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चार साल पहले लिफ्ट में कुत्ते ने काटा, मुंबई की अदालत ने मालिक को सुनाई 4 महीने कैद की सजा, जुर्माना भी लगाया

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मुंबई: वर्ली के रहने वाले 40 वर्षीय ऋषभ पटेल को कोर्ट ने चार महीने की कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही अदालत ने उस पर 4,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने ये फैसला पटेल के पालतू कुत्ते द्वारा लिफ्ट में एक पड़ोसी को काटने की घटना के चलते सुनाया है। यह मामला वर्ली के अल्फा अपार्टमेंट का है, जहां 2021 में यह घटना घटी थी। पटेल पर भारतीय दंड संहिता की धारा 289 (पालतू जानवर को नियंत्रण में न रखने) और 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) के तहत मुकदमा चला। अदालत में प्रस्तुत सीसीटीवी फुटेज और चश्मदीद गवाहों की गवाही के आधार पर, न्यायिक मजिस्ट्रेट सुहास भोसले ने पटेल को दोषी करार दिया। उन्होंने अपने निर्णय में कहा कि आरोपी ने लिफ्ट में जबरदस्ती अपने कुत्ते को घसीटा, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उसे न तो अपने पालतू जानवर की परवाह है और न ही दूसरों की सुरक्षा की। जानें पूरा मामलाजानकारी के अनुसार, पीड़ित रामिक शाह अपने डेढ़ वर्षीय बेटे और घरेलू सहायक अनुज सिंह के साथ चौथी मंजिल से नीचे जा रहे थे। जब लिफ्ट तीसरी मंजिल पर रुकी, तो पटेल अपने कुत्ते के साथ खड़े थे। शाह ने अनुरोध किया कि वह अगली लिफ्ट लें, क्योंकि उनका बेटा कुत्तों से डरता है। बावजूद इसके, पटेल ने कुत्ते को जबरन लिफ्ट में खींच लिया, जिससे कुत्ते ने शाह के बाएं हाथ पर काट लिया। घटना के बाद शाह, उनका बेटा और सहायिका लिफ्ट से बाहर निकल गए, लेकिन पटेल ने कथित रूप से उनका पीछा कर उन्हें चुनौती दी कि जो करना है कर लो। बाद में शाह ने मेडिकल उपचार कराया और पुलिस में शिकायत दर्ज की। नौकर की गवाही कोर्ट ने मानीमुकदमे के दौरान, पीड़ित रामिक शाह और उनके नौकर अनुज सिंह ने अदालत में गवाही दी। उन्होंने स्पष्ट रूप से बताया कि पटेल ने बार-बार निवेदन करने के बावजूद जबरदस्ती कुत्ते को लिफ्ट में खींचा। बचाव पक्ष ने चिकित्सा उपचार में देरी और रेबीज वैक्सीन न लेने जैसी बातें उठाईं, लेकिन मजिस्ट्रेट ने गवाहों की गवाही को सुसंगत और विश्वसनीय माना। अदालत ने कहा कि केवल इस आधार पर कि गवाह वादी का नौकर है, उसकी गवाही को खारिज नहीं किया जा सकता, यदि वह अन्य साक्ष्यों के अनुरूप है। कोर्ट ने पटेल के कृत्य को स्वैच्छिक और लापरवाहीपूर्ण बताते हुए कठोर सजा सुनाई, यह कहते हुए कि उसे अधिक नरमी नहीं दिखाई जा सकती।
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