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संसद के शीतकालीन सत्र की तारीख आने के साथ ही शुरू हो गया विरोध, जानें क्या कह रही कांग्रेस, TMC

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नई दिल्ली : संसद के शीतकालीन सत्र के तारीखों की घोषणा हो चुकी है। तारीखों की घोषणा के साथ ही सत्र का विरोध शुरू हो गया है। विरोध की शुरुआत कांग्रेस की तरफ से की गई है। खास बात है कि कांग्रेस को विपक्षी साथी तृणमूल कांग्रेस का भी समर्थन मिल गया है। कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि एक दिसंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में 'असामान्य रूप से देरी और कटौती' की गई है, क्योंकि सरकार के पास कोई विधायी कामकाज नहीं है तथा चर्चा भी नहीं होने दी जाएगी। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि इस साल शीतकालीन सत्र में महज 15 कार्य दिवस होंगे।

पारित करने के लिए कोई विधेयक ही नहीं
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि कहा, 'अभी घोषणा की गई है कि संसद का शीतकालीन सत्र एक दिसंबर से 19 दिसंबर तक होगा। इसमें असामान्य रूप से देरी और कटौती की गई है। यह केवल 15 कार्य दिवस होंगे।' रमेश ने सवाल किया कि क्या संदेश दिया जा रहा है? उन्होंने दावा किया, ' स्पष्ट रूप से सरकार के पास कोई विधायी कामकाज नहीं है, पारित करने के लिए कोई विधेयक नहीं है और चर्चा की अनुमति नहीं है।'



टीएमसी का मिला साथ

संसद के शीतकालीन सत्र की तारीखों की घोषणा के बाद, तृणमूल कांग्रेस नेता डेरेक ओ ब्रायन ने भी कांग्रेस का साथ दिया। टीएमसी नेता ने दावा किया कि सत्तारूढ़ बीजेपी नीत सरकार संसद का सामना करने से डर रही है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू द्वारा शीतकालीन सत्र की तारीखों की घोषणा के ठीक बाद तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य ब्रायन ने सरकार पर निशाना साधा।

ब्रायन ने ‘एक्स’ पर कहा कि संसद का डर सता रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी टीम को संसद का सामना करने से डर लगता है।’’ उन्होंने कहा: '15 दिवसीय शीतकालीन सत्र की घोषणा की गई है। यह संदिग्ध रिकॉर्ड स्थापित कर रहा है।' इससे पहले, दिन में संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने घोषणा की कि संसद का शीतकालीन सत्र एक से 19 दिसंबर तक आयोजित किया जाएगा। पिछले साल शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से 20 दिसंबर तक आयोजित किया गया था।
(एजेंसी इनपुट के साथ)

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