Indian Students on OPT: अमेरिका में तीन लाख से ज्यादा भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। इसमें सबसे बड़ी संख्या उन स्टूडेंट्स की है, जो साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स ( STEM) फील्ड से जुड़े कोर्सेज की डिग्री ले रहे हैं। डिग्री पूरी करने के बाद स्टूडेंट्स को STEM 'ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग' (OPT) प्रोग्राम यानी STEM OPT के जरिए तीन साल तक देश में रुककर जॉब करने की इजाजत होती थी। लेकिन अब ऐसा लग रहा है, जैसे भारतीय छात्र अमेरिका में रुकना नहीं चाहते हैं। उन्हें यहां जॉब को लेकर भी दिलचस्पी नहीं है।
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दरअसल, उन भारतीय छात्रों की संख्या बढ़ रही है, जो डिग्री पूरी करने के बाद STEM OPT पर अमेरिका में जॉब नहीं कर रहे हैं और यहां से लौट रहे हैं। हाल ही में OPT ऑब्जर्वेटरी ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें बताया गया कि OPT प्रोग्राम के जरिए अमेरिका में रहने वाले विदेशी छात्रों की संख्या में भारी गिरावट आई है। उनकी भागीदारी 95 प्रतिशत से घटकर 78 प्रतिशत हो गई है। ऐसे में अमेरिका को विदेशी इंजीनियरों और आईटी वर्कर्स की कमी से जूझना पड़ सकता है। भारत और चीन के छात्र ही रुककर यहां के टेक सेक्टर में जॉब करते हैं।
भारत के साथ चीनी छात्रों का भी हुआ मोहभंग
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय और चीनी STEM मास्टर ग्रेजुएट मिलकर अमेरिका में सभी विदेशी छात्रों का लगभग 30 फीसदी हैं। दोनों ही देशों के छात्र अब कम संख्या में यहां रुक रहे हैं। भारतीयों की OPT में हिस्सेदारी 17 फीसदी से कम हुई है, जबकि चीनी छात्रों की हिस्सेदारी में भारी गिरावट देखने को मिली है। ये 25 अंक घटकर 75 फीसदी से 50 फीसदी पर आ गई है। ये दिखाता है कि विदेशी छात्रों के बीच पढ़ाई के बाद जॉब के लिए देश में रुकने की संभावना लगातार घट रही है।
इसका नुकसान ये होने वाला है कि अमेरिका के टेक सेक्टर को वर्कर्स की कमी से जूझना पड़ सकता है। यहां पर डिग्री लेने के बाद चीन और भारत के स्टूडेंट्स STEM OPT के जरिए जॉब करते हैं। इनमें से बहुत से छात्रों को तीन साल के बाद H-1B वीजा भी मिल जाता है। ये उनके लिए अगले छह साल जॉब का रास्ता भी साफ कर देता है। इस तरह वे आसानी से एक दशक तक अमेरिका के टेक सेक्टर में अपनी सेवाएं देते रहते हैं। लेकिन अगर वे STEM OPT पर जॉब नहीं करेंगे, तो टेक वर्कर्स की कमी होगी।
किन वजहों से घटे OPT वाले स्टूडेंट्स?
अमेरिका में OPT को लेकर चौंकाने वाला खुलासा ऐसे समय पर हुआ है, जब यहां विदेशी छात्रों का एडमिशन भी घट रहा है। 2017 के बाद से विदेशी छात्रों की कुल संख्या में 18 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि भारतीयों में यह गिरावट 42 प्रतिशत रही है। दशकों से यूएस भारतीय इंजीनियरों, साइंटिस्ट और डाटा स्पेशलिस्ट के बीच करियर शुरू करने के लिए लॉन्च पैड रहा है। लेकिन अब उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें ना एडमिशन मिल रहा है और वे ना ही आसानी से जॉब पा रहे हैं।
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दरअसल, उन भारतीय छात्रों की संख्या बढ़ रही है, जो डिग्री पूरी करने के बाद STEM OPT पर अमेरिका में जॉब नहीं कर रहे हैं और यहां से लौट रहे हैं। हाल ही में OPT ऑब्जर्वेटरी ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें बताया गया कि OPT प्रोग्राम के जरिए अमेरिका में रहने वाले विदेशी छात्रों की संख्या में भारी गिरावट आई है। उनकी भागीदारी 95 प्रतिशत से घटकर 78 प्रतिशत हो गई है। ऐसे में अमेरिका को विदेशी इंजीनियरों और आईटी वर्कर्स की कमी से जूझना पड़ सकता है। भारत और चीन के छात्र ही रुककर यहां के टेक सेक्टर में जॉब करते हैं।
भारत के साथ चीनी छात्रों का भी हुआ मोहभंग
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय और चीनी STEM मास्टर ग्रेजुएट मिलकर अमेरिका में सभी विदेशी छात्रों का लगभग 30 फीसदी हैं। दोनों ही देशों के छात्र अब कम संख्या में यहां रुक रहे हैं। भारतीयों की OPT में हिस्सेदारी 17 फीसदी से कम हुई है, जबकि चीनी छात्रों की हिस्सेदारी में भारी गिरावट देखने को मिली है। ये 25 अंक घटकर 75 फीसदी से 50 फीसदी पर आ गई है। ये दिखाता है कि विदेशी छात्रों के बीच पढ़ाई के बाद जॉब के लिए देश में रुकने की संभावना लगातार घट रही है।
इसका नुकसान ये होने वाला है कि अमेरिका के टेक सेक्टर को वर्कर्स की कमी से जूझना पड़ सकता है। यहां पर डिग्री लेने के बाद चीन और भारत के स्टूडेंट्स STEM OPT के जरिए जॉब करते हैं। इनमें से बहुत से छात्रों को तीन साल के बाद H-1B वीजा भी मिल जाता है। ये उनके लिए अगले छह साल जॉब का रास्ता भी साफ कर देता है। इस तरह वे आसानी से एक दशक तक अमेरिका के टेक सेक्टर में अपनी सेवाएं देते रहते हैं। लेकिन अगर वे STEM OPT पर जॉब नहीं करेंगे, तो टेक वर्कर्स की कमी होगी।
किन वजहों से घटे OPT वाले स्टूडेंट्स?
- H-1B वीजा: अमेरिका में H-1B वीजा की फीस बढ़ा दी गई है। ऊपर से इस वीजा को खत्म करने की बात हो रही है। ऐसे में स्टूडेंट्स को डर सता रहा है कि अगर वे यहां तीन साल OPT पर जॉब भी कर लेते हैं, तो उन्हें H-1B वीजा पाने में दिक्कत होगी। इसके बिना वे यहां अपना करियर नहीं बना सकते हैं।
- नियमों में बदलाव और देरी: OPT को पाने के लिए स्टूडेंट्स को काफी मेहनत करनी पड़ रही है। अप्लाई करने के बाद भी उन्हें OPT पाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। इसके अलावा OPT नियमों में बदलाव की तैयारी भी हो रही है।
- नए अवसर: अमेरिका में मची उथल-पुथल को देखते हुए अब स्टूडेंट्स ब्रिटेन, यूएई, कनाडा जैसे देशों का रुख कर रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि डिग्री लेने के बाद अमेरिका में जॉब करने से ज्यादा बेहतर अन्य देशों में जाना है।
- अमेरिका में छंटनी: अमेरिका में कोविड महामारी के बाद बड़े पैमाने पर छंटनी देखने को मिली है। हर छोटी-बड़ी कंपनी से लोगों को निकाला जा रहा है। ऐसे में स्टूडेंट्स को OPT पर भी जॉब नहीं मिल रही है।
अमेरिका में OPT को लेकर चौंकाने वाला खुलासा ऐसे समय पर हुआ है, जब यहां विदेशी छात्रों का एडमिशन भी घट रहा है। 2017 के बाद से विदेशी छात्रों की कुल संख्या में 18 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि भारतीयों में यह गिरावट 42 प्रतिशत रही है। दशकों से यूएस भारतीय इंजीनियरों, साइंटिस्ट और डाटा स्पेशलिस्ट के बीच करियर शुरू करने के लिए लॉन्च पैड रहा है। लेकिन अब उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें ना एडमिशन मिल रहा है और वे ना ही आसानी से जॉब पा रहे हैं।
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