नई दिल्ली: रिलायंस इंडस्ट्रीज रूस से कच्चे तेल की खरीदारी कम कर सकती है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी का कहना है कि वह रूस से कच्चे तेल का आयात सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार करेगी। यह फैसला अमेरिका और यूरोप द्वारा रूस पर लगाए गए नए प्रतिबंधों के बाद आया है। रिलायंस रूस से सबसे ज्यादा कच्चा तेल खरीदने वाली भारतीय कंपनी है। अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने के लिए भारत पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगाया है।
रिलायंस से जब पूछा गया कि क्या कंपनी रूस से तेल का आयात कम करने की योजना बना रही है, तो उसने कहा कि हम रूस से तेल आयात को धीरे-धीरे बदल रहे हैं और भारत सरकार के नियमों के अनुसार ही इसमें बदलाव करेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को यूक्रेन युद्ध के संबंध में रूस पर पहली बार प्रतिबंध लगाए। उन्होंने रूसी तेल कंपनियों Lukoil और Rosneft को निशाना बनाया। इससे पहले यूरोपीय संघ ने भी रूस पर 19वें चरण के प्रतिबंध लगाए हैं। इसमें रूसी LNG के आयात पर प्रतिबंध भी शामिल था।ब्रिटेन ने भी पिछले हफ्ते Lukoil और Rosneft पर प्रतिबंध लगाए थे।
रूस से तेल का आयात
एक सूत्र ने बताया कि अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भारत की सरकारी रिफाइनरी कंपनियां रूस के साथ तेल खरीद समझौतों की समीक्षा कर रही हैं। वे यह सुनिश्चित कर रही हैं कि Lukoil और Rosneft से सीधे तौर पर कोई भी सप्लाई न आए। रूस भारत का सबसे बड़ा क्रूड सप्लायर है। भारत अपनी जरूरत का लगभग 34% कच्चा तेल रूस से आयात करता है। हाल के दिनों में रूस से तेल की खरीद में गिरावट आई है जबकि अमेरिका से तेल और गैस की सप्लाई बढ़ी है। भारत की कुल तेल और गैस की जरूरत का लगभग 10% अमेरिका से आता है।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार रूसी तेल पर मिल रही छूट और कच्चे तेल के बेंचमार्क मूल्य के बीच का अंतर काफी कम हो गया है। 2023 में यह 23 डॉलर प्रति बैरल से अधिक था जो अक्टूबर में सिर्फ 2-2.5 डॉलर प्रति बैरल रह गया है। इससे मिडिल ईस्ट और अमेरिकी कच्चे तेल अधिक प्रतिस्पर्धी बन गए हैं। रूसी तेल पर डिस्काउंट के कारण भारत को वित्तीय वर्ष 2025 में 3.8 अरब डॉलर की बचत हुई। ट्रंप द्वारा रूस पर प्रतिबंधों की घोषणा के बाद तेल की कीमतों में 2 डॉलर प्रति बैरल से अधिक की बढ़ोतरी हुई। ब्रेंट क्रूड लगभग 64 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया।
रिलायंस से जब पूछा गया कि क्या कंपनी रूस से तेल का आयात कम करने की योजना बना रही है, तो उसने कहा कि हम रूस से तेल आयात को धीरे-धीरे बदल रहे हैं और भारत सरकार के नियमों के अनुसार ही इसमें बदलाव करेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को यूक्रेन युद्ध के संबंध में रूस पर पहली बार प्रतिबंध लगाए। उन्होंने रूसी तेल कंपनियों Lukoil और Rosneft को निशाना बनाया। इससे पहले यूरोपीय संघ ने भी रूस पर 19वें चरण के प्रतिबंध लगाए हैं। इसमें रूसी LNG के आयात पर प्रतिबंध भी शामिल था।ब्रिटेन ने भी पिछले हफ्ते Lukoil और Rosneft पर प्रतिबंध लगाए थे।
रूस से तेल का आयात
एक सूत्र ने बताया कि अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भारत की सरकारी रिफाइनरी कंपनियां रूस के साथ तेल खरीद समझौतों की समीक्षा कर रही हैं। वे यह सुनिश्चित कर रही हैं कि Lukoil और Rosneft से सीधे तौर पर कोई भी सप्लाई न आए। रूस भारत का सबसे बड़ा क्रूड सप्लायर है। भारत अपनी जरूरत का लगभग 34% कच्चा तेल रूस से आयात करता है। हाल के दिनों में रूस से तेल की खरीद में गिरावट आई है जबकि अमेरिका से तेल और गैस की सप्लाई बढ़ी है। भारत की कुल तेल और गैस की जरूरत का लगभग 10% अमेरिका से आता है।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार रूसी तेल पर मिल रही छूट और कच्चे तेल के बेंचमार्क मूल्य के बीच का अंतर काफी कम हो गया है। 2023 में यह 23 डॉलर प्रति बैरल से अधिक था जो अक्टूबर में सिर्फ 2-2.5 डॉलर प्रति बैरल रह गया है। इससे मिडिल ईस्ट और अमेरिकी कच्चे तेल अधिक प्रतिस्पर्धी बन गए हैं। रूसी तेल पर डिस्काउंट के कारण भारत को वित्तीय वर्ष 2025 में 3.8 अरब डॉलर की बचत हुई। ट्रंप द्वारा रूस पर प्रतिबंधों की घोषणा के बाद तेल की कीमतों में 2 डॉलर प्रति बैरल से अधिक की बढ़ोतरी हुई। ब्रेंट क्रूड लगभग 64 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया।
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