोग इंद्र के कोप से डरने लगे और भगवान श्रीकृष्ण से कहने लगे आपकी बातो में आकर हमनें इंद्रदेव को नाराज कर दिया जिससे उनका कोप हम पर बरस रहा है। तब भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की और इसी के साथ इंद्रदेव के घमंड को भी चकनाचूर कर। चारों तरह अस्त व्यस्त स्थिति होने की वजह से सभी सब्जियों को मिलाकर अन्नकूट तैयार किया गया, तब से हर वर्ष इस तिथि को गोवर्धन महाराज पूजा की जाती है और अन्नकूट का भोग भगवान श्रीकृष्ण को लगाया जाता है।
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