नई दिल्ली: बीते 2 अप्रैल को अमेरिका ने 70 से अधिक देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया था. जिसके बाद अर्थशास्त्रियों, ब्रोकरेज हाउस और विशेषज्ञों ने अमेरिका में मंदी के साथ ग्लोबल इकॉनोमी में भी मंदी की आशंका जताई है. जो पूरी दुनिया के लिए चिंता वाली ख़बर थी. ख़ैर बुधवार की देर रात अमेरिका ने चीन देश के अलावा बाकी सभी देशों पर लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ को 90 दिनों के लिए टाल या रोक दिया है. अब बड़ा सवाल यह बनता है कि क्या अमेरिका में अभी भी मंदी आने की प्रबल आशंका बनी हुई है? आईए जानते हैं. अमेरिका में मंदी आने की कितनी प्रतिशत आशंका?रेसिप्रोकल टैरिफ के 90 दिनों तक टालने के ऐलान के बाद अमेरिकी टॉप इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैक्स ने बीते बुधवार को अमेरिका में मंदी संभावना को लेकर के नई नोट जारी किया है. जिसमें गोल्डमैन सैक्स ने कहा है कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था पॉलिसी में चल रही अनिश्चितता की वजह तेजी से स्लो होने की उम्मीद बनी हुई है. अगले एक साल में अमेरिका की अर्थव्यवस्था में मंदी आने की नई बेसलाइन संभावना 45 फ़ीसदी की है जो पहले गोल्डमैन सैक्स के द्वारा 65 फ़ीसदी का अनुमान दिया गया था. सरल शब्दों में कहा जा सकता है कि गोल्डमैन सैक्स इन्वेस्टमेंट बैंक की नजर में रेसिप्रोकल टैरिफ के टलने के बाद से अमेरिका में मंदी आने की संभावना पहले से कम हो गई है. अमेरिका के लिए टेंशन अभी बाकी गोल्डमैन सैक्स इन्वेस्टमेंट बैंक ने रेसिप्रोकल टैरिफ के 90 दिनों के टालने के एलान बाद नया अनुमान दिया है कि साल 2025 में अमेरिका अर्थव्यवस्था की ग्रोथ 0.5 फ़ीसदी से रिपोर्ट हो सकती है. जो कम है. एक और इन्वेस्टमेंट बैंक सिटी ग्रुप के अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि भले ही रेसिप्रोकल टैरिफ 90 दिनों के लिए रोक दिया गया है लेकिन अमेरिका की इकोनॉमी के लिए अभी भी जोखिम समाप्त नहीं हुआ है. सिटी के अनुसार चीन को छोड़कर के दूसरे देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ को टाल देने का मतलब यह नहीं है कि अमेरिकी इकोनॉमी ग्रोथ को मंदी से बचा लिया गया है. अमेरिका में अभी भी इन्फ्लेशन बढ़ने का खतरा बना हुआ है. ट्रंप के फैसले का हुआ स्वागत!हालांकि, बुधवार की देर रात डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने चीन को छोड़कर के सभी देशों से रेसिप्रोकल टैरिफ टलने के फैसले को दुनिया भर के शेयर बाजार ने अच्छे से स्वागत किया है. इस फैसले के बाद अमेरिका के शेयर बाजार सहित यूरोप और एशिया के शेयर बाजार में तेजी देखने को मिली है. हालांकि ध्यान रहे अभी भी ट्रंप प्रशासन सभी देशों पर 10 फ़ीसदी का बेसलाइन टैरिफ और सेक्टर आधारित टैरिफ जैसे ऑटो इंपोर्ट पर 25 फीसदी टैरिफ बरकरार रखा है.
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