कॉन्ट्रेक्ट बेस्ड मैरिज का कॉन्सेप्ट अभी भी भारतीयों के लिए नया है क्योंकि यहां शादी को पर्मानेंट इंस्टीट्यूशन माना जाता रहा है। सदियों से लोग इसे जीवन से मृत्यु तक का सफर ही मान रहे हैं। लेकिन अब नए दौर के कपल इमोशनल और प्रैक्टिकल लाइफ के बीच बैलेंस बनाने के लिए कॉन्ट्रेक्ट बेस्ड मैरिज का चुनाव करने लगे हैं।तादाद भले ही कम है लेकिन यह युवा जोड़ों के जीवन में शामिल हो चुका शब्द है। इसलिए जरूरी है कि इससे जुड़े हानि-लाभ, गलत-सही और करें या न करें, का जवाब ढूंढ लिया जाए। नई दिल्ली की रिलेशनशिप काउंसलर और स्प्रिचुअल हीलर डॉ. मधु कोटिया ने ऐसे सभी जवाब देने की कोशिश की है। एक्सपायरी डेट वाली शादी
आज के बदलते दौर में कॉन्ट्रेक्ट बेस्ड मैरिज के बारे में जानने और अपनाने की कोशिश शुरू हो चुकी हैं। डॉ. मधु कोटिया शादी मानती हैं कि लोग आज भी शादी को स्थाई रिश्ता ही मानते हैं। लेकिन कॉन्ट्रेक्ट बेस्ड मैरिज एक्सपायरी डेट के साथ आती हैं, जहां जोड़े को पता होता है कि वह कितने दिन तक साथ रहेंगे। या वो चाहें तो कॉन्ट्रेक्ट रिन्यू करने या न करने का ऑप्शन भी उनके पास होता है। इस तरह की शादी में आप एक निश्चित समय तक एक दूसरे के साथ का मूल्यांकन आसानी से कर पाते हैं। हमेशा का बंधनकॉन्ट्रेक्ट बेस्ड मैरिज शादी के हमेशा वाले बंधन की अवधारणा को तोड़ती है। व्यक्तिगत जरूरतें, उद्देश्य और दिशाएं बदलने के साथ लोगों ने शादी के इस नए रूप को अपनाना शुरू किया है जो एक्सपायरी डेट ऑफर करता है। शादी के साथ किया गया यह अनुबंध जोड़ों को नियमित अंतराल पर रिश्ते के मूल्यांकन का मौका देता है जिससे एक दूसरे को समझने और कम्युनिकेशन बनाए रखने का ऑप्शन मिल जाता है। यह कॉन्सेप्ट दायित्व और सामजिक अपेक्षाओं पर शादी चलाने के लिए नहीं बल्कि पसंद और प्यार को शादी का आधार बनाने पर फोकस करता है। तलाक के मामलेकॉन्ट्रेक्ट बेस्ड मैरिज हर रोज तलाक के बढ़ते मामलों का ग्राफ गिराने के लिए भी कारगर हो सकती है। इसमें रिन्यूवल के विकल्प के साथ एक दूसरे को समझने और साथ निभाने की कोशिश हर जोड़ा करता है। इस शादी में नएपन का मौका हमेशा ही हमारे पास होता है। कॉन्ट्रेक्ट वाले इस रिश्ते में बने रहने के लिए किसी खास अपेक्षा को पूरा करने का दबाव भी नहीं होता है। आध्यात्मिक विकासडॉ. मधु कोटिया कहती हैं कि आजकल जोड़े ऐसे रिश्ते में आना चाहते हैं जो उनके आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा दे। कॉन्ट्रेक्ट बेस्ड मैरिज में आपको एक दूसरे के आध्यात्मिक दृष्टिकोण को समझने का मौका मिलता है। जिससे जोड़े आने वाले जीवन में बिना किसी दबाव के एक दूसरे के साथ को बेहतरी के लिए अपना पाते हैं। यह शादी जोड़ों को यह भी समझाती है कि हर किसी की पूर्वनिर्धारित भूमिका होती है। जहां कुछ लोग मृत्यु तक साथ निभाते हैं तो कुछ जीवन के कुछ हिस्से तक ही साथ रहते हैं। इस बात को समझकर जीवन और रिश्ते में संतुलन के साथ सद्भाव भी लाया जा सकता है। चिंताएं और परेशानियांकॉन्ट्रेक्ट बेस्ड मैरिज में कुछ खामियां भी होती हैं। इसमें सिक्योरिटी और स्थिरता को लेकर तब दिक्कतें बढ़ती हैं जब इस शादी में बच्चे भी हुए हों। इस रिश्ते में पर्सनल कनेक्शन की कमी भी होती है। इसके चलते शादी पवित्र संस्था होने के बजाए अनुबंध आधारित रिश्ता बन जाता है। इसका गहरा भावनात्मक, आध्यात्मिक और सामाजिक प्रभाव पड़ता है और इस पर विचार किया जाना जरूरी है। प्रतिबंध हो लेकिन लचीलाकुछ लोग होते हैं जो प्रतिबंध को लचीला बनाना चाहते हैं, कॉन्ट्रेक्ट बेस्ड मैरिज उनके लिए परफेक्ट मानी जा सकती हैं। इसमें प्रतिबद्धता और जिम्मेदारी के साथ व्यक्तिगत निर्णयों को पूरा सम्मान मिल पाता है। इस तरह से हर किसी के अलग-अलग विश्वास होने पर भी जरूरतें पूरी हो पाती हैं। रिश्ता कोई भी, यह जरूरीएक्सपर्ट मानती हैं कि रिश्ता कैसा भी हो, चाहे कॉन्ट्रेक्ट बेस्ड मैरिज हो या फिर पारंपरिक, शादी में एक दूसरे के प्रति विकास, सम्मान और प्रेम जरूर होना चाहिए। शादी में एक्सपायरी डेट की बात आती है तो यह इस बात पर निर्भर करता है कि समाज इस बदलाव को कब तक स्वीकार करने को तैयार है। इस बारे में बात की जानी चाहिए, जिससे रिश्तों की गहराई और प्रतिबद्धता को समझने में मदद मिल सकेगी।

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