नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने भारत और चीन समेत दुनिया के तमाम देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ (Reciprocal Tariff) लगा दिया है। भारत पर तो शुल्क की दर 26 फीसदी ही है लेकिन चीन पर 245 फीसदी का हैवी टैरिफ लगा दिया है। अब भारतीय उद्योग (Indian Industries) जगत डरा हुआ है। इन्हें डर है कि भारत जैसे बड़े बाजार में अपना माल ज्यादा खपाने के लिए अब चीन डीप डिस्काउंट देगा। सस्ते चाइनीज प्रोडक्ट (Chinese Products) के सामने भारत के माल टिक नहीं पाएंगे। इस वजह भारतीय उद्योग जगत सरकार से सेफगार्ड ड्यूटी (Safeguard Duty) और तमाम उपाय करने की गुहार लगा रहा है। ट्रेड डेटा से क्या संकेतइसी सप्ताह भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय (Commerce Ministry) ने साल 2024-25 के लिए व्यापार के आंकड़े (Trade Data) जारी कर दिया है। इस साल चीन से आने वाले सामानों (Import From Chine) में जहां 11.52 फीसदी की भारी बढ़ोतरी हुई है वहीं भारत से चीन को निर्यात होने वाले सामानों (Export to China) में 14.49 फीसदी की गिरावट देखी गई है। स्थिति यह है बीते साल हम चीन को उतना भी निर्यात नहीं कर पाए, जितना कि 11 साल पहले, मतलब कि साल 2013-14 में किया था। लगातार बढ़ रहा है चीन से आयातहम देश में भले ही चीनी वस्तुओं के बहिष्कार (Boycott Chinese Goods) का अभियान चलाएं, लेकिन सच्चाई यही है कि साल 2021-22 से ही चीन से आयात लगातार बढ़ रहा है। साल 2020-21 में चीन से 65.21 बिलियन डॉलर का सामान आया था। इसके एक साल बाद यानी 2021-22 में वहां से 94.57 बिलियन डॉलर इंपोर्ट हुआ। यह 45 फीसदी से भी ज्यादा की बढ़ोतरी है। इसके एक साल बाद, 2022-23 में 98.50 बिलियन डॉलर का चीन से इंपोर्ट हुआ जो कि एक साल पहले के मुकाबले 4.16 फीसदी अधिक है। साल 2023-24 में वहां से 101.73 लाख करोड़ रुपये का सामान आया। मतलब इस साल भी 3.28 फीसदी की बढ़ोतरी। पिछले साल यानी 2024-25 में तो चीन से रिकार्ड 113.45 बिलियन डॉलर का इंपोर्ट हुआ जो कि एक साल पहले के मुकाबले 11.52 फीसदी अधिक है।
निर्यात 2013-14 से भी कमएक ओर चीन से आयात दबा के हो रहा है, दूसरी तरफ अपने यहां से चीन को होने वाले निर्यात में भारी कमी की खबर है। साल 2024-25 में भारत से चीन को महज 14.25 बिलियन डॉलर का सामान एक्सपोर्ट किया गया। यह एक साल पहले यानी 2023-24 के 16.65 बिलियन डॉलर के एक्सपोर्ट के मुकाबले 14.49 फीसदी की भारी कमी है। यही नहीं, बीते साल तो साल 2013-24 से भी कम रहा क्योंकि उस साल हमने 14.82 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट चीन को किया था।
चीन के साथ व्यापार घाटा चिंताजनक स्तर परभारत का चीन के साथ व्यापार घाटा (Trade Deficit) चिंताजनक स्थिति में पहुंच चुका है। बीते साल भारत ने चीन से 113.45 बिलियन डॉलर का इंपोर्ट किया और वहां 14.25 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट। इसका अर्थ हआ कि 99.2 बिलियन डॉलर का व्यापार घाटा। यह अब तक का सर्वाधिक स्तर ही नहीं बल्कि बेहद खतरनाक स्तर है। अब तो चीन और अमेरिका के बीच चल रहे टैरिफ वार के चलते भारत की चिंता और बढ़ गई हैं। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि चीनी कंपनियां अपने माल को भारत जैसे बाजारों में सस्ती कीमत पर भेज सकती है। भारत के लिए वेक-अप कॉलदिल्ली की ट्रेड पॉलिसी थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (Global Trade Research Initiative) के फाउंडर अजय श्रीवास्तव का कहना है कि यह भारत के लिए वेक-अन कॉल की तरह है। उन्होंने न्यूज एजेंसी रायटर से बातचीत में बताया है कि चीन से बढ़ता आयात भारतीय अर्थव्यवस्था की चीन पर एक तरह से आश्रित हो गई है। हम फार्मा सेक्टर, इंजीनियरिंग गुड्स और इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट भी जो बढ़ा रहे हैं, उसमें भी इंपोर्टेड चाइनीज इंस्ट्रुमेंट्स पर काफी निर्भरता है। इससे पार पाने की जरूरत है। कई साल से चल रहा है चीनी माल का विरोधभारतीय जनता पार्टी के दिल्ली के चांदनी चौक के सांसद हैं प्रवीण खंडेलवाल। वह कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के महामंत्री भी हैं। यह संगठन पिछले कई सालों से 'बायकॉट चाइनीज प्रोडक्ट्स' नाम का अभियान चलाये हुए है। उनका यह अभियान दिवाली और होली जैसे त्योहारों में और भी तेज हो जाता है। हर दिवाली वह प्रेस रिलीज जारी कर बताते हैं कि इस अभियान की वजह से चीन को करोड़ों रुपये का व्यापार खोना पड़ा। उनके इस अभियान के बावजूद चीन से आने वाले आयात में इतनी बढ़ोतरी हो रही है। यदि यह अभियान नहीं चलता तो व्यापार घाटा और भी बढ़ सकता था। चीनी सामान खरीदने वालों की कमी नहींचीन से आने वाले सामान की खेप यूं ही नहीं बढ़ रही है। बीते 15 अप्रैल को कम्यूनिटी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लोकल सर्किल ने एक सर्वे का परिणाम जारी किया। इसमें बताया गया था कि पिछले 12 महीने के दौरान 62 फीसदी भारतीयों ने 'मेड इन चाइना' प्रोडक्ट खरीदे हैं। लोकल सर्किल का दावा है कि यह सर्वे में देश भर के 387 जिलों के 39,000 से भी ज्यादा लोग शामिल हुए। सर्वे में शामिल लोगों ने बताया कि बीते 12 महीने के दौरान इन्होंने मेड इन चाइना जो सामान खरीदा, उनमें सबसे ज्यादा घरेलू गैजेट्स और मोबाइल फोन एसेसरीज थे।


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