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कैदियों के इंटरव्यू से यौन हिंसा की मानसिकता का खुलासा

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यौन हिंसा की बढ़ती घटनाएं

हम रोजाना यौन हिंसा की घटनाओं के बारे में सुनते हैं। चाहे घर हो या सड़क, लड़के और लड़कियां कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। इन अपराधियों को यह भी नहीं पता होता कि उनके कार्य समाज को कितना नुकसान पहुंचा रहे हैं।


मधुमिता पांडे का अनोखा प्रयास

एक युवा महिला, जिसका नाम मधुमिता पांडे है, ने यह जानने की कोशिश की कि लोग ऐसा क्यों करते हैं। महज 22 साल की उम्र में, उसने दिल्ली के तिहाड़ जेल में बलात्कार के आरोप में बंद कैदियों का इंटरव्यू लिया। अब, 26 साल की उम्र में, वह 100 से अधिक कैदियों से बातचीत कर चुकी है, जो उसने अपनी पीएचडी थीसिस के लिए किया।


कैदियों की मानसिकता

मधुमिता ने जानने की कोशिश की कि जब कोई कैदी किसी महिला को अपना शिकार बनाता है, तो उसके मन में क्या चल रहा होता है। एक 23 वर्षीय कैदी, जिसने प्राइमरी स्कूल तक पढ़ाई की थी, ने बताया कि उसने एक पांच साल की बच्ची के साथ बलात्कार किया। उसने कहा कि बच्ची ने उसे उकसाया, और उसने सोचा कि वह उसे सबक सिखाएगा। यह मानसिकता यौन अपराधियों में आम है, जहां वे पीड़ित पर दोष डालते हैं।


मधुमिता की राय

मधुमिता का कहना है कि जेल में बंद कैदियों को यह एहसास नहीं होता कि उन्होंने कितनी गंभीर वारदात की है।


समाज में यौन शिक्षा की कमी

मधुमिता ने इस मुद्दे की गहराई से जांच की और कहा कि भारत एक रूढ़िवादी देश है, जहां बच्चों को यौन शिक्षा से वंचित रखा जाता है। माता-पिता भी इस विषय पर खुलकर बात नहीं करते, जबकि महिलाओं के प्रति कुंठित मानसिकता को खत्म करने के लिए यौन शिक्षा आवश्यक है।


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