Next Story
Newszop

Krishna Education: श्रीकृष्ण ने भाई बलराम के साथ कहां की थी पढ़ाई? आज भी मौजूद है वो गुरुकुल

Send Push
Lord Krishna Guru and Education: कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर लोग भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य और बाल लीलाओं को याद करते हैं, इस मौके पर एक बेहद रोचक और प्रेरणादायक विषय उनकी शिक्षा के बारे में आता है। धार्मिक ग्रंथों और पुरातात्विक मान्यताओं के अनुसार, श्रीकृष्ण और बलराम ने अपनी औपचारिक शिक्षा मज़बूती से गुरु सांदीपनि आश्रम में अर्जित की। आज भी यह जगह मौजूद है जहां पर लोग घूमने और माथा टेकने जाते हैं।
शिक्षा का केन्द्र: उज्जैन का सांदीपनि आश्रम image

गुरु सांदीपनि का आश्रम उज्जैन के मंगलनाथ रोड पर स्थित था। वेबसाइट ujjain.nic.in पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि यही वही गुरुकुल था जहां श्रीकृष्ण, उनके भाई बलराम और उनका मित्र सुदामा शिक्षा प्राप्त करते थे। यह आश्रम महाभारत युग में एक प्रतिष्ठित शिक्षण केन्द्र था, जहां वेद, शास्त्र, कला और युद्धकला जैसी विद्याएं को सिखाया जाता था।(Image Credit - BCCL)


आज आध्यात्म, पर्यटन और श्रद्धा का केंद्र image

आज उज्जैन का संदीपनि आश्रम ना केवल धार्मिक मान्यता का केन्द्र है बल्कि सांस्कृतिक और पर्यटक के लिहाज से भी अहम हो चुका है। आश्रम में प्रवेश निशुल्क है और सुबह 6 से शाम 7 बजे तक रहता है।



यहां प्रतिमा, मंदिर और प्राचीन वास्तुकला जैसी चीजें भी देखने को मिलती हैं। आश्रम में गोमती कुंड है को लेकर मान्यता है कि कृष्ण ने यहां सारी पवित्र नदियों का जल एकत्र किया था।


कलाओं और विद्याओं का रहस्य image

ऐसी भी मान्यता है कि श्रीकृष्ण ने मात्र 64 दिनों में अपनी शिक्षा पूरी कर ली थी और इस दौरान उन्होंने 64 कलाएं और 16 विद्याएं सीख ली थीं। यह उनकी दिव्य और तेज बुद्धि का एक प्रमाण माना जाता है।


शिक्षा का मूल्य नहीं, गुरु दक्षिणा बनी आदर और कर्तव्य का प्रतीक image

शिक्षा पूरी होने पर भगवान कृष्ण और बलराम ने गुरु को गुरुदक्षिणा समर्पित करने की इच्छा जताई। उस समय शिक्षा पर कोई फीस या मूल्य नहीं होता था। गुरु दक्षिणा की परंपरा गुरु-शिष्य के अटूट बंधन और आदर की अमर मिसाल का प्रतीक मानी जाती है। कृष्ण ने गुरु दक्षिणा के रूप में उनके खो चुके या अगवा हो चुके बेटे को वापस लाने की इच्छा जताई और ऐसा करने में सफल रहे।


जीवंत लोक कथाएं image

ऐसा कहते हैं कि संदीपनि आश्रम की जगह काका नाम अंकपात इस मिथक से जुड़ा है कि कृष्ण यहां अपनी लेखनी की धुलाई यानी अपनी लेखनी को मांझते थे इसलिए इसे अंकों की पात भूमि कहा गया। इसी जगह को कृष्ण और सुदामा की ऐतिहासिक मित्रता की नींव भी माना जाता है।

Loving Newspoint? Download the app now