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तिब्बत में बहुपति विवाह की अनोखी परंपरा

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शादी की अनोखी रस्में

हर देश में विवाह से जुड़ी विभिन्न परंपराएं होती हैं। हर क्षेत्र में शादी के लिए अलग-अलग नियम और रस्में निभाई जाती हैं। कुछ परंपराएं सदियों से चली आ रही हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। जब एक लड़की की शादी दो लड़कों से या एक लड़के की शादी दो लड़कियों से होती है, तो लोग इन परंपराओं के बारे में जानने के लिए उत्सुक हो जाते हैं। हाल ही में महाराष्ट्र में दो जुड़वा बहनों ने एक ही लड़की से विवाह किया, जिससे बहुपति विवाह फिर से चर्चा में आ गया।


भारत में बहुपति विवाह का इतिहास

बहुपति विवाह की परंपरा बहुत पुरानी है। भारत के हिमाचल और अरुणाचल प्रदेश में इस तरह के विवाह की घटनाएं अक्सर सुनने को मिलती हैं। हालांकि, कहा जाता है कि अब इन क्षेत्रों में बहुपति विवाह की प्रथा समाप्त हो चुकी है या इसे छिपाकर रखा जाता है।


तिब्बत में बहुपति विवाह की प्रथा

तिब्बत एक ऐसा क्षेत्र है जहां बहुपति विवाह की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। यहां के सीमित संसाधनों और चीन की दखलंदाजी के कारण, अक्सर परिवारों में से कोई न कोई सदस्य बौद्ध भिक्षु बन जाता है। तिब्बत में कई भाइयों की एक ही लड़की से शादी कराई जाती है। विवाह के समय बड़ा भाई सभी रस्में निभाता है, और जब दुल्हन घर आती है, तो वह सभी भाइयों की पत्नी बन जाती है।


बच्चों की परवरिश और नियम

इस विवाह के बाद यह स्पष्ट नहीं होता कि पत्नी किस भाई के बच्चे को जन्म देगी। सभी भाई अपने बच्चों को अपनी संतान मानते हैं और उनकी परवरिश में सहयोग करते हैं। शादी के बाद यह तय करने के लिए नियम बनाए गए हैं कि पत्नी के साथ कौन सा भाई रहेगा। बड़ा भाई कुछ समय तक पत्नी के साथ रहता है, फिर टोपी तय करती है कि कौन भाई कमरे में रहेगा। जो भाई पत्नी के साथ समय बिताता है, वह अपनी टोपी दरवाजे पर लटका देता है। जब तक टोपी वहां रहती है, दूसरा भाई कमरे में नहीं जा सकता। हालांकि, अब तिब्बत में भी बहुपति विवाह की घटनाएं कम सुनने को मिलती हैं और लोग इसे छिपाकर रखते हैं।


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