Country Code +91: भारत में हर फोन नंबर +91 से शुरू होता है। यह कोड भारत की पहचान है। जब कोई विदेश से भारत कॉल करता है, तो यह कोड फोन को सही जगह भेजता है। यह सिस्टम पुराना है। 1960 के दशक में, दुनिया भर के फोन सिस्टम को एक जैसा बनाने के लिए इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन (ITU) नाम का संगठन बना। यह संयुक्त राष्ट्र का हिस्सा है। उन्होंने दुनिया को 9 जोनों में बांटा। हर जोन को एक नंबर दिया। भारत दक्षिण एशिया में जोन 9 में आता है। इसलिए, भारत का कोड 9 से शुरू होता है। फिर भारत को खास नंबर 1 दिया गया। इस तरह '+91' बना। यह कोड ब्रिटिश काल से जुड़ा है। पहले कोड थोड़ा लंबा था, लेकिन बाद में छोटा कर दिया गया। चलिए, जानते हैं कि यह कंट्री कोड किस काम आता है और इसे कभी क्यों नहीं बदला गया?
यह कोड किस काम का है+91 का काम इंटरनेशनल कॉल को सही देश भेजना है। मान लीजिए, अमेरिका से कोई भारत कॉल करे। वह पहले +91 डायल करेगा, फिर लोकल नंबर। इससे फोन सिस्टम समझ जाता है कि कॉल भारत जाना है। यह मोबाइल और लैंडलाइन दोनों पर काम करता है। भारत की बड़ी आबादी और अर्थव्यवस्था के कारण छोटा कोड मिला। लंबे कोड से कॉलिंग मुश्किल होती। यह कोड सभी फोन कंपनियों में एक जैसा है। इससे दुनिया भर से लोग आसानी से भारत से जुड़ पाते हैं।
क्यों कभी नहीं बदला गया ये कोड?देश के कोड बदलना बहुत मुश्किल है। ITU के नियम सख्त हैं। बदलाव से अरबों नंबर बदलने पड़ेंगे। यह महंगा पड़ेगा और लोगों में कंफ्यूजन की स्थिति पैदा होगी। भारत जैसे बड़े देश में करोड़ों यूजर्स हैं। बदलाव से कॉल सिस्टम रुक सकता है। नई तकनीक आने पर भी पुराने कोड रखे जाते हैं। जैसे, +1 अमेरिका का है, वह भी नहीं बदला। कुछ देशों के कोड बदले, जैसे सोवियत संघ टूटने पर वहां के कोड में बदलाव हुआ।
पांच अन्य मशहूर देशों के कोड
लैंडलाइन से 5G तक,
— DoT India (@DoT_India) November 10, 2025
बहुत कुछ बदला पर +91 वही रहा,
हर कॉल में, हर दिल में
भारत का कनेक्शन!#DoT #Telecom @JM_Scindia @PemmasaniOnX @neerajmittalias @USOF_India @pib_comm @PIB_India pic.twitter.com/MP8qBE1doH
यह कोड किस काम का है+91 का काम इंटरनेशनल कॉल को सही देश भेजना है। मान लीजिए, अमेरिका से कोई भारत कॉल करे। वह पहले +91 डायल करेगा, फिर लोकल नंबर। इससे फोन सिस्टम समझ जाता है कि कॉल भारत जाना है। यह मोबाइल और लैंडलाइन दोनों पर काम करता है। भारत की बड़ी आबादी और अर्थव्यवस्था के कारण छोटा कोड मिला। लंबे कोड से कॉलिंग मुश्किल होती। यह कोड सभी फोन कंपनियों में एक जैसा है। इससे दुनिया भर से लोग आसानी से भारत से जुड़ पाते हैं।
क्यों कभी नहीं बदला गया ये कोड?देश के कोड बदलना बहुत मुश्किल है। ITU के नियम सख्त हैं। बदलाव से अरबों नंबर बदलने पड़ेंगे। यह महंगा पड़ेगा और लोगों में कंफ्यूजन की स्थिति पैदा होगी। भारत जैसे बड़े देश में करोड़ों यूजर्स हैं। बदलाव से कॉल सिस्टम रुक सकता है। नई तकनीक आने पर भी पुराने कोड रखे जाते हैं। जैसे, +1 अमेरिका का है, वह भी नहीं बदला। कुछ देशों के कोड बदले, जैसे सोवियत संघ टूटने पर वहां के कोड में बदलाव हुआ।
पांच अन्य मशहूर देशों के कोड
- अमेरिका: +1 (उत्तरी अमेरिका जोन से)
- यूनाइटेड किंगडम: +44 (यूरोप जोन से)
- जर्मनी: +49 (यूरोप जोन से)
- फ्रांस: +33 (यूरोप जोन से)
- जापान: +81 (एशिया जोन से)
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