फरीदाबाद/नई दिल्ली: दिल्ली लाल किला ब्लास्ट के बाद फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी के डॉ. निसार उल हसन को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। सामने आया है कि अल-फलाह विश्वविद्यालय के डॉ. हसन को जम्मू-कश्मीर सरकार ने बर्खास्त कर दिया था। हसन दिल्ली विस्फोट के बाद लापता है। केंद्र सरकार ने ब्लास्ट की जांच एनआईए को सौंपी है। इसके साथ फरीदाबाद में हरियाणा पुलिस और जम्मू कश्मीर पुलिस भी इस मामले में जांच में शामिल हैं। उधर, बुधवार को नेपाल के दौरे से लौटकर पीएम नरेंद्र मोदी ने घायलों से दिल्ली के अस्पताल में मुलाकात की।
जांच में दायरे में आई गुमशुदगी
अल-फलाह यूनिवर्सिटी में डॉ. निसार-उल-हसन पहले श्रीनगर के एसएमएचएस अस्पताल के पूर्व सहायक प्रोफेसर था। जम्मू-कश्मीर सरकार ने 2023 में कथित राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों के लिए बर्खास्त कर दिया था। ब्लास्ट के बाद हसन के गायब होने के बाद सुरक्षा एजेंसियां जांच में जुटी हैं। जम्मू कश्मीर पुलिस ने जैश-ए-मोहम्मद को व्हाइट कॉलर टेटर मॉड्यूल में और डॉक्टरों के शामिल होने का अंदेश व्यक्त किया है। अब तक जांच पांच प्रमुख डॉक्टरों की गिरफ्तारी हो चुकी है तो वहीं काफी अन्य डॉक्टरों को पुलिस ने रडार पर ले रखा है।
अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने तोड़ी चुप्पी
फरीदाबाद के धौज में स्थित अल-फलाह विश्वविद्यालय ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा है कि वह कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ पूरा सहयोग कर रहा है। बयान में कहा गया है यूनिवर्सिटी के दक्षिणी दिल्ली और ओखला कार्यालयों का अभी तक किसी भी जांच दल ने दौरा नहीं किया है। यूनिवर्सिटी प्रशासन की तरफ से गुरुवार को एक विस्तृत मीडिया बयान जारी किए जाने की संभावना है। फरीदाबाद में इसी यूनिवर्सिटी से जुड़े डॉ. मुजम्मिल शकील के यहां से बड़ी मात्रा में आंतकी सामग्री पकड़े जाने बाद यह यूनिवर्सिटी विवादों और जांच के घेरे में आ गई है।
लाल कार को लेकर अलर्ट जारी
ब्लास्ट की जांच के बीच अलर्ट मिलने के बाद दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पुलिस टीमें हमले में इस्तेमाल की गई लाल फोर्ड इकोस्पोर्ट की तलाश में जुटी हैं। इसका नंबर DL10CK0458 है। यह कार उमर उन नबी उर्फ डॉ. उमर मोहम्मद के नाम से पंजीकृत है। खुफिया एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि इकोस्पोर्ट में विस्फोटक हो सकते हैं। इंडिया टुडे ने जांचकर्ताओं के हवाले से लिखा है कि डॉ. उमर ने डॉ. मुजम्मिल और डॉ. शाहीन के साथ मिलकर हमले की योजना बनाई थी। दोनों को सोमवार को फरीदाबाद में 2,900 किलोग्राम विस्फोटक बरामद होने के बाद गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद डॉ. उमर ने अकेले ही विस्फोट को अंजाम दिया था। डॉ. उमर को एक मरीज की मौत के बाद अनंतनाग के एक अस्पताल से निकाल दिया गया था।
जांच में दायरे में आई गुमशुदगी
अल-फलाह यूनिवर्सिटी में डॉ. निसार-उल-हसन पहले श्रीनगर के एसएमएचएस अस्पताल के पूर्व सहायक प्रोफेसर था। जम्मू-कश्मीर सरकार ने 2023 में कथित राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों के लिए बर्खास्त कर दिया था। ब्लास्ट के बाद हसन के गायब होने के बाद सुरक्षा एजेंसियां जांच में जुटी हैं। जम्मू कश्मीर पुलिस ने जैश-ए-मोहम्मद को व्हाइट कॉलर टेटर मॉड्यूल में और डॉक्टरों के शामिल होने का अंदेश व्यक्त किया है। अब तक जांच पांच प्रमुख डॉक्टरों की गिरफ्तारी हो चुकी है तो वहीं काफी अन्य डॉक्टरों को पुलिस ने रडार पर ले रखा है।
अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने तोड़ी चुप्पी
फरीदाबाद के धौज में स्थित अल-फलाह विश्वविद्यालय ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा है कि वह कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ पूरा सहयोग कर रहा है। बयान में कहा गया है यूनिवर्सिटी के दक्षिणी दिल्ली और ओखला कार्यालयों का अभी तक किसी भी जांच दल ने दौरा नहीं किया है। यूनिवर्सिटी प्रशासन की तरफ से गुरुवार को एक विस्तृत मीडिया बयान जारी किए जाने की संभावना है। फरीदाबाद में इसी यूनिवर्सिटी से जुड़े डॉ. मुजम्मिल शकील के यहां से बड़ी मात्रा में आंतकी सामग्री पकड़े जाने बाद यह यूनिवर्सिटी विवादों और जांच के घेरे में आ गई है।
लाल कार को लेकर अलर्ट जारी
ब्लास्ट की जांच के बीच अलर्ट मिलने के बाद दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पुलिस टीमें हमले में इस्तेमाल की गई लाल फोर्ड इकोस्पोर्ट की तलाश में जुटी हैं। इसका नंबर DL10CK0458 है। यह कार उमर उन नबी उर्फ डॉ. उमर मोहम्मद के नाम से पंजीकृत है। खुफिया एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि इकोस्पोर्ट में विस्फोटक हो सकते हैं। इंडिया टुडे ने जांचकर्ताओं के हवाले से लिखा है कि डॉ. उमर ने डॉ. मुजम्मिल और डॉ. शाहीन के साथ मिलकर हमले की योजना बनाई थी। दोनों को सोमवार को फरीदाबाद में 2,900 किलोग्राम विस्फोटक बरामद होने के बाद गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद डॉ. उमर ने अकेले ही विस्फोट को अंजाम दिया था। डॉ. उमर को एक मरीज की मौत के बाद अनंतनाग के एक अस्पताल से निकाल दिया गया था।
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