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जाति जनगणना को कांग्रेस ने बताया अपनी जीत, कार्य समिति की बैठक में प्रस्ताव पारित

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नई दिल्ली, 2 मई . कांग्रेस ने शुक्रवार को कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक बुलाई थी. बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत कई वरिष्ठ नेता शामिल थे.

कार्य समिति की बैठक में एक प्रस्ताव पारित हुआ, जिसमें बताया गया कि लगातार 11 वर्षों तक केंद्र सरकार द्वारा ठुकराए जाने के बाद अब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की लंबे समय से चली आ रही मांग जाति आधारित जनगणना को आखिरकार मोदी सरकार ने स्वीकार कर लिया है. इस फैसले को कांग्रेस ने अपनी नीति की जीत बताते हुए सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ बताया है.

हालांकि, कांग्रेस कार्य समिति ने इस फैसले को “आश्वासन मात्र” मानते हुए कहा है कि अब तक न तो सरकार ने जाति जनगणना के क्रियान्वयन की कोई स्पष्ट रूपरेखा साझा की है और न ही इसके लिए वित्तीय प्रावधान की घोषणा की है.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 16 अप्रैल 2023 को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर व्यापक और अद्यतन जाति जनगणना की औपचारिक मांग की थी. इस पत्र में अनुसूचित जातियों, जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा हटाने की बात भी उठाई गई थी.

बताया गया कि राहुल गांधी इस मुद्दे पर लगातार मुखर रहे हैं. उन्होंने 2022 के उदयपुर नव संकल्प शिविर, 2023 रायपुर अधिवेशन, संसद में अपने भाषणों और भारत जोड़ो यात्राओं के दौरान जातिगत आंकड़ों के महत्त्व पर जोर दिया.

कांग्रेस का यह मानना है कि जब तक आरक्षण और कल्याण योजनाएं ठोस आंकड़ों पर आधारित नहीं होंगी, तब तक सामाजिक न्याय अधूरा रहेगा.

कांग्रेस ने संविधान के अनुच्छेद 15(5) को तत्काल लागू करने की मांग भी दोहराई है. यह प्रावधान निजी शैक्षणिक संस्थानों में भी वंचित समुदायों को आरक्षण देने की अनुमति देता है.

कांग्रेस का मानना है कि जब उच्च शिक्षा का बड़ा हिस्सा निजी हाथों में है, तो इन संस्थानों से ओबीसी, दलित और आदिवासी छात्रों को बाहर रखना सामाजिक असमानता को और बढ़ाता है.

कांग्रेस कार्य समिति ने तेलंगाना राज्य के जाति सर्वेक्षण मॉडल की प्रशंसा की है, जिसमें नीति निर्माण में सामाजिक वैज्ञानिकों, नागरिक समाज और समुदायों की भागीदारी रही. पार्टी ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि इसी पारदर्शी और सहभागी मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर अपनाया जाए.

सीडब्ल्यूसी ने स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया अब और विलंबित नहीं होनी चाहिए. पार्टी ने मांग की है कि सभी राजनीतिक दलों को विश्वास में लिया जाना चाहिए. संसद में इस विषय पर तत्काल बहस कराई जानी चाहिए. सरकार को तुरंत आवश्यक धन आवंटित करना चाहिए और जनगणना के लिए स्पष्ट समय सीमा घोषित करनी चाहिए.

बताया गया कि यह पूरी प्रक्रिया हर चरण में पारदर्शी और सहभागी होनी चाहिए. एकत्र किए गए आंकड़े सार्वजनिक नीति की व्यापक समीक्षा का आधार बनने चाहिए. खासकर आरक्षण, कल्याण योजनाओं, शैक्षिक पहुंच और रोजगार के अवसरों के क्षेत्र में. कांग्रेस कार्य समिति का मानना है कि यदि जाति जनगणना को उचित तरीके से डिजाइन और क्रियान्वित किया जाए, तो यह समाज के सभी वर्गों के लिए लाभकारी सिद्ध होगी.

डीएससी/जीकेटी

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