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भेड़ियों के रहस्य सुलझा रहा बंगाल, पहचाने 2 नए कॉरिडोर

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कोलकाताः हाथी कॉरिडोर के बाद बंगाल ने अब दो भेड़िया गलियारों (वुल्फ कॉरिडोर) का सफलतापूर्वक नक्शा तैयार किया है। यह गलियारे जानवरों को सुरक्षित और संरक्षित जगह देते हैं। जहां यह जानवर बिना किसी इंसानी एक्टीविटी के खुलकर रह सकतें हैं।



इससे कोलकाता से 200 किलोमीटर से भी कम दूरी पर बसे इंडस्ट्रियल शहर दुर्गापुर के पास शहरी भेड़ियों की आवाजाही के तरीकों का पता चला है। यह कॉरिडोर मैपिंग पश्चिम बर्द्धमान में चल रही भारतीय ग्रे वुल्फ संरक्षण परियोजना का हिस्सा है और मुमकिन है भारत में यह इस तरह का पहला प्रयास है।

30 भेड़ियों की पहचान दुर्गापुर में वाइल्डलाइफ इन्फर्मेशन एंड नेचर गाइड सोसाइटी (WINGS) ने बंगाल वन विभाग और WWF इंडिया की मदद से कम से कम 30 भेड़ियों की पहचान की है। ये चार-चार के झुंड में रहते हैं और पश्चिम और पूर्व बर्द्धमान को जोड़ने वाले गलियारों का इस्तेमाल करते हैं। बर्द्धमान 2024 में साउथ बंगाल में भारतीय भेड़ियों पर हुई एक स्टडी में यह जानकारी मिली है कि दुर्गापुर के पास 15 से 24 भेड़िए पाए गए हैं।



इकोलॉजिस्ट और WINGS के सचिव अर्कज्योति मुखर्जी ने बताया कि पहचाने गए गलियारे पश्चिम बर्द्धमान के माधाईगंज-काटाबेरिया के जंगलों से दुर्गापुर के गढ़ जंगल तक फैले हैं। दुर्गापुर रेंज के जंगल दोनों जिलों पूर्व और पश्चिम बर्द्धमान में फैले हुए हैं। image

देश के जंगलों में 3,000 भारतीय भेड़िये ही बचे मुखर्जी के अनुसार, पिछले डेढ़ साल में इन गलियारों में सबसे अधिक भेड़िये देखे गए हैं, जिनमें से हर एक गलियारा 10 किलोमीटर से अधिक लंबा है। लीड फील्ड एक्सपर्ट मनीष कुमार चट्टोपाध्याय का कहना है कि स्टडी में दो मुख्य प्रजनन स्थलों और कई मिलन स्थलों की पहचान हुई है। यह ऐसी जगहें हैं, जिनका इस्तेमाल भेड़िये अपने बच्चों के बड़े हो जाने के बाद उनकी देखभाल के लिए करते हैं। भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) की हाल में की गई स्टडी में अनुमान लगाया गया है कि देश के जंगलों में अब लगभग 3,000 भारतीय भेड़िये ही बचे हैं।

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