भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे इन दिनों अपनी एक टिप्पणी को लेकर चर्चा में हैं. उन्होंने कहा था कि देश में युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट ज़िम्मेदार है.
दुबे ने यह भी कहा है कि,
सुप्रीम कोर्ट पर की गई इस टिप्पणी के बाद झारखंड के गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे अकेले पड़ते नज़र आ रहे हैं.
बीजेपी ने भी उनके बयान से दूरी बना ली है. पार्टी अध्यक्ष
अब उनके बयान पर कोर्ट में आपराधिक अवमानना का मुक़दमा चलाने की मांग की जा रही है. वहीं राजनीतिक गलियारों में इस बयान की कड़ी आलोचना हो रही है.
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वक़्फ़ कानून से जुड़े एक मामले में याचिकाकर्ता मोहम्मद जावेद के वकील अनस तनवीर ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी को पत्र लिखकर निशिकांत दुबे के ख़िलाफ़ आपराधिक अवमानना का मुक़दमा चलाने की अनुमति मांगी है.
यह मामला 21 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ए जॉर्ज मसीह की पीठ के सामने पेश किया गया था. पीठ ने इस पर कहा, "अटॉर्नी जनरल से अनुमति लीजिए."
याचिकाकर्ता का कहना है कि निशिकांत दुबे ने चीफ़ जस्टिस संजीव खन्ना की अवमानना की है. इस पर जस्टिस गवई ने टिप्पणी की, "हमारी अनुमति की ज़रूरत नहीं है."
निशिकांत दुबे, सुप्रीम कोर्ट में चल रहे वक़्फ़ क़ानून से जुड़े मामलों पर अदालत की टिप्पणियों से नाख़ुश हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने वक़्फ़ क़ानून के ख़िलाफ़ चल रही सुनवाई के दौरान, कानून के कई अहम प्रावधानों पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी थी.
दरअसल, केंद्र सरकार ने ख़ुद अदालत से कहा था कि अगली सुनवाई होने तक वह इन प्रावधानों को लागू नहीं करेगी.
इसी मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए निशिकांत दुबे ने कहा था, "देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट ज़िम्मेदार है. सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमा से बाहर जा रहा है. अगर हर बात के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना है, तो संसद और विधानसभा का कोई मतलब नहीं है- इन्हें बंद कर देना चाहिए."
उन्होंने ये भी कहा, "इस देश में जितने भी गृह युद्ध हो रहे हैं, उनके ज़िम्मेदार केवल चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया, संजीव खन्ना साहब हैं."
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त पर भी टिप्पणीसीजेआई संजीव खन्ना पर इस तीखी टिप्पणी के बाद, निशिकांत दुबे ने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई क़ुरैशी पर भी बयान दिया है.
निशिकांत दुबे ने एक्स पर था, "आप चुनाव आयुक्त नहीं, मुस्लिम आयुक्त थे. झारखंड के संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठिया को वोटर सबसे ज़्यादा आपके कार्यकाल में ही बनाया गया."
निशिकांत दुबे के बयानों से बीजेपी ने ख़ुद को अलग कर लिया है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा है कि ये उनका निजी बयान है.
जेपी नड्डा ने कहा, "बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा का न्यायपालिका एवं देश के चीफ़ जस्टिस पर दिए गए बयान से भारतीय जनता पार्टी का कोई लेना–देना नहीं है. यह इनका व्यक्तिगत बयान है, लेकिन बीजेपी ऐसे बयानों से न तो कोई इत्तेफ़ाक रखती है और न ही कभी भी ऐसे बयानों का समर्थन करती है. बीजेपी इस बयान को सिरे से ख़ारिज करती है."
ग़ौरतलब है कि उत्तर प्रदेश से बीजेपी के राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने निशिकांत दुबे के सुप्रीम कोर्ट पर दिए गए बयान को लेकर कहा था, "जब बाबा साहब आंबेडकर ने संविधान बनाया था, तो उसमें उन्होंने विधायिका और न्यायपालिका के अधिकारों का स्पष्ट रूप से वर्णन किया है."
"भारत के संविधान के अनुसार, कोई भी लोकसभा और राज्यसभा को निर्देशित नहीं कर सकता है और राष्ट्रपति ने पहले ही इस पर अपनी सहमति दे दी है. कोई भी राष्ट्रपति को चुनौती नहीं दे सकता क्योंकि राष्ट्रपति सर्वोच्च हैं."
हालांकि, अब इस मामले में निशिकांत दुबे बात करने से बच रहे हैं.
उन्होंने बीबीसी से फ़ोन पर कहा, "आपसे बात करेंगे."
इसके बाद उन्होंने फ़ोन काट दिया.

निशिकांत दुबे झारखंड की गोड्डा लोकसभा सीट से 2009 से लगातार चौथी बार सांसद हैं.
हालांकि, वे मूल रूप से बिहार के भागलपुर ज़िले के कहलगाँव के भवानीपुर गाँव के रहने वाले हैं.
लोकसभा की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक़, 28 जनवरी 1969 को जन्मे निशिकांत दुबे ने प्रताप यूनिवर्सिटी, जयपुर से एमबीए और पीएचडी की है.
बतौर सांसद, वे वित्त, गृह, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी, पर्यटन एवं संस्कृति और वाणिज्य मंत्रालय की स्थायी संसदीय समितियों के सदस्य रह चुके हैं.
गोड्डा के स्थानीय पत्रकार प्रवीन तिवारी बताते हैं, "देवघर में निशिकांत दुबे अपने युवा अवस्था में आरएसएस के छात्र संगठन एबीवीपी की राजनीति करते थे. वे कई कंपनियों के निदेशक मंडल में रहे हैं. झारखंड में उनकी छवि एक मुखर नेता की है."
उन्होंने आगे बताया, "निशिकांत दुबे झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को लेकर काफ़ी सक्रिय रहते हैं. यही नहीं उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ख़िलाफ़ मोर्चा भी खोल रखा है. कई विकास परियोजनाओं को यहाँ लाने का श्रेय भी उनको दिया जाता है."
बीजेपी में भूमिकानिशिकांत दुबे को लोकसभा में बीजेपी के अग्रणी वक्ताओं में गिना जाता है. वे कई बार पार्टी की ओर से बहस की शुरुआत करने की ज़िम्मेदारी निभा चुके हैं.
बीजेपी पर नज़र रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार विनोद शुक्ला कहते हैं, "निशिकांत दुबे भारतीय जनता पार्टी के उन चुनिंदा नेताओं में से हैं, जिन्हें पार्टी के पूर्व संगठन महामंत्री केएन गोविंदाचार्य ने राजनीति के गुर सिखाए हैं."
विनोद शुक्ला कहते हैं, "निशिकांत दुबे बीजेपी के बेझिझक और बेख़ौफ़ बोलने वाले नेताओं में से हैं, चाहे वो राहुल गांधी के ख़िलाफ़ लोकसभा में दिए गए बयान का मामला हो या सोनिया गांधी पर जॉर्ज सोरोस के साथ संबंधों का आरोप हो, वे मज़बूती से अपनी बात रखते रहे हैं."
वो कहते हैं, "वक़्फ़ संशोधन बिल में वे संयुक्त संसदीय दल का हिस्सा थे और उन्होंने बिल के पास होने तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनके काम की बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व भी सराहना करता है."
पिछली लोकसभा में निशिकांत दुबे ने तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा पर 'सवाल पूछने के बदले पैसे और तोहफ़े लेने' का गंभीर आरोप लगाया था.
उनका दावा था कि टीएमसी सांसद ने बिज़नेसमैन दर्शन हीरानंदानी से संसद में सवाल पूछने के बदले में लाभ लिया.
दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को चिट्ठी लिखकर महुआ मोइत्रा को सदन से निलंबित करने और उनके ख़िलाफ़ आपराधिक मुक़दमा चलाने की मांग की थी.
इस शिकायत के बाद जाँच हुई और
विपक्ष के निशाने पर हैं दुबेअपने ताज़ा बयानों से निशिकांत दुबे विपक्ष के भी निशाने पर हैं. कांग्रेस पार्टी ने उनके बयान की निंदा की है.
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कि बीजेपी सुप्रीम कोर्ट को कमज़ोर करने में लगी हुई है.
उन्होंने कहा, "संवैधानिक पदाधिकारी, मंत्री और बीजेपी के सांसद भी सुप्रीम कोर्ट के ख़िलाफ़ बोलने में लगे हुए हैं. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट भी ये कह रहा है कि जब क़ानून बनाते हैं तो संविधान के मूलभूत ढांचे के ख़िलाफ़ मत जाइए. अगर संविधान के ख़िलाफ़ है, तो हम इस क़ानून को स्वीकार नहीं कर सकते हैं."
"कांग्रेस पार्टी चाहती है कि सुप्रीम कोर्ट स्वतंत्र, निष्पक्ष हो और संविधान ने जो अधिकार दिए हैं, उनका पूरा सम्मान करना चाहिए. लेकिन ये बिल्कुल साफ़ है कि जानबूझकर अलग-अलग आवाज़ें आ रही हैं और सुप्रीम कोर्ट को निशाना बनाया जा रहा है."
उधर, एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने हैदराबाद की एक जनसभा में कि 'बीजेपी अदालत को धमकी दे रही है.'
निशिकांत दुबे का बयान पर लगातार विवाद बढ़ा रहा है और इसी बीच वक़्फ़ कानून से जुड़े मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी होने वाली है.
चीफ़ जस्टिस संजीव खन्ना 13 मई को रिटायर होने वाले हैं.
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