राजस्थान के सरकारी स्कूल बच्चों को पढ़ाने से ज्यादा शिक्षकों को 'एडजस्ट' करने का जरिया बन गए हैं। प्रदेश के 1,000 से ज्यादा स्कूल ऐसे हैं, जिनमें विद्यार्थियों की संख्या 10 से भी कम है, जहां शिक्षकों की संख्या विद्यार्थियों से ज्यादा है। यह स्थिति शिक्षा विभाग के समानीकरण के दावों की पोल खोलती है। प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सवालों के घेरे में है। जयपुर के 350 स्कूलों के अलावा कोटा, अलवर, झुंझुनूं, जैसलमेर, दौसा, टोंक और करौली जैसे जिलों के सैकड़ों स्कूलों में यही स्थिति है। समानीकरण, तबादला नीति और संसाधन वितरण पर शिक्षा विभाग को ठोस कदम उठाने होंगे। स्कूलों को शिक्षकों की सुविधा के हिसाब से नहीं, बल्कि बच्चों की जरूरत के हिसाब से चलाना होगा।
झुंझुनूं के रायपुर अहिरान के राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल में 7 विद्यार्थी हैं, लेकिन 12 शिक्षक तैनात हैं। चार कक्षाएं खाली हैं और शिक्षकों के वेतन पर 10 लाख रुपए खर्च हो रहे हैं। जिले के 40 स्कूलों में 10 से भी कम नामांकन हैं। हनुमानगढ़ के चक 3 टीकेडब्ल्यू प्राथमिक विद्यालय में 1 छात्र और 2 शिक्षक हैं, जबकि जिले के 68 स्कूलों में 10 से कम नामांकन हैं। कोटा के गोरधनपुरा उच्च प्राथमिक विद्यालय में 4 बच्चों पर 6 शिक्षक हैं। करौली के रंगमहल और भंबूपुरा जैसे स्कूलों में नामांकन शून्य है, फिर भी शिक्षक नियुक्त हैं, जिन्हें दूसरे स्कूलों में भेज दिया गया है।
एक ऐसा स्कूल भी है, जहां एक भी छात्र नहीं है
अलवर के मुंडिया गांव के प्राथमिक विद्यालय में 3 छात्र थे, जो बीच सत्र में गायब हो गए और शिक्षक को दूसरी जगह भेज दिया गया। दौसा के गरसिया ढाणी सीकरी स्कूल में 2 छात्रों पर 2 महिला शिक्षक हैं। टोंक के कल्याण नगर में 9 बच्चे और 2 शिक्षक हैं। करौली के नयापुरा आगरी में 4 बच्चों पर 2 शिक्षक हैं। कई स्कूल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं, जबकि आसपास के स्कूलों में शिक्षकों की कमी है।
तबादलों का खेल अटका हुआ है
तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले सालों से लटके हुए हैं। हजारों शिक्षक अपने गृह जिलों या सुविधाजनक स्थानों पर तबादले का इंतजार कर रहे हैं। शिक्षा विभाग की उदासीनता के कारण शिक्षक तनाव में हैं, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
दस से कम नामांकन वाले प्राथमिक विद्यालय
जयपुर- 350
श्रीगंगानगर- 175
जैसलमेर- 171
भीलवाड़ा- 80
हनुमानगढ़- 68
ब्यावर- 44
सवाईमाधोपुर- 34
अलवर- 33
कोटा- 30
बूंदी- 30
टोंक- 20
दौसा- 20
करौली- 3
ऐसे विद्यालय जहां छात्र नामांकन कम है और शिक्षकों की संख्या अधिक है। ऐसे विद्यालयों से शिक्षकों को हटाकर ऐसे विद्यालयों में लगाया जाएगा जहां शिक्षकों की जरूरत है। तबादलों पर रोक हटने के बाद यह फेरबदल किया जाएगा।
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