संभल में 1978 में हुए दंगों की जांच फिर से शुरू करने की संभावना है। शासन ने इस मामले की जांच रिपोर्ट मांगी है। DM राजेंद्र पेंसिया ने बताया कि भाजपा MLC चंद शर्मा ने विधान परिषद में इस मुद्दे को उठाया था।
क्या दंगों की फिर से जांच होगी? इस पर DM ने स्पष्ट किया कि वर्तमान में कोई नई जांच नहीं होगी, क्योंकि इस मामले में कोर्ट का फैसला आ चुका है। SP कृष्ण विश्नोई ने कहा कि दंगे की दोबारा जांच की अफवाहें गलत हैं। शासन ने 1978 के दंगों के संबंध में पांच बिंदुओं पर जानकारी मांगी है।
दंगे कब हुए?
दंगे का कारण क्या था?
दंगों में कितने लोग मारे गए थे?
दंगों में दर्ज FIR और कोर्ट में पेश चालान की रिपोर्ट क्या थी?
मामले में अदालत का फैसला क्या था?
17 दिसंबर 2024 को MLC श्रीचंद शर्मा ने विधान परिषद में इस मुद्दे को उठाया था। उन्होंने कहा कि 1978 के दंगों में कई हिंदुओं को जिंदा जलाया गया था और सैकड़ों की हत्या की गई थी।
उन्होंने विधान परिषद के सभापति से दंगों की दोबारा जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। इसके बाद 6 जनवरी को उप गृह सचिव सत्येंद्र प्रताप सिंह ने संभल SP केके बिश्नोई को एक पत्र लिखकर एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए।
यह पत्र SP ने DM राजेंद्र पेंसिया को लिखा था। SP ने कहा कि उन्होंने ASP श्रीश्चंद्र को जानकारी देने की जिम्मेदारी सौंपी है। 47 साल पहले संभल में दंगे भड़के थे, जिसमें 184 हिंदुओं की हत्या हुई थी। उस समय शहर में दो महीने तक कर्फ्यू लगा रहा।
सीएम योगी ने 16 दिसंबर को विधानसभा में 1978 के दंगों का जिक्र किया। उन्होंने NCRB की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 1978 के दंगों में 184 हिंदुओं को जिंदा जलाया गया था।
सीएम ने कहा कि कुछ लोग घड़ियाली आंसू बहाते हैं, लेकिन निर्दोष हिंदुओं के बारे में कुछ नहीं कहते। 24 नवंबर को जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान हिंसा भड़की थी।
हिंसा के बाद जांच में पता चला कि दीपा सराय इलाके में लोग बिजली चोरी कर रहे थे। 150 से अधिक पुलिस जवानों के साथ एक टीम ने 14 दिसंबर को सुबह 5 बजे छापा मारा।
सुबह 11 बजे टीम खग्गू सराय के बनिया मोहल्ला पहुंची। वहां बिजली चोरी पकड़ी गई और कार्तिकेय महादेव मंदिर भी मिला। इसके बाद 1978 दंगे के पीड़ित परिवार सामने आने लगे।
दैनिक भास्कर ने 1978 में हुए दंगों की पड़ताल की थी। 29 मार्च, 1978 को संभल में सबसे बड़ा दंगा भड़का था। उस साल 25 मार्च को होली थी।
होली जलाने पर दोनों समुदायों में तनाव था। अफवाह उड़ी कि एक दुकानदार ने दूसरे समुदाय के व्यक्ति को मार दिया है। इसके बाद दंगे शुरू हो गए।
दंगे के दौरान कारोबारी बनवारी लाल ने दुकानदारों को अपने साले मुरारी लाल की कोठी में छिपाया था। दंगाइयों ने कोठी का गेट तोड़ दिया और 24 लोगों की हत्या कर दी थी।
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