नई दिल्ली: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ( NSA ) अजीत डोभाल का दफ्तर दिल्ली एयरपोर्ट पर पिछले हफ्ते आई बहुत बड़ी तकनीकी खराबी मामले की जांच कर सकता है। आशंका है कि एटीसी सिस्टम में आई तकनीकी खराबी के पीछे जीपीएस स्पूफिंग ( GPS spoofing ) हो सकती है। आशंका है कि जीपीएस स्पूफिंग की यह घटना तकनीकी खराबी से दो दिन पहले ही महसूस हुई थी। इस तकनीकी खराबी की वजह से 800 से ज्यादा उड़ानें प्रभावित हुईं, उड़ानों में देरी हुईं और कई विमानों को मजबूरन डायवर्ट करना पड़ गया।
जीपीएस स्पूफिंग से उड़ानें प्रभावित!
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार एनएसए अजीत डोभाल का दफ्तर दिल्ली एयरपोर्ट पर संभावित जीपीएस स्पूफिंग घटना की जांच कर सकता है। दरअसल, दिल्ली एयरपोर्ट को लेकर पायलटों का कहना है कि उन्हें गलत नेविगेशन डेटा मिल रहा था। इसका मतलब ये है कि उन्हें रडारों से विमानों की सही पोजीशन नहीं बताई जा रही थी। यही नहीं, उन्हें खतरनाक इलाकों को लेकर गलत चेतावनी भी मिल रही थी। ऐसी समस्या खास तौर पर दिल्ली से 60-नॉटिकल-माइल के दायरे में अधिक देखने को मिल रही थी।
NSCS करेगा जीपीएस स्पूफिंग की जांच
रिपोर्ट के अनुसार जीपीएस स्पूफिंग (GPS spoofing) की इस आशंका की जांच नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सेक्रेटेरिएट (NSCS) करेगा, जो कि एनएसए के अधीन है। पिछले अगस्त महीने में ही नवीन कुमार सिंह को एनएसए दफ्तर का नेशनल साइबर सिक्योरिटी कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया गया है, जो इस तरह से जुड़े मामलों की तहकीकात के लिए जिम्मेदार हैं। रिपोर्ट के अनुसार यह संस्था सरकार की अन्य एजेंसियों और मंत्रालयों के साथ तालमेल करके इस मामले की जांच करेगी।
जीपीएस स्पूफिंग क्या है ?
जीपीएस स्पूफिंग एक तरह का साइबर हमला (cyberattack) है। इसमें नेविगेशन सिस्टम को उनके वास्तविक जगह के बारे में भटकाने के लिए जीपीएस रिसिवर को फर्जी सैटेलाइट सिग्नल भेजे जाते हैं। यह जीपीएस को जाम करने (GPS jamming) से अलग प्रक्रिया है, जो सिग्नल को पूरी तरह से रोक देता है। जीपीएस स्पूफिंग की वजह से रडार में विमान या फिर वाहन अपने वास्तविक जगह से अलग दिख सकते हैं। ऐसे मामले पहले काला सागर और पश्चिम एशिया के संघर्ष वाले क्षेत्रों में देखे जा चुके हैं, लेकिन दिल्ली के हवाई क्षेत्र में ऐसा मामला पहली बार सामने आया है।
जीपीएस स्पूफिंग से उड़ानें प्रभावित!
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार एनएसए अजीत डोभाल का दफ्तर दिल्ली एयरपोर्ट पर संभावित जीपीएस स्पूफिंग घटना की जांच कर सकता है। दरअसल, दिल्ली एयरपोर्ट को लेकर पायलटों का कहना है कि उन्हें गलत नेविगेशन डेटा मिल रहा था। इसका मतलब ये है कि उन्हें रडारों से विमानों की सही पोजीशन नहीं बताई जा रही थी। यही नहीं, उन्हें खतरनाक इलाकों को लेकर गलत चेतावनी भी मिल रही थी। ऐसी समस्या खास तौर पर दिल्ली से 60-नॉटिकल-माइल के दायरे में अधिक देखने को मिल रही थी।
NSCS करेगा जीपीएस स्पूफिंग की जांच
रिपोर्ट के अनुसार जीपीएस स्पूफिंग (GPS spoofing) की इस आशंका की जांच नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सेक्रेटेरिएट (NSCS) करेगा, जो कि एनएसए के अधीन है। पिछले अगस्त महीने में ही नवीन कुमार सिंह को एनएसए दफ्तर का नेशनल साइबर सिक्योरिटी कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया गया है, जो इस तरह से जुड़े मामलों की तहकीकात के लिए जिम्मेदार हैं। रिपोर्ट के अनुसार यह संस्था सरकार की अन्य एजेंसियों और मंत्रालयों के साथ तालमेल करके इस मामले की जांच करेगी।
जीपीएस स्पूफिंग क्या है ?
जीपीएस स्पूफिंग एक तरह का साइबर हमला (cyberattack) है। इसमें नेविगेशन सिस्टम को उनके वास्तविक जगह के बारे में भटकाने के लिए जीपीएस रिसिवर को फर्जी सैटेलाइट सिग्नल भेजे जाते हैं। यह जीपीएस को जाम करने (GPS jamming) से अलग प्रक्रिया है, जो सिग्नल को पूरी तरह से रोक देता है। जीपीएस स्पूफिंग की वजह से रडार में विमान या फिर वाहन अपने वास्तविक जगह से अलग दिख सकते हैं। ऐसे मामले पहले काला सागर और पश्चिम एशिया के संघर्ष वाले क्षेत्रों में देखे जा चुके हैं, लेकिन दिल्ली के हवाई क्षेत्र में ऐसा मामला पहली बार सामने आया है।
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