नई दिल्ली: भारत में पेमेंट का तरीका तेजी से बदल रहा है। साल 2025 की पहली छमाही के आंकड़ों के मुताबिक, कुल पेमेंट लेनदेन में से 99.8% डिजिटल तरीके से हुए हैं। इसका मतलब है कि लगभग सारे भुगतान अब ऑनलाइन हो रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार कुल भुगतान लेनदेन के मूल्य में भी डिजिटल भुगतान का हिस्सा 97.7% रहा। इस अवधि में कुल भुगतान का मूल्य 1572 लाख करोड़ रुपये था, जिसमें से 1536 लाख करोड़ रुपये डिजिटल भुगतान के जरिए हुए। यह दिखाता है कि डिजिटल भुगतान अब भारत में भुगतान का मुख्य जरिया बन गया है।
UPI या RTGS... कौन किसमें आगे?डिजिटल भुगतान के कई तरीके हैं, जिनमें UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) और RTGS (रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट) प्रमुख हैं। साल 2025 की पहली छमाही में UPI ने लेनदेन की मात्रा के मामले में सबसे बड़ा हिस्सा, यानी 85% पर कब्जा किया। हालांकि मूल्य के मामले में यूपीआई की हिस्सेदारी सिर्फ 9% रही। वहीं RTGS सिस्टम ने मूल्य के मामले में 69% का सबसे बड़ा हिस्सा दर्ज किया, जबकि मात्रा के मामले में इसकी हिस्सेदारी सिर्फ 0.1% रही।
ऐसा इसलिए है क्योंकि यूपीआई के जरिए छोटे लेनदेन बहुत ज्यादा होते हैं। इस कारण मात्रा में इसकी हिस्सेदारी ज्यादा होती है, लेकिन मूल्य में कम। वहीं आरटीजीएस जिसे होलसेल पेमेंट सिस्टम भी कहा जाता है, बड़े लेनदेन के लिए इस्तेमाल होता है। इसमें कम से कम 2 लाख रुपये के लेनदेन की सीमा है, इसलिए यह मूल्य के मामले में ज्यादा योगदान देता है।
CCIL ट्रांजेक्शन में भी आई तेजीबड़े मूल्य के भुगतान सिस्टम (LVPS) में RTGS के अलावा क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (CCIL) द्वारा संचालित सिस्टम भी शामिल हैं। सीसीआईएल के लेनदेन में भी पिछले कुछ सालों में बढ़ोतरी देखी गई है। साल 2019 में जहां 35 लाख लेनदेन हुए थे, वहीं साल 2024 में यह संख्या बढ़कर 45 लाख हो गई। मूल्य के मामले में, यह 1,270 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2,780 लाख करोड़ रुपये हो गया। साल 2025 की पहली छमाही में सीसीआईएल में 28.8 लाख लेनदेन हुए, जिनका कुल मूल्य 1,734 लाख करोड़ रुपये था।
सरकारी प्रतिभूति बाजार में भी विस्ताररिजर्व बैंक ने यह भी बताया कि सरकारी प्रतिभूति (Government Securities) बाजार में भी काफी विस्तार हुआ है। साल 2019 में जहां इसका मूल्य 769 लाख करोड़ रुपये था, वहीं साल 2024 तक यह बढ़कर 1,812 लाख करोड़ रुपये हो गया। साल 2024 में लेनदेन की मात्रा भी साल 2019 के 13.76 लाख से बढ़कर 17.6 लाख हो गई। साल 2025 की पहली छमाही में, 9.85 लाख लेनदेन हुए जिनका कुल मूल्य 994 लाख करोड़ रुपये था।
UPI या RTGS... कौन किसमें आगे?डिजिटल भुगतान के कई तरीके हैं, जिनमें UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) और RTGS (रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट) प्रमुख हैं। साल 2025 की पहली छमाही में UPI ने लेनदेन की मात्रा के मामले में सबसे बड़ा हिस्सा, यानी 85% पर कब्जा किया। हालांकि मूल्य के मामले में यूपीआई की हिस्सेदारी सिर्फ 9% रही। वहीं RTGS सिस्टम ने मूल्य के मामले में 69% का सबसे बड़ा हिस्सा दर्ज किया, जबकि मात्रा के मामले में इसकी हिस्सेदारी सिर्फ 0.1% रही।
ऐसा इसलिए है क्योंकि यूपीआई के जरिए छोटे लेनदेन बहुत ज्यादा होते हैं। इस कारण मात्रा में इसकी हिस्सेदारी ज्यादा होती है, लेकिन मूल्य में कम। वहीं आरटीजीएस जिसे होलसेल पेमेंट सिस्टम भी कहा जाता है, बड़े लेनदेन के लिए इस्तेमाल होता है। इसमें कम से कम 2 लाख रुपये के लेनदेन की सीमा है, इसलिए यह मूल्य के मामले में ज्यादा योगदान देता है।
CCIL ट्रांजेक्शन में भी आई तेजीबड़े मूल्य के भुगतान सिस्टम (LVPS) में RTGS के अलावा क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (CCIL) द्वारा संचालित सिस्टम भी शामिल हैं। सीसीआईएल के लेनदेन में भी पिछले कुछ सालों में बढ़ोतरी देखी गई है। साल 2019 में जहां 35 लाख लेनदेन हुए थे, वहीं साल 2024 में यह संख्या बढ़कर 45 लाख हो गई। मूल्य के मामले में, यह 1,270 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2,780 लाख करोड़ रुपये हो गया। साल 2025 की पहली छमाही में सीसीआईएल में 28.8 लाख लेनदेन हुए, जिनका कुल मूल्य 1,734 लाख करोड़ रुपये था।
सरकारी प्रतिभूति बाजार में भी विस्ताररिजर्व बैंक ने यह भी बताया कि सरकारी प्रतिभूति (Government Securities) बाजार में भी काफी विस्तार हुआ है। साल 2019 में जहां इसका मूल्य 769 लाख करोड़ रुपये था, वहीं साल 2024 तक यह बढ़कर 1,812 लाख करोड़ रुपये हो गया। साल 2024 में लेनदेन की मात्रा भी साल 2019 के 13.76 लाख से बढ़कर 17.6 लाख हो गई। साल 2025 की पहली छमाही में, 9.85 लाख लेनदेन हुए जिनका कुल मूल्य 994 लाख करोड़ रुपये था।
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