New Delhi, 29 सितंबर . भारतीय रिजर्व बैंक अपनी आने वाली मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो रेट को 5.50 प्रतिशत पर स्थिर रख सकता है. यह जानकारी Monday को आई एक रिपोर्ट में दी गई.
बजाज-ब्रोकिंग की एक रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय बैंक ने पिछली बार जून में रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती की थी, जबकि अगस्त की समीक्षा में दर को स्थिर रखा गया था.
रिपोर्ट में कहा गया कि आरबीआई मौजूदा दर को बनाए रख सकता है क्योंकि महंगाई कम है और साथ ही नियंत्रण में बनी हुई है, लेकिन विकास के लिए जोखिम बढ़ रहे हैं.
India में उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति अगस्त में जुलाई के 1.61 प्रतिशत से बढ़कर 2.07 प्रतिशत हो गई, जो दस महीने से जारी महंगाई में कमी की प्रवृत्ति को खत्म करती है.
हालांकि, मुद्रास्फीति आरबीआई के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से काफी नीचे और अनुमत सीमा के भीतर ही है.
जानकारों का कहना है कि इसकी वजह खाद्य कीमतों में वृद्धि थी, लेकिन GST सुधार से आने वाले महीनों में खुदरा कीमतें कम हो सकती हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, ग्रोथ फ्रंट पर जून तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था ने उम्मीद से बेहतर 7.8 प्रतिशत की मजबूत वार्षिक वृद्धि दर्ज की.
यह वृद्धि मुख्य रूप से Governmentी खर्च से समर्थित थी, हालांकि निजी निवेश अभी भी कमजोर है.
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अमेरिकी व्यापार टैरिफ और भू-Political तनाव सहित वैश्विक दबाव आने वाली तिमाहियों में India के विकास के दृष्टिकोण पर दबाव डाल सकते हैं.
रिपोर्ट में सितंबर में क्रेडिट फ्लो को बढ़ावा देने और आर्थिक गतिविधियों को समर्थन देने के लिए सीआरआर में कटौती सहित आरबीआई के हाल के लिक्विडिटी उपायों पर भी प्रकाश डाला गया है.
हालांकि, उधार की लागत अभी भी अधिक बनी हुई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय बैंक अपने दिशानिर्देशों में तटस्थ रुख अपना सकता है. केंद्रीय बैंक आर्थिक विकास को समर्थन देने की अपनी प्राथमिकता और कीमतों को स्थिर रखने की आवश्यकता के बीच संतुलन बनाए रख सकता है.
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एसकेटी/
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