भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा फिक्स्ड डिपॉजिट (FD)के नए नियमों पर चर्चा जारी है। आरबीआई ने बैंकों को 7 दिन से कम अवधि वाली एफडी से जुड़ा प्रस्ताव दिया है। बैंकिंग क्षेत्र में 21 साल बाद कोई बड़ा बदलाव होने जा रहा है। यदि आरबीआई का यह प्रस्ताव मान लिया जाता है तो फिर ग्राहकों को 7 दिन से कम अवधि वाली एफडी में निवेश करने का मौका मिलेगा। 7 दिन से कम अवधि वाली एफडी पर क्या है आरबीआई का प्रस्ताव ऐसा कहा जा रहा है कि आरबीआई के द्वारा 7 दिन से कम अवधि वाली एफडी के लिए ब्याज दरों और उसके संचालन से जुड़े नियमों की प्लानिंग की जा रही है। एफडी नियमों में बदलाव की योजना बैंक और एनबीएफसी के लिए लिक्विडिटी मैनेजमेंट को और ज्यादा प्रभावी बनाने के उद्देश्य से बनाई जा रही है। इसके लिए आरबीआई ने बैंकों से सुझाव मांगे हैं। ताकि इस नए नियम को लागू करने से पहले ही इससे जुड़ी चुनौतियों और संभावनाओं का आकलन किया जा सके। जमा वृद्धि में गिरावट सालाना आधार पर बैंकों में जमा वृद्धि साल 2025 तक 13% से घटकर 10% हो गई। इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि आरबीआई के द्वारा 7 दिन से कम अवधि वाली एफडी का यह कदम बैंक में जमावृद्धि को बढ़ाने के लिए उठाए जा रहा है। यदि आरबीआई का यह प्रस्ताव पास हो जाता है तो फिक्स्ड डिपॉजिट के लिए अवधि तय करने की स्वतंत्रता बैंकों को मिल सकती है। ताकि लिक्विडिटी बढ़े। इस मामले पर आरबीआई ने पहले ही एसबीआई और निजी और प्राइवेट क्षेत्र के अन्य बैंकों के साथ अहम बैठक की है। कब हुआ था बदलावरिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने साल 2004 में इसके पहले बड़ा बदलाव किया था। उस समय फिक्स डिपॉजिट की न्यूनतम अवधि 15 दिनों से घटकर 7 दिन कर दी गई थी। अभी कोई भी ग्राहक बैंक या एनबीएफसी में जाकर 7 दिन से लेकर 10 साल तक की अवधि वाली फिक्स्ड डिपॉजिट योजनाओं में निवेश कर सकते हैं। अब यदि 7 दिन से कम अवधि वाली फिक्स्ड डिपॉजिट योजनाएं शुरू होती है तो इससे लचीलापन बढ़ेगा और बैंक भी ग्राहकों को कई प्रकार के ऑफर्स प्रदान करेंगे। 7 दिन से कम वाली एफडी का प्रभावयदि आरबीआई का यह प्रस्ताव लागू हो जाता है तो इससे न केवल बैंकिंग ग्राहकों को लाभ मिलेगा बल्कि बैंकों को भी कई प्रकार से लाभ मिलेगा। जमा कर्ताओं को शॉर्ट टर्म निवेश के लिए अधिक विकल्प मिलेंगे। ऐसे लोग जो केवल कुछ दिनों के लिए निवेश करना चाहते हैं, खासकर व्यवसाय उनके लिए यह नियम काफी फायदेमंद साबित होगा। इसके अलावा बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ेगी। हालांकि इसके लिए बैंकों को जोखिम प्रबंधन पर भी ध्यान देना पड़ेगा। एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट यह कहती है कि बैंकों के लिए जमा एकत्रित करना इस समय काफी चुनौती पूर्ण हो गया है। ऐसे समय में यदि कम अवधि वाली एफडी योजनाएं पेश की जाएगी तो इससे बैंकों को लिक्विडिटी बढ़ाने में मदद मिलेगी।
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