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ऑपरेशन सिंदूर ही नहीं द्वितीय विश्व युद्ध में भी रही बीकानेर के 'नाल एयरबेस' की अहम भूमिका, वीडियो में देखे 1940 के दशक से आजतक का सफर

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ऑपरेशन सिंदूर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार (आज) को पहली बार राजस्थान आएंगे। वे बीकानेर के नाल एयरफोर्स स्टेशन पर वायुसेना के जवानों से मुलाकात करेंगे। पिछले दिनों ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में पाकिस्तान ने भी नाल एयरफोर्स स्टेशन को निशाना बनाया था। भारतीय सेना ने इसका मुंहतोड़ जवाब देते हुए उसके सभी हमलों को नाकाम कर दिया था। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नाल एयरबेस का संबंध प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध से भी रहा है। भारतीय वायुसेना को यह एयरबेस 1950 में मिला था। आजादी से पहले यहां के कच्चे रनवे से ब्रिटिश सेना के लड़ाकू विमान उड़ान भरते थे। आज नल एयरबेस की रेंज में पाकिस्तान के 6 बड़े शहर आते हैं। पढ़िए यह रिपोर्ट...


नाल पर दुश्मन का हमला हुआ था नाकाम
बीकानेर जिले की 168 किलोमीटर लंबी सीमा अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तान से लगती है। इस वजह से बीकानेर शहर से महज 15 किलोमीटर और पाकिस्तान सीमा से करीब 150 किलोमीटर दूर नाल एयरबेस सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। हाल ही में जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा तो पाकिस्तान ने 7 और 8 मई 2025 को भारत के 15 एयरबेस स्टेशनों पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला किया। इनमें बाड़मेर के फलौदी में उत्तरलाई एयरबेस, बीकानेर में नाल एयरबेस शामिल थे। पाकिस्तान के इस हमले का भारतीय वायुसेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया। पाकिस्तान की सीमा के बेहद नजदीक होने के कारण यह वायुसेना स्टेशन दुश्मन देश की पैनी नजर में रहता है। नाल एयरबेस पर वायुसेना के पायलटों और अन्य कर्मियों को प्रशिक्षण देने के साथ ही कई तरह के सैन्य ऑपरेशन भी किए जाते हैं।

दोनों विश्व युद्धों से भी जुड़ा है नाल एयरबेस
नल एयरबेस की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यहां बनी पट्टी पर युद्धक विमान उतारे गए थे। आजादी से पहले बीकानेर स्टेट ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान यहीं से ब्रिटिश सेना की मदद की थी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना ने इस रनवे का इस्तेमाल किया था। बाद में ब्रिटिश सेना ने इस हवाई पट्टी को पूर्व बीकानेर राजघराने को सौंप दिया था। पूर्व बीकानेर रियासत के महाराजा गंगा सिंह ने वर्ष 1942 में नाल में अपना नया कच्चा रनवे बनवाया था। भविष्य में वायुसेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यहां फ्लाइंग क्लब की स्थापना की गई। इस फ्लाइंग क्लब में ब्रिटिश वायुसेना के अधिकारी बीकानेर राजपरिवार के सदस्यों को विमान उड़ाने का प्रशिक्षण देते थे। पूर्व राजपरिवार ने वर्ष 1942 से 1950 के बीच यहां फ्लाइंग क्लब चलाया।

उस दौर में सिंगल इंजन वाले विदेशी हवाई जहाज इस्तेमाल होते थे। उनमें से एक हेरिटेज विमान डीएच-9 बीकानेर के जूनागढ़ किले के संग्रहालय में रखा हुआ है। इसे देखकर पर्यटक इतिहास की यादें ताजा करते हैं। वर्ष 1920 में ब्रिटेन ने 'इंपीरियल गिफ्ट स्कीम' के तहत भारत को 60 डीएच-9 विमान दिए थे। ब्रिटेन ने ये विमान अपने उपनिवेशी देशों को अपनी वायुसेना तैयार करने के लिए दिए थे, ताकि जरूरत पड़ने पर इनका इस्तेमाल किया जा सके। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि बीकानेर में कितने डीएच-9 विमान आए।

आजादी के बाद भारतीय वायुसेना को सौंप दिया गया

आजादी के बाद राजस्थान राज्य बनने के बाद 1950 में इस हवाई पट्टी को भारतीय वायुसेना को सौंप दिया गया। करीब 13 साल की लंबी प्लानिंग के बाद साल 1963 में वायुसेना ने कच्चे रनवे को हटाकर अपना खुद का रनवे तैयार किया। सीमा के नजदीक होने के कारण वायुसेना ने यहां अपना एयरबेस स्टेशन स्थापित किया। फिर लड़ाकू विमानों की एक स्क्वाड्रन तैनात की। तब इसका नाम 9 केयर एंड मेंटेनेंस यूनिट्स (सीएंडएमयू) रखा गया। जुलाई 1972 में इसका नाम बदलकर नंबर 3 फॉरवर्ड बेस सपोर्ट यूनिट्स कर दिया गया। करीब 17 साल बाद 17 अप्रैल 1989 को इस हवाई पट्टी का नाम 46 विंग रखा गया।

नाल एयरबेस की रेंज में पाकिस्तान के 6 बड़े शहर
नाल एयरबेस से पाकिस्तान की सीमा करीब 150 किलोमीटर दूर है। सामरिक दृष्टि से भी यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसकी रेंज में दुश्मन देश के 6 बड़े शहर आते हैं। जैसे- मुल्तान 294 किमी, लाहौर 402 किमी, इस्लामाबाद 630 किमी, पेशावर 687 किमी, मुजफ्फराबाद 704 किमी और कराची 719 किमी की रेंज में है।

यहां युद्धपोतों की तैनाती से दुश्मन देश में खलबली मच जाती है। जानकारी के मुताबिक, स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमान की पहली स्क्वाड्रन यहां तैनात है, जिसे 'कोबरा' भी कहा जाता है। भारतीय वायुसेना की सूर्य किरण एरोबैटिक टीम ने पिछले साल फरवरी 2024 में इस एयरबेस पर एयर शो किया था।

सिविल एयर टर्मिनल भी, नियमित उड़ानें भी हो रही संचालित
इस वायुसेना स्टेशन के भीतर एक एन्क्लेव के रूप में 29 जून 2014 को सिविल एयर टर्मिनल का उद्घाटन किया गया था। 26 सितंबर 2017 को एयर इंडिया ने दिल्ली के लिए नियमित उड़ान शुरू की थी।

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