जापान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और बेल्जियम के वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने ब्राजील में चमगादड़ों में कोविड-19 जैसा एक नया वायरस पाया है। इससे वायरस के फैलने और एक नई बीमारी के खतरे की संभावना बढ़ गई है। चमगादड़ कई वायरसों के सोर्स हैं, जिनमें बीटा कोरोना वायरस भी शामिल है। इसमें गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम वायरस 2 (सीएआरएस-सीओवी-2) और मध्य पूर्व श्वसन सिंड्रोम वायरस (एमईआरएस-सीओवी) शामिल हैं।
ओसाका और सिडनी विश्वविद्यालय की टीम ने पेरोनोटस पार्नेली नामक चमगादड़ से बीआरजेड बैटकोव नामक वायरस का पता लगाया है। यह एक छोटा कीटभक्षी चमगादड़ है, जो अपने चेहरे पर छोटे-छोटे बालों के गुच्छों के लिए जाना जाता है। हालांकि यह चमगादड़ दक्षिण अमेरिका में आम है, विशेषज्ञों को डर है कि यह वायरस कई महीनों से फैल रहा है।
शोधकर्ताओं ने कहा, "ब्राजील में लिए गए एक टेरोनोटस पार्नेली चमगादड़ के नमूने से हमने एक नए वायरस सीओवी (बीआरजेड बीएटी सीओवी) का पूरा जीनोम पाया, जो ज्ञात बीटा कोरोनावायरस से आनुवंशिक रूप से अलग है।" यह जानकारी एक पेपर में दी गई है, जो प्री-प्रिंट साइट बायोरेक्सिव पर प्रकाशित हुआ है। टीम ने प्रजातियों के विकास का विश्लेषण किया और पाया कि "यह वायरस पांच ज्ञात बीटा कोरोना वायरस उप-प्रजातियों से काफी अलग है और इसलिए यह एक नई उप-प्रजाति का प्रतिनिधित्व करता है।"
टीम ने कहा, "ध्यान देने वाली बात यह है कि इस नए चमगादड़ कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन में एस1/एस2 जंक्शन पर एक फ्यूरिन क्लीवेज साइट है, जिसमें एक खास अमीनो एसिड अनुक्रम (आरडीएआर) है, जो एसएआरएस-सीओवी-2 (आरआरएआर) में पाए जाने वाले अनुक्रम से केवल एक ही अमीनो एसिड से अलग है।" फ्यूरिन को अन्य आरएनए वायरसों में भी पाया गया है, जैसे कि अत्यधिक रोगजनक एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस (ऑर्थोमिक्सोविरिडे), इबोला वायरस और हाल ही में वैश्विक महामारी फैलाने वाले एसएआरएस-सीओवी-2 वायरस के सतही प्रोटीन में।
इसके अलावा, टीम ने पाया कि बीआरजेड बीएटीसीओवी कोविड वायरस जैसा नहीं है, बल्कि यह एमईआरएस वायरस के करीब है। चीन के चांगचुन पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के शोधकर्ता होंगबो बाओ ने ब्रिटिश टैब्लॉइड के अमेरिकी संस्करण यूएस सन को बताया कि यद्यपि इस नए फ्लू के प्रकार में "खतरनाक जोखिम" दिखता है, लेकिन यह धीरे-धीरे कई देशों में फैल सकता है। हालांकि, नए चमगादड़ वायरस की खोज करने वाले वैज्ञानिकों के अनुसार, अभी तक इसका कोई सबूत नहीं है कि बीआरजेड बीएटीसीओवी मनुष्यों को संक्रमित करता है या चमगादड़ की आबादी से बाहर फैलता है।
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