स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की ऐतिहासिक प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उनकी सरकार किसानों के हितों की रक्षा के लिए हर मोर्चे पर खड़ी रहेगी। अमेरिका के साथ जारी टैरिफ विवाद के माहौल में उन्होंने यह भरोसा दिलाया कि भारत अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के साथ किसी भी तरह का समझौता स्वीकार नहीं करेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत के अन्नदाता, पशुपालक और मछुआरे हमारी प्राथमिकता के केंद्र में हैं। उनके हितों के खिलाफ किसी भी कदम के सामने मोदी सरकार एक मजबूत दीवार की तरह डटी रहेगी।”
आत्मनिर्भरता ही असली ताकत
पीएम मोदी ने अपने भाषण में सिर्फ किसानों की बात ही नहीं की, बल्कि भारतीय युवाओं, उद्योग जगत और स्टार्टअप समुदाय से भी आत्मनिर्भरता अपनाने की अपील की। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि जो राष्ट्र दूसरों पर अत्यधिक निर्भर हो जाते हैं, वे अपनी स्वतंत्रता पर खुद सवाल खड़े कर देते हैं। उन्होंने कहा, “सबसे बड़ा दुर्भाग्य तब होता है जब निर्भरता आदत में बदल जाए।”
उनका कहना था कि आत्मनिर्भरता केवल व्यापार, आयात-निर्यात या मुद्रा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश की समग्र क्षमताओं और ताकत से जुड़ी है। “जब हमारी आत्मनिर्भरता घटती है, तो हमारी शक्ति भी कमजोर हो जाती है। हमें अपनी क्षमताओं को निरंतर बनाए रखना और विस्तार करना होगा,” उन्होंने जोड़ा।
दूसरों से तुलना नहीं, खुद की प्रगति पर फोकस
अमेरिका का नाम लिए बिना पीएम मोदी ने इशारों में कहा कि हमें अपनी ऊर्जा दूसरों की सफलता को घटाने में नहीं, बल्कि खुद की उपलब्धियों को बढ़ाने में लगानी चाहिए। “दूसरों की लाइन छोटी करने के बजाय अपनी लाइन बड़ी बनाने पर ध्यान दें। जब हम अपनी प्रगति पर ध्यान देंगे, तभी विश्व हमारी शक्ति का सम्मान करेगा,” उन्होंने कहा।
भारत-अमेरिका ट्रेड वार्ता का पेंच
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत और अमेरिका के बीच एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) को लेकर बातचीत हो रही थी। अमेरिकी पक्ष चाहता था कि भारत मक्का, सोयाबीन, सेब, बादाम और एथनॉल जैसे उत्पादों पर शुल्क कम करे, साथ ही अमेरिकी डेयरी उत्पादों की भारतीय बाजार में पहुंच बढ़ाई जाए।
हालांकि, नई दिल्ली ने इन मांगों का कड़ा विरोध किया, क्योंकि इनसे भारतीय किसानों की आजीविका पर सीधा असर पड़ता। नतीजतन, प्रस्तावित ट्रेड डील पर दोनों देशों के बीच सहमति नहीं बन पाई और वार्ता अधर में लटक गई।
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