सिडनी, 21 अगस्त . ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने पहली बार लैब में इंसानी त्वचा बनाई है, जिसमें खून की नलिकाएं भी हैं. ये नई तकनीक त्वचा की बीमारियों, जलने और त्वचा की सर्जरी में इलाज को बेहतर बना सकती है.
यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड (यूक्यू) की टीम ने इसे स्टेम सेल्स का इस्तेमाल करके बनाया. इस त्वचा में बालों की जड़ें, नसें, खून की नलिकाएं, त्वचा की कई परतें और रोगों से लड़ने वाली कोशिकाएं भी हैं.
यूक्यू के फ्रेजर इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक और प्रमुख शोधकर्ता अब्बास शफी ने कहा, “यह लैब में बनी दुनिया की सबसे असली दिखने वाली और काम करने वाली त्वचा का मॉडल है. इससे हम त्वचा की बीमारियों को बेहतर समझ सकेंगे और इलाज भी सही तरीके से जांच सकेंगे.”
अब्बास शफी ने कहा कि पहले त्वचा पर रिसर्च करने के लिए हमारे पास अच्छे मॉडल नहीं थे. लेकिन अब जब हमारे पास असली जैसी त्वचा है, तो बीमारियों को समझना और दवाइयां जांचना आसान हो जाएगा.
उन्होंने बताया, ”वैज्ञानिकों ने इंसानी त्वचा की कोशिकाएं लेकर उन्हें स्टेम सेल्स में बदला, जो शरीर के किसी भी अंग की कोशिका बन सकती हैं. फिर इन स्टेम सेल्स को डिश में रखा गया, जिससे ये धीरे-धीरे त्वचा के छोटे-छोटे नमूने बन गए. फिर वैज्ञानिकों ने इन्हीं स्टेम सेल्स से छोटे-छोटे खून की नलिकाएं बनाईं और उन्हें त्वचा में मिलाया. इस तरह, ये त्वचा असली इंसानी त्वचा की तरह खुद से विकसित होने लगी, जिसमें परतें, बाल, रंग, नसें और खून की सप्लाई थी.”
इस नई त्वचा को बनाने में 6 साल लगे. यह अब जलने की चोट, एलर्जी वाली बीमारियां, जैसे सोरायसिस, एटोपिक डर्मेटाइटिस और आनुवंशिक त्वचा रोगों के इलाज में मदद कर सकता है.
रिसर्च से जुड़े प्रोफेसर खोसरोतेहरानी ने कहा कि त्वचा की बीमारियों का इलाज करना मुश्किल होता है. ये खोज उन लोगों के लिए एक नई उम्मीद है जो लंबे समय से ऐसी बीमारियों से जूझ रहे हैं.
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पीके/केआर
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