चंडीगढ़: पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) मोहम्मद मुस्तफा और उनकी पत्नी, पूर्व मंत्री रजिया सुल्ताना अपने बेटे अकील अख्तर की मौत के मामले में फंसे हैं। हरियाणा पुलिस ने दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। यह एफआईआर अकील के सोशल मीडिया पोस्ट्स के आधार पर दर्ज की गई है। इसमें उसने अपने परिवार पर गंभीर आरोप लगाए थे। मुस्तफा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि सच्चाई जल्द सामने आएगी। पुलिस ने कहा है कि एफआईआर दर्ज होने के बाद असली जांच शुरू होगी। अकील को उसके पंचकूला स्थित घर पर बेहोश पाया गया था और अस्पताल ले जाने पर मृत घोषित कर दिया गया था। शुरुआत में पुलिस ने किसी भी साजिश से इनकार किया था, लेकिन अकील के सोशल मीडिया पोस्ट्स और वीडियो सामने आने के बाद मामला पलट गया।
परिवार के सदस्यों की भूमिका पर सवाल
पंचकूला की डीसीपी स्रिष्टि गुप्ता ने बताया कि एक शिकायत मिली थी, जिसमें परिवार के सदस्यों की भूमिका पर सवाल उठाया गया था। सोशल मीडिया पोस्ट्स, वीडियो और तस्वीरों ने शक पैदा किया, जिसके आधार पर एफआईआर दर्ज की गई। उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले की जांच के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) बनाई गई है। इसका नेतृत्व एक एसीपी रैंक के अधिकारी करेंगे। एसआईटी निष्पक्ष और सबूतों के आधार पर जांच करेगी, ताकि किसी भी दोषी को बख्शा न जाए और किसी निर्दोष को परेशान न किया जाए।
पूर्व डीजीपी ने क्या कहा?
पूर्व डीजीपी मोहम्मद मुस्तफा ने एफआईआर दर्ज होने पर कहा कि केस दर्ज होने का मतलब यह नहीं है कि कोई दोषी साबित हो गया है। उन्होंने कहा कि असली जांच अब एफआईआर दर्ज होने के बाद शुरू होगी और कुछ दिनों में सच्चाई जनता के सामने आ जाएगी। उन्होंने इस एफआईआर को गंदी राजनीति और घटिया सोच का नतीजा बताया। मुस्तफा ने कहा कि जिन लोगों ने बेबुनियाद आरोपों के आधार पर एफआईआर दर्ज कराई है, उन्हें भी कानून का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अपने बेटे की मौत से उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे गंदी राजनीति और घटिया सोच वालों के गलत कामों का सामना नहीं कर सकते।
आरोपों को सिरे से खारिज किया
मुस्तफा ने अपने बेटे अकील की मौत के मामले में लगे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने दावा किया कि उनका बेटा पिछले करीब दो दशकों से नशीली दवाओं का आदी था। उन्होंने कहा कि शुरुआती पुलिस जांच के अनुसार, उसने ब्यूप्रेनोरफ्रीन की ओवरडोज ली थी, जिससे उसकी मौत हुई। उन्होंने बताया कि 2007 से वे अकील का इलाज करा रहे थे, जिसमें पीजीआई चंडीगढ़ भी शामिल था, लेकिन वह बार-बार नशे की गिरफ्त में आ जाता था। मुस्तफा ने यह भी बताया कि अकील ने एक बार उनके घर में आग भी लगा दी थी।
कब से नशे का आदी था अकील?
उन्होंने आगे कहा कि अकील तब से नशे का आदी था जब वह देहरादून के वेल्हम बॉयज स्कूल में 10वीं कक्षा में पढ़ता था। उसे चंडीगढ़ के कई स्कूलों से निकाला गया था। 2007 से वे उसका नशा छुड़ाने का इलाज करा रहे थे, लेकिन वह फिर से नशे में चला जाता था। साइकोसिस (मनोविकार) के कारण वह अजीब चीजें सोचने लगा था। वह नशे के लिए अपनी पत्नी और मां से पैसे ऐंठता था और उसने एक बार घर में आग भी लगा दी थी। उन्होंने बताया कि उन्होंने कई बार पंचकूला में उसके खिलाफ पुलिस शिकायतें दर्ज कराई थीं, लेकिन खून का रिश्ता होने के कारण वे शिकायतें वापस ले लेते थे।
आरोपों लगाने वालों पर क्या बोले?
2021 में रिटायर हुए पूर्व डीजीपी ने बताया कि उनका परिवार अकील की नशे की लत से निपटने के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहा था। उन्होंने कहा कि हमने चीजों को घर की चारदीवारी के अंदर रखने की कोशिश की, लेकिन कब तक? उसके कामों के कारण, हमने उसके परिवार के लिए एक किराए का घर लिया, जहां उसकी पत्नी अपने दो बच्चों के साथ रहती है। मेरे पोते (अकील के बेटे) ने अपनी मां को मेरे बेटे द्वारा प्रताड़ित होते देखा और वह डिप्रेशन में चला गया। जो लोग मेरी बहू पर उंगली उठा रहे हैं, उन्हें नहीं पता कि उसने क्या-क्या झेला है। मुस्तफा ने कहा कि उनके बेटे का नशा छुड़ाने का इलाज रिकॉर्ड पर है और वे जांच के लिए तैयार हैं।
बेटे को लेकर किया दावा
उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके बेटे ने उनके सुरक्षा दल और बंदूकधारियों पर भी हमला किया था, और वे काम छोड़कर चले गए थे। एक बार उसने चंडीगढ़ में पुलिस पर भी हमला किया था। मुस्तफा के अनुसार, उनका बेटा साइकोट्रॉपिक दवाओं का आदी था और बाद में उसने सॉफ्ट ड्रग्स का भी सेवन शुरू कर दिया था। कुछ समय पहले कुछ तस्करों ने उसे आईसीई ड्रग दी थी, जिससे वह फिर से नशे में चला गया। वह यह भी याद नहीं रख पाता था कि उसने कोई वीडियो कब रिकॉर्ड किया था और कुछ घंटों बाद अपने शब्दों को पलट देता था।
मामले में नया मोड़
यह मोड़ तब आया जब मलेरकोटला निवासी और परिवार के परिचित शमशुद्दीन चौधरी ने अकील के अगस्त के सोशल मीडिया पोस्ट का हवाला देते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इन पोस्ट में उनके परिवार के सदस्यों पर गंभीर आरोप लगाए गए थे। इनमें उनके पिता और पत्नी के बीच संबंध होने का दावा भी शामिल था और कहा गया था कि उन्हें अपनी जान का डर है। अकील ने अपनी मौत से कुछ हफ़्ते पहले कथित तौर पर रिकॉर्ड किए गए एक वीडियो में कहा था कि मुझे अपनी पत्नी और मेरे पिता के बीच संबंध का पता चला है। मैं बहुत तनाव और मानसिक आघात में हूं... मुझे हर दिन लगता है कि वे मुझे झूठे मामले में फंसा देंगे।
बेटे ने लगाए थे आरोप
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि उनकी मां रजिया सुल्ताना और बहन उनके खिलाफ साजिश का हिस्सा थीं और कहा कि उनकी योजना मुझे झूठे मामलों में फंसाने या मेरी हत्या करवाने की है। उनकी शिकायत और सोशल मीडिया पोस्ट की सामग्री के आधार पर अकील की मौत के सिलसिले में पूर्व डीजीपी (मानवाधिकार), उनकी पत्नी, उनकी बेटी और बहू के खिलाफ एमडीसी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई।
कौन है शमशुद्दीन चौधरी?
शमशुद्दीन चौधरी पहले शिरोमणि अकाली दल से जुड़े थे और बाद में आम आदमी पार्टी (आप) के मलेरकोटला विधायक मोहम्मद जमील उर रहमान के प्रति निष्ठावान हो गए। आप के एक नेता ने बताया कि चौधरी ने लोगों के फोन उठाना बंद कर दिया था और लगभग डेढ़ साल पहले उन्हें पार्टी के साथ काम करना बंद करने के लिए कहा गया था। हालांकि चौधरी ने कहा कि वह मलेरकोटला में मुस्तफा के घर के पास रहते थे और कुछ मौकों पर अकील से मिले थे।
उन्हें 'मानसिक रूप से अस्थिर' करार दिया
एक पोस्ट में अकील ने दावा किया कि उनके परिवार ने उन्हें मानसिक रूप से अस्थिर करार दिया और उनकी इच्छा के विरुद्ध उन्हें एक पुनर्वास केंद्र भेज दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि वीडियो में उन्होंने कहा कि यह कारावास गैरकानूनी था क्योंकि मैं नशे में नहीं था... वे मुझे धमकी देते हैं कि अगर मैंने उनके खिलाफ कोई कदम उठाया, तो वे मुझे बलात्कार या हत्या के मामले में फंसा देंगे। अकील अपने पीछे पत्नी और दो छोटे बच्चों को छोड़ गए हैं। अपने बाद के एक वीडियो में अपने पहले के बयानों से मुकरते हुए दिखाई दिए और उन्हें मानसिक बीमारी का कारण बताया।
कौन हैं मोहम्मद मुस्तफा?
मोहम्मद मुस्तफा 2021 में पंजाब के डीजीपी के पद से रिटायर हुए थे। इसक बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए, जबकि उनकी पत्नी रजिया सुल्ताना मलेरकोटला से तीन बार विधायक रही हैं और 2017 से 2022 के बीच कैबिनेट मंत्री रहीं।
परिवार के सदस्यों की भूमिका पर सवाल
पंचकूला की डीसीपी स्रिष्टि गुप्ता ने बताया कि एक शिकायत मिली थी, जिसमें परिवार के सदस्यों की भूमिका पर सवाल उठाया गया था। सोशल मीडिया पोस्ट्स, वीडियो और तस्वीरों ने शक पैदा किया, जिसके आधार पर एफआईआर दर्ज की गई। उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले की जांच के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) बनाई गई है। इसका नेतृत्व एक एसीपी रैंक के अधिकारी करेंगे। एसआईटी निष्पक्ष और सबूतों के आधार पर जांच करेगी, ताकि किसी भी दोषी को बख्शा न जाए और किसी निर्दोष को परेशान न किया जाए।
पूर्व डीजीपी ने क्या कहा?
पूर्व डीजीपी मोहम्मद मुस्तफा ने एफआईआर दर्ज होने पर कहा कि केस दर्ज होने का मतलब यह नहीं है कि कोई दोषी साबित हो गया है। उन्होंने कहा कि असली जांच अब एफआईआर दर्ज होने के बाद शुरू होगी और कुछ दिनों में सच्चाई जनता के सामने आ जाएगी। उन्होंने इस एफआईआर को गंदी राजनीति और घटिया सोच का नतीजा बताया। मुस्तफा ने कहा कि जिन लोगों ने बेबुनियाद आरोपों के आधार पर एफआईआर दर्ज कराई है, उन्हें भी कानून का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अपने बेटे की मौत से उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे गंदी राजनीति और घटिया सोच वालों के गलत कामों का सामना नहीं कर सकते।
आरोपों को सिरे से खारिज किया
मुस्तफा ने अपने बेटे अकील की मौत के मामले में लगे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने दावा किया कि उनका बेटा पिछले करीब दो दशकों से नशीली दवाओं का आदी था। उन्होंने कहा कि शुरुआती पुलिस जांच के अनुसार, उसने ब्यूप्रेनोरफ्रीन की ओवरडोज ली थी, जिससे उसकी मौत हुई। उन्होंने बताया कि 2007 से वे अकील का इलाज करा रहे थे, जिसमें पीजीआई चंडीगढ़ भी शामिल था, लेकिन वह बार-बार नशे की गिरफ्त में आ जाता था। मुस्तफा ने यह भी बताया कि अकील ने एक बार उनके घर में आग भी लगा दी थी।
कब से नशे का आदी था अकील?
उन्होंने आगे कहा कि अकील तब से नशे का आदी था जब वह देहरादून के वेल्हम बॉयज स्कूल में 10वीं कक्षा में पढ़ता था। उसे चंडीगढ़ के कई स्कूलों से निकाला गया था। 2007 से वे उसका नशा छुड़ाने का इलाज करा रहे थे, लेकिन वह फिर से नशे में चला जाता था। साइकोसिस (मनोविकार) के कारण वह अजीब चीजें सोचने लगा था। वह नशे के लिए अपनी पत्नी और मां से पैसे ऐंठता था और उसने एक बार घर में आग भी लगा दी थी। उन्होंने बताया कि उन्होंने कई बार पंचकूला में उसके खिलाफ पुलिस शिकायतें दर्ज कराई थीं, लेकिन खून का रिश्ता होने के कारण वे शिकायतें वापस ले लेते थे।
आरोपों लगाने वालों पर क्या बोले?
2021 में रिटायर हुए पूर्व डीजीपी ने बताया कि उनका परिवार अकील की नशे की लत से निपटने के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहा था। उन्होंने कहा कि हमने चीजों को घर की चारदीवारी के अंदर रखने की कोशिश की, लेकिन कब तक? उसके कामों के कारण, हमने उसके परिवार के लिए एक किराए का घर लिया, जहां उसकी पत्नी अपने दो बच्चों के साथ रहती है। मेरे पोते (अकील के बेटे) ने अपनी मां को मेरे बेटे द्वारा प्रताड़ित होते देखा और वह डिप्रेशन में चला गया। जो लोग मेरी बहू पर उंगली उठा रहे हैं, उन्हें नहीं पता कि उसने क्या-क्या झेला है। मुस्तफा ने कहा कि उनके बेटे का नशा छुड़ाने का इलाज रिकॉर्ड पर है और वे जांच के लिए तैयार हैं।
बेटे को लेकर किया दावा
उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके बेटे ने उनके सुरक्षा दल और बंदूकधारियों पर भी हमला किया था, और वे काम छोड़कर चले गए थे। एक बार उसने चंडीगढ़ में पुलिस पर भी हमला किया था। मुस्तफा के अनुसार, उनका बेटा साइकोट्रॉपिक दवाओं का आदी था और बाद में उसने सॉफ्ट ड्रग्स का भी सेवन शुरू कर दिया था। कुछ समय पहले कुछ तस्करों ने उसे आईसीई ड्रग दी थी, जिससे वह फिर से नशे में चला गया। वह यह भी याद नहीं रख पाता था कि उसने कोई वीडियो कब रिकॉर्ड किया था और कुछ घंटों बाद अपने शब्दों को पलट देता था।
मामले में नया मोड़
यह मोड़ तब आया जब मलेरकोटला निवासी और परिवार के परिचित शमशुद्दीन चौधरी ने अकील के अगस्त के सोशल मीडिया पोस्ट का हवाला देते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इन पोस्ट में उनके परिवार के सदस्यों पर गंभीर आरोप लगाए गए थे। इनमें उनके पिता और पत्नी के बीच संबंध होने का दावा भी शामिल था और कहा गया था कि उन्हें अपनी जान का डर है। अकील ने अपनी मौत से कुछ हफ़्ते पहले कथित तौर पर रिकॉर्ड किए गए एक वीडियो में कहा था कि मुझे अपनी पत्नी और मेरे पिता के बीच संबंध का पता चला है। मैं बहुत तनाव और मानसिक आघात में हूं... मुझे हर दिन लगता है कि वे मुझे झूठे मामले में फंसा देंगे।
बेटे ने लगाए थे आरोप
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि उनकी मां रजिया सुल्ताना और बहन उनके खिलाफ साजिश का हिस्सा थीं और कहा कि उनकी योजना मुझे झूठे मामलों में फंसाने या मेरी हत्या करवाने की है। उनकी शिकायत और सोशल मीडिया पोस्ट की सामग्री के आधार पर अकील की मौत के सिलसिले में पूर्व डीजीपी (मानवाधिकार), उनकी पत्नी, उनकी बेटी और बहू के खिलाफ एमडीसी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई।
कौन है शमशुद्दीन चौधरी?
शमशुद्दीन चौधरी पहले शिरोमणि अकाली दल से जुड़े थे और बाद में आम आदमी पार्टी (आप) के मलेरकोटला विधायक मोहम्मद जमील उर रहमान के प्रति निष्ठावान हो गए। आप के एक नेता ने बताया कि चौधरी ने लोगों के फोन उठाना बंद कर दिया था और लगभग डेढ़ साल पहले उन्हें पार्टी के साथ काम करना बंद करने के लिए कहा गया था। हालांकि चौधरी ने कहा कि वह मलेरकोटला में मुस्तफा के घर के पास रहते थे और कुछ मौकों पर अकील से मिले थे।
उन्हें 'मानसिक रूप से अस्थिर' करार दिया
एक पोस्ट में अकील ने दावा किया कि उनके परिवार ने उन्हें मानसिक रूप से अस्थिर करार दिया और उनकी इच्छा के विरुद्ध उन्हें एक पुनर्वास केंद्र भेज दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि वीडियो में उन्होंने कहा कि यह कारावास गैरकानूनी था क्योंकि मैं नशे में नहीं था... वे मुझे धमकी देते हैं कि अगर मैंने उनके खिलाफ कोई कदम उठाया, तो वे मुझे बलात्कार या हत्या के मामले में फंसा देंगे। अकील अपने पीछे पत्नी और दो छोटे बच्चों को छोड़ गए हैं। अपने बाद के एक वीडियो में अपने पहले के बयानों से मुकरते हुए दिखाई दिए और उन्हें मानसिक बीमारी का कारण बताया।
कौन हैं मोहम्मद मुस्तफा?
मोहम्मद मुस्तफा 2021 में पंजाब के डीजीपी के पद से रिटायर हुए थे। इसक बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए, जबकि उनकी पत्नी रजिया सुल्ताना मलेरकोटला से तीन बार विधायक रही हैं और 2017 से 2022 के बीच कैबिनेट मंत्री रहीं।
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