आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब हमारे रोजमर्रा के कामकाज से लेकर सरकारी सिस्टम तक हर जगह अपनी जगह बना चुका है। अब पुलिसिंग जैसे पारंपरिक और संवेदनशील क्षेत्र में भी AI की एंट्री हो चुकी है। दुनियाभर में पुलिस फोर्सेज धीरे-धीरे AI को अपना रही हैं, ताकि अपराधों को पहले ही रोका जा सके, जांच में तेजी आए और कॉल हैंडलिंग या डेटा एनालिसिस जैसे भारी-भरकम काम आसान हों। हालांकि, पुलिस अधिकारी साफ कर चुके हैं कि AI इंसानी पुलिसकर्मियों की जगह नहीं लेगा, बल्कि उनके काम को और स्मार्ट बनाएगा।
प्रेडिक्टिव पुलिसिंग : AI की मदद से अपराध से पहले रोकथामAI का सबसे बड़ा इस्तेमाल प्रेडिक्टिव पुलिसिंग में हो रहा है। इसमें पिछले अपराधों का डेटा, सोशल मीडिया गतिविधि और अलग-अलग फैक्टर्स को मिलाकर एल्गोरिदम यह अंदाजा लगाते हैं कि किस इलाके में और किस समय अपराध होने की संभावना ज्यादा है।
उदाहरण के तौर पर, इंग्लैंड के केंट पुलिस ने 2013 में यह सिस्टम ट्रायल किया था, जिससे स्ट्रीट वायलेंस में 6% तक गिरावट देखी गई। हालांकि बाद में इसे बंद कर दिया गया क्योंकि रिजल्ट्स को साबित करना मुश्किल था। लेकिन यह मॉडल आज भी पुलिसिंग के लिए एक मजबूत आइडिया है, जहां संसाधनों का इस्तेमाल सही जगह किया जा सके।
चेहरे पहचानने की तकनीक (Facial Recognition)लाइव फेसियल रिकग्निशन कैमरे आज यूके की पुलिसिंग का अहम हिस्सा बनते जा रहे हैं। 2016 में लंदन के नॉटिंग हिल कार्निवल में इसका पहला इस्तेमाल हुआ। आज यह बड़े इवेंट्स और भीड़भाड़ वाले इलाकों में संदिग्ध लोगों को पहचानने, गुमशुदा व्यक्तियों को ढूंढने और आतंकवाद रोकने तक में मदद कर रहा है। हालांकि, इसके साथ प्राइवेसी और गलत पहचान जैसी चिंताएं भी उठ रही हैं। कई मामलों में कोर्ट तक यह मुद्दा पहुंच चुका है, जिससे यह साफ है कि टेक्नोलॉजी के साथ-साथ सख्त नियम भी जरूरी हैं।
कॉल हैंडलिंग और पीड़ितों की मददहंबरसाइड पुलिस ने घरेलू हिंसा से जुड़े कॉल्स हैंडल करने के लिए AI का इस्तेमाल किया। यह सिस्टम कॉल ट्रांसक्राइब करता है, रिस्क एनालिसिस करता है और तुरंत जरूरी बैकग्राउंड सर्च कर देता है। इससे कॉल हैंडलर्स को पीड़ितों की मदद करने में आसानी हुई। इसी तरह, टेम्स वैली पुलिस ने ऑटोमेशन के जरिए नॉन-इमरजेंसी कॉल्स को मैनेज करना शुरू किया, ताकि पुलिसकर्मी असली इमरजेंसी पर ज्यादा ध्यान दे पाएं।
ऑटोमैटिक कैमरे और ड्रोनकुछ जगहों पर AI-ऑपरेटेंड स्पीड कैमरे लगाए गए हैं, जो यह पकड़ लेते हैं कि ड्राइवर सीट बेल्ट नहीं लगाई है या फोन इस्तेमाल कर रहा है। स्कॉटलैंड पुलिस ने AI ड्रोन का इस्तेमाल लापता लोगों को ढूंढने के लिए किया, जो बड़ी तेजी से इलाके को स्कैन कर सही टारगेट खोज सकते हैं। आने वाले दिनों एआई का इस्तेमाल सीखना बहुत जरूरी होने जा रहा है। अगर आप भी कम समय में एआई को करीब से समझना चाहते हैं तो NBT Upskill's AI की करियर ग्रोथ वर्कशॉप ज्वॉइन कर सकते हैं।
पुलिस जांच में AI की मददAI अब नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP) से केस फाइल्स, सोशल मीडिया पोस्ट और ऑनलाइन डेटा को तेजी से स्कैन करता है। रिसर्च बताती है कि AI मॉडल्स धमकी भरे मैसेज इंसानों से 21 गुना तेज पकड़ सकते हैं। इससे पुलिस जांच में हफ्तों का काम घंटों में हो जाता है।
पुलिसिंग में AI का भविष्यAI का इस्तेमाल जितना फायदेमंद है, उतना ही संवेदनशील भी है। प्रेडिक्टिव पुलिसिंग और फेस रिकग्निशन में बायस और प्राइवेसी का खतरा है। कुछ मामलों में कोर्ट ने AI यूज को अवैध भी ठहराया है। यही वजह है कि वेस्ट मिडलैंड्स पुलिस जैसे कुछ विभाग स्वतंत्र डेटा एथिक्स कमेटीज बना रहे हैं ताकि हर कदम पर निगरानी और जवाबदेही बनी रहे।
भविष्य में AI का रोल और बढ़ेगा, जैसे साइबर क्राइम से निपटने, एडवांस फॉरेंसिक एनालिसिस और स्मार्ट पेट्रोलिंग में। लेकिन पब्लिक ट्रस्ट बनाए रखने के लिए पारदर्शिता और इंसानी दखल हमेशा जरूरी रहेगा। AI अब पुलिस फोर्स का नया साथी बन चुका है। यह अपराधों की भविष्यवाणी करने, जांच तेज करने और कॉल्स मैनेज करने में मदद कर रहा है। हालांकि, इंसानी पुलिसकर्मी की भूमिका हमेशा अहम रहेगी क्योंकि भरोसा, इंसानी समझ और मौके पर फैसला कोई मशीन नहीं कर सकती।
प्रेडिक्टिव पुलिसिंग : AI की मदद से अपराध से पहले रोकथामAI का सबसे बड़ा इस्तेमाल प्रेडिक्टिव पुलिसिंग में हो रहा है। इसमें पिछले अपराधों का डेटा, सोशल मीडिया गतिविधि और अलग-अलग फैक्टर्स को मिलाकर एल्गोरिदम यह अंदाजा लगाते हैं कि किस इलाके में और किस समय अपराध होने की संभावना ज्यादा है।
उदाहरण के तौर पर, इंग्लैंड के केंट पुलिस ने 2013 में यह सिस्टम ट्रायल किया था, जिससे स्ट्रीट वायलेंस में 6% तक गिरावट देखी गई। हालांकि बाद में इसे बंद कर दिया गया क्योंकि रिजल्ट्स को साबित करना मुश्किल था। लेकिन यह मॉडल आज भी पुलिसिंग के लिए एक मजबूत आइडिया है, जहां संसाधनों का इस्तेमाल सही जगह किया जा सके।
चेहरे पहचानने की तकनीक (Facial Recognition)लाइव फेसियल रिकग्निशन कैमरे आज यूके की पुलिसिंग का अहम हिस्सा बनते जा रहे हैं। 2016 में लंदन के नॉटिंग हिल कार्निवल में इसका पहला इस्तेमाल हुआ। आज यह बड़े इवेंट्स और भीड़भाड़ वाले इलाकों में संदिग्ध लोगों को पहचानने, गुमशुदा व्यक्तियों को ढूंढने और आतंकवाद रोकने तक में मदद कर रहा है। हालांकि, इसके साथ प्राइवेसी और गलत पहचान जैसी चिंताएं भी उठ रही हैं। कई मामलों में कोर्ट तक यह मुद्दा पहुंच चुका है, जिससे यह साफ है कि टेक्नोलॉजी के साथ-साथ सख्त नियम भी जरूरी हैं।
कॉल हैंडलिंग और पीड़ितों की मददहंबरसाइड पुलिस ने घरेलू हिंसा से जुड़े कॉल्स हैंडल करने के लिए AI का इस्तेमाल किया। यह सिस्टम कॉल ट्रांसक्राइब करता है, रिस्क एनालिसिस करता है और तुरंत जरूरी बैकग्राउंड सर्च कर देता है। इससे कॉल हैंडलर्स को पीड़ितों की मदद करने में आसानी हुई। इसी तरह, टेम्स वैली पुलिस ने ऑटोमेशन के जरिए नॉन-इमरजेंसी कॉल्स को मैनेज करना शुरू किया, ताकि पुलिसकर्मी असली इमरजेंसी पर ज्यादा ध्यान दे पाएं।
ऑटोमैटिक कैमरे और ड्रोनकुछ जगहों पर AI-ऑपरेटेंड स्पीड कैमरे लगाए गए हैं, जो यह पकड़ लेते हैं कि ड्राइवर सीट बेल्ट नहीं लगाई है या फोन इस्तेमाल कर रहा है। स्कॉटलैंड पुलिस ने AI ड्रोन का इस्तेमाल लापता लोगों को ढूंढने के लिए किया, जो बड़ी तेजी से इलाके को स्कैन कर सही टारगेट खोज सकते हैं। आने वाले दिनों एआई का इस्तेमाल सीखना बहुत जरूरी होने जा रहा है। अगर आप भी कम समय में एआई को करीब से समझना चाहते हैं तो NBT Upskill's AI की करियर ग्रोथ वर्कशॉप ज्वॉइन कर सकते हैं।
पुलिस जांच में AI की मददAI अब नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP) से केस फाइल्स, सोशल मीडिया पोस्ट और ऑनलाइन डेटा को तेजी से स्कैन करता है। रिसर्च बताती है कि AI मॉडल्स धमकी भरे मैसेज इंसानों से 21 गुना तेज पकड़ सकते हैं। इससे पुलिस जांच में हफ्तों का काम घंटों में हो जाता है।
पुलिसिंग में AI का भविष्यAI का इस्तेमाल जितना फायदेमंद है, उतना ही संवेदनशील भी है। प्रेडिक्टिव पुलिसिंग और फेस रिकग्निशन में बायस और प्राइवेसी का खतरा है। कुछ मामलों में कोर्ट ने AI यूज को अवैध भी ठहराया है। यही वजह है कि वेस्ट मिडलैंड्स पुलिस जैसे कुछ विभाग स्वतंत्र डेटा एथिक्स कमेटीज बना रहे हैं ताकि हर कदम पर निगरानी और जवाबदेही बनी रहे।
भविष्य में AI का रोल और बढ़ेगा, जैसे साइबर क्राइम से निपटने, एडवांस फॉरेंसिक एनालिसिस और स्मार्ट पेट्रोलिंग में। लेकिन पब्लिक ट्रस्ट बनाए रखने के लिए पारदर्शिता और इंसानी दखल हमेशा जरूरी रहेगा। AI अब पुलिस फोर्स का नया साथी बन चुका है। यह अपराधों की भविष्यवाणी करने, जांच तेज करने और कॉल्स मैनेज करने में मदद कर रहा है। हालांकि, इंसानी पुलिसकर्मी की भूमिका हमेशा अहम रहेगी क्योंकि भरोसा, इंसानी समझ और मौके पर फैसला कोई मशीन नहीं कर सकती।
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