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शैंपू से लेकर दाल तक, अब ऑनलाइन चीजों के दाम पर सरकार की कड़ी नजर; अफसरों से मांगी रिपोर्ट!

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Government Order on E Commerce Company on GST Reforms: सरकार ने पिछले महीने जब शैंपू, टूथपेस्ट, आटा-दाल जैसी रोज़मर्रा की चीज़ों पर जब GST दरें घटाई थीं, तो उम्मीद थी कि इसका फायदा सीधे ग्राहकों तक पहुंचेगा. लेकिन बाद में शिकायतें आनी शुरू हो गईं कि कुछ ई-कॉमर्स कंपनियां दाम वैसे ही वसूल रही हैं, मानो टैक्स कम हुआ ही न हो. ऑनलाइन बिजनेस करने वाली ऐसी कंपनियों की मनमानी खत्म करने के लिए अब सरकार खुद सतर्क हो गई है.

राजस्व विभाग की टीमें रख रहीं निगाह
सरकार अब यह जांच रही है कि GST कटौती का लाभ दुकानों और ई-कॉमर्स साइट्स से खरीदारी कर रहे उपभोक्ताओं तक सही तरीके से पहुंच पा रहा है या नहीं. इसके लिए राजस्व विभाग की टीमें लगातार दामों पर नज़र रख रही हैं और कुछ कंपनियों को अनौपचारिक रूप से चेतावनी भी दी गई है. सूत्रों के मुताबिक, जब सरकार ने दाम घटाने का सवाल उठाया तो कुछ कंपनियों ने इसे ‘टेक्निकल गड़बड़ी’ बता दिया. लेकिन सरकार मानने को तैयार नहीं है और कह रही है कि हमारी नज़र हर दाम पर है.

ट्रंप टैरिफ का तोड़ निकालना चाहती है सरकार

बताते चलें कि ट्रंप की ओर से भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत का भारी टैरिफ लगाने के बाद अमेरिका को होने वाले निर्यात पर भारी झटका लगा है. इस फैसले से यूएस को सप्लाई होने वाले सामानों की बिक्री रुक गई है, जिससे देशभर में सैकड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं. ऐसे में सरकार चाहती है कि देश में घरेलू खपत बढ़ाई जाए, जिससे ट्रंप टैरिफ से होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सके.

GST को 2 दरों में समेटा गया

इसी रणनीति के तहत मोदी सरकार ने 22 सितंबर से देश में GST स्ट्रक्चर को आसान बनाते हुए 5% और 18% की दो दरों में समेट दिया था. सरकार के इस फैसले से देश में रोजमर्रा की 99% चीज़ों की कीमतें घटनी चाहिए थीं. अब सरकार चाहती है कि ये फायदा सचमुच हर ग्राहक तक पहुंचे. लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है. कई कंपनियों ने अभी तक जीएसटी कम होने का लाभ उपभोक्ताओं तक नहीं दिया है. खासकर ई-कॉमर्स कंपनियां इस मामले में चुप्पी साधकर बैठी हैं.

अधिकारियों को हर महीने रिपोर्ट देने का निर्देश

इसे देखते हुए अब वित्त मंत्रालय ने GST अधिकारियों को आदेश दिया है कि हर महीने 54 जरूरी सामानों की रिपोर्ट तैयार करें. इसमें शैंपू, बटर, केचअप, आइसक्रीम, टीवी, सीमेंट और यहां तक कि पेंसिल- रबर तक के दाम शामिल हों. इसके बाद उस रिपोर्ट को वित्त मंत्रालय को सौंपा जाए. सरकार का सीधा संदेश है, अगर टैक्स कम हुआ है तो दाम भी घटने चाहिए. ग्राहकों को झांसा देने वालों पर अब कड़ी कार्रवाई हो सकती है.

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