जोधपुर: राजस्थान के जोधपुर से एक ऐसी मार्मिक घटना सामने आई है, जो किसी भी संवेदनशील इंसान को झकझोर दे। एक पिता ने अपने मृत बेटे का कफन हाथ में लेकर जिला कलेक्टर के सामने गुहार लगाते हुए कहा कि मेरे बच्चे को दफनाने के लिए जमीन चाहिए। दरअसल, यह सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे सांसी समाज की पीड़ा है, जो सालों से अपने मासूमों को सड़क किनारे दफनाने को मजबूर हैं। कफन लेकर जिला कलेक्टर के दरबार में पहुंचा पितादरअसल, राजस्थान के जोधपुर जिले से घटित हुए इस मंजर ने हर संवेदनशील दिल को झकझोर कर रख दिया है। जब एक पिता अपने मासूम बेटे के शव के लिए खरीदा गया कफन लेकर खुद जिला कलेक्टर के दरबार में पहुंचा, तो वहां मौजूद हर आंख नम हो गई। बेटे की मौत के गम से टूटा यह पिता, हाथ में सफेद कफन, आंखों में आंसू और होठों पर बस एक सवाल लेकर आया था- क्या हमारे बच्चों को दफनाने के लिए दो गज जमीन भी नहीं बची? गरीबों के बच्चों को सम्मान से दफनाने का हकदार नहीं?आपको बताते चले कि हाल ही में विक्रम सांसी के बेटे की मौत हुई। वह पूरे शहर में भटकता रहा, लेकिन उसके बच्चे को दफनाने के लिए दो गज जमीन भी नहीं मिली। आखिरकार, उसे हाईवे के किनारे मिट्टी देनी पड़ी। गम से भरा वह पिता अपने बेटे का कफन लेकर कलेक्टर के सामने पहुंचा और सवाल किया-क्या हम गरीबों के बच्चों को सम्मान से दफनाने के भी हकदार नहीं? उसके हाथ में कफन था और सवाल बेहद भारी-क्या मरे हुए बच्चों की भी इज्जत नहीं होती? श्मशान नहीं, तो सड़क किनारे दफनाते हैं लोगयहां सनद रहे कि कफन के साथ पहुंचे पिता और सांसी समाज के लोगों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर बताया कि पहले वे एयरपोर्ट थाना के पास एकांत में अपने बच्चों को दफनाते थे, लेकिन प्रशासन ने वह जगह बंद कर दी। अब उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा। हमें सड़क किनारे, खुले में दफनाना पड़ता है। कभी जानवर शव को खुरच देते हैं, तो कभी लोगों की बेरुखी दिल दहला देती है। यह मामला सिर्फ एक परिवार की पीड़ा नहीं, बल्कि पूरे सांसी समाज की एक करुण चीत्कार है। समाज के लोगों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर दो बेहद जरूरी मांगें रखीं और इस अमानवीय स्थिति से निजात दिलाने की अपील की। शहर में बसे, पर अब भी बेगानेजोधपुर के रातानाडा क्षेत्र में दशकों से बसे सांसी समाज के लोग वर्षों से शांति और सौहार्द के साथ अपना जीवन यापन कर रहे हैं। लेकिन मौत के बाद अपनों को सम्मान देने की उनकी उम्मीदें आज टूट चुकी हैं। प्रशासन की अनदेखी ने इन्हें ऐसी स्थिति में ला खड़ा किया है, जहां वे अपने मासूम बच्चों को सड़क किनारे, खुले आसमान के नीचे, जानवरों और इंसानियत की बेरुखी के बीच दफनाने को मजबूर हैं। एयरपोर्ट विस्तार बना अभिशाप?समाज के लोगों ने बताया कि पहले वे एयरपोर्ट थाना (पूर्व एयरफोर्स पुलिस चौकी) के पीछे एक शांत और एकांत स्थल पर बच्चों का अंतिम संस्कार करते थे। लेकिन एयरपोर्ट विस्तार और सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए प्रशासन ने उस क्षेत्र को प्रतिबंधित कर दिया और अब वहां दफनाना अवैध घोषित हो गया। समाज के नेताओं ने सिर्फ वोट बैंक देखा, हमारी पीड़ा नहींसांसी समाज के लोगों ने आरोप लगाया कि तथाकथित नेता और समाजसेवी सिर्फ राजनीति करते रहे, लेकिन उनकी बुनियादी जरूरतों को नजरअंदाज किया। चुनावों में हमें गिन लिया जाता है, लेकिन जब हमारे बच्चों को दफनाने की बात आती है, तो कोई सुनवाई नहीं होती। ज्ञापन में यह भी कहा गया कि यह संकट केवल प्रशासन की देन नहीं, बल्कि कुछ तथाकथित समाजसेवकों और नेताओं की स्वार्थपूर्ण राजनीति का भी नतीजा है। जिन्होंने समाज के नाम पर केवल अपनी राजनीति चमकाई, पर जमीनी स्तर पर कुछ नहीं किया। आज हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि समाज को अपने बच्चों को सड़क पर दफनाना पड़ रहा है और खुद सड़क भी इस अमानवीयता पर शर्मिंदा है। क्या चाहते हैं सांसी समाज के लोग?बिजलीघर, पाबूपुरा के पास स्थित श्मशान भूमि में से एक हिस्सा बच्चों के दफन के लिए स्थायी रूप से सुरक्षित किया जाए। एयरपोर्ट थाना के पीछे की पुरानी श्मशान भूमि को फिर से खोला जाए, क्योंकि वह बस्ती से दूर और सुरक्षित जगह है। कलेक्टर ने दिया आश्वासनकलेक्टर ने पूरे घटनाक्रम को गम्भीरता से लेते हुए तुरंत मामले का प्रभावी समाधान निकालने का आश्वासन दिया। साथ ही समाज को यह भरोसा भी दिलाया कि किसी भी नागरिक की आस्था, सम्मान और अंतिम संस्कार के अधिकार का हनन नहीं होने दिया जाएगा। राजस्थान सांसी समाज के प्रदेशाध्यक्ष सवाईसिंह मालावत का कहना है कि यह खबर केवल एक दुखद प्रसंग नहीं, यह एक आईना है जिसमें हम सबको देखना चाहिए कि आधुनिकता की रफ्तार में कहीं हम अपनी इंसानियत को पीछे तो नहीं छोड़ आए। इधर, सवाल यह भी है कि क्या अब इस पिता और उसके समाज को इंसाफ मिलेगा या फिर उन्हें अपने मासूमों को सड़क किनारे दफनाने की मजबूरी झेलनी पड़ेगी।
You may also like
जैन धर्म से जुड़े लोग मौत के लिए उपवास का ये तरीका क्यों चुनते हैं?
जो नहीं बन सकती थी मां, प्रेग्नेंट निकली वो महिला अल्ट्रासाउंड देख डाक्टरों के उड़े होश ⑅
Mumbai Airport to Shut Down for Six Hours on May 9 for Runway Maintenance
बेटी ने 12 साल तक मां को दी सैलरी, खाता देखने पर हुआ बड़ा सदमा
अनुराग कश्यप और कमल हासन के बीच ब्राह्मण विवाद: बॉलीवुड से साउथ तक चर्चा