नई दिल्ली, 11 मई . पूर्व सेना प्रमुख जनरल (रिटायर्ड) शंकर रॉय चौधरी ने शनिवार रात पाकिस्तान की तरफ से संघर्ष विराम के उल्लंघन पर कहा कि पाकिस्तान का वादे तोड़ने का लंबा इतिहास रहा है और जब तक उसे रोका नहीं जाता, तब तक वह बेलगाम होकर घूमता रहता है.
पूर्व सेना प्रमुख ने समाचार एजेंसी से बात करते हुए सीधे तौर पर और बेबाक तरीके से पाकिस्तान की आलोचना की. उन्होंने कहा, “लातों के भूत, बातों से नहीं मानते.”
साल 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध को याद करते हुए पूर्व सेना प्रमुख ने बताया कि कैसे पाकिस्तान ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण करने के बाद अपने कदम पीछे खींच लिए और गलत तरीकों का सहारा लिया.
उन्होंने सुझाव दिया कि पड़ोसी देश को काबू में करने का एकमात्र तरीका उस पर जोरदार प्रहार करना है.
जनरल (रिटायर्ड) शंकर रॉय चौधरी ने कहा, “उन पर हमला करके उन्हें टुकड़े-टुकड़े कर देना चाहिए. उन्हें अधिकतम नुकसान पहुंचाया जाना चाहिए.”
विशेष रूप से, कई पूर्व सैनिकों और सेवानिवृत्त जनरलों ने शनिवार शाम संघर्ष विराम के कुछ घंटे बाद इसका उल्लंघन करने के लिए पाकिस्तान की आलोचना की है.
लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) शंकर प्रसाद ने कहा कि पाकिस्तान पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता. उन्होंने 1971 का उदाहरण भी दिया, जब उसने पहली बार भारत के सामने घुटने टेके थे, लेकिन कुछ ही दिन में समझौता तोड़ दिया था.
उन्होंने कहा, “हम पिछले 70 साल से उन पर भरोसा करने की कोशिश कर रहे हैं. हर बार हम असफल रहे हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण 1971 का युद्ध है. तब भी इसी तरह का समझौता हुआ था, इसलिए हमने 90,000 युद्धबंदियों को रिहा कर दिया था. उन्होंने जल्द ही अपनी प्रतिबद्धता बदल दी. हम पाकिस्तान पर कैसे भरोसा कर सकते हैं? हम उन्हें पिछले 25-30 साल से कह रहे हैं कि तुम भारत पर अत्याचार कर रहे हो, और वे इससे इनकार करते रहते हैं.”
पूर्व सैन्य अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान इस तथ्य को जानता है कि वह भारत से सीधी टक्कर नहीं ले सकता, इसलिए उसने अपने पिछले शासकों द्वारा बनाई गई ‘भारत को हजारों घाव देकर खून बहाने’ की नीति को जारी रखा है.
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एससीएच/एकेजे
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