ढाका, 20 अक्टूबर . बांग्लादेश में अगले साल होने वाले चुनाव से पहले एक और बढ़ते Political संघर्ष में, कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी जमात-ए-इस्लामी और नेशनल सिटिजन्स पार्टी (एनसीपी) आनुपातिक प्रतिनिधित्व (पीआर) प्रणाली की मांग को लेकर वाकयुद्ध में उलझ गई है. स्थानीय मीडिया ने इसकी जानकारी दी.
ढाका में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, जमात और सात अन्य इस्लामी दलों ने अपनी पांच सूत्री मांगों पर जोर देने के लिए अपने आंदोलन के चौथे चरण के तहत तीन दिवसीय कार्यक्रम की घोषणा की, जिसमें जुलाई चार्टर पर नवंबर में जनमत संग्रह और आगामी राष्ट्रीय चुनाव एक पीआर प्रणाली के तहत आयोजित करना शामिल है.
इस घोषणा के बाद, एनसीपी संयोजक नाहिद इस्लाम ने अपने social media प्लेटफॉर्म पर कहा कि जमात द्वारा शुरू की गई ‘आनुपातिक प्रतिनिधित्व (पीआर) आंदोलन’ की मांग “एक सोची-समझी Political धोखाधड़ी के अलावा और कुछ नहीं है.”
उन्होंने कहा, “इसे जानबूझकर सर्वसम्मति आयोग की सुधार प्रक्रिया को पटरी से उतारने और राष्ट्रीय संवाद को वास्तविक मुद्दे से भटकाने के लिए डिजाइन किया गया था.”
नाहिद ने कहा कि देश की संसद में जनसंपर्क प्रणाली पर आधारित एक उच्च सदन की स्थापना की मुख्य सुधार मांग को एक संवैधानिक सुरक्षा उपाय के रूप में देखा गया था.
उन्होंने जमात और उसके सहयोगियों पर इस एजेंडे को हाईजैक करने, इसे एक तकनीकी जनसंपर्क मुद्दे तक सीमित करने और अपने संकीर्ण पक्षपातपूर्ण हितों की पूर्ति के लिए इसे सौदेबाजी के साधन के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. उन्होंने आगे कहा कि उनका मकसद कभी सुधार नहीं, बल्कि छल-कपट था.
एनसीपी नेता ने लिखा, “जमात-ए-इस्लामी ने कभी भी सुधार की चर्चा में भाग नहीं लिया, न तो जुलाई के विद्रोह से पहले और न ही बाद में. उन्होंने कोई ठोस प्रस्ताव, कोई संवैधानिक दृष्टिकोण और एक लोकतांत्रिक गणराज्य की प्रतिबद्धता नहीं पेश की. सर्वसम्मति आयोग के भीतर सुधारों का उनका अचानक समर्थन दृढ़ विश्वास का कार्य नहीं, बल्कि एक रणनीतिक घुसपैठ, सुधारवाद का दिखावा और कुछ नहीं, एक Political तोड़फोड़ की कोशिश थी.”
नाहिद की टिप्पणी के कुछ घंटों बाद, जमात के सहायक महासचिव अहसानुल महबूब जुबैर ने अपने social media प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट में एनसीपी नेता के बयान को “अस्पष्ट” और “भ्रामक” बताया.
जमात नेता ने कहा, “हम समझ नहीं पाए कि वह (नाहिद) क्या कहना चाहते थे. देश उनसे ऐसे अपरिपक्व बयानों की उम्मीद नहीं करता.”
बांग्लादेश अगले साल होने वाले चुनावों से पहले बढ़ती अनिश्चितता और Political उथल-पुथल का सामना कर रहा है.
जिन पार्टियों ने पहले शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई Government को उखाड़ फेंकने के लिए अंतरिम Government के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के साथ मिलकर काम किया था, वे अब सुधार प्रस्तावों को लेकर आपस में भिड़ गई हैं.
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केआर/
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